नई दिल्ली: अपने गठन के बाद से ही घोटालों में घिरी अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने आज आम आदमी की ज़िंदगी को ही दांव पर लगा दिया है। राज्य परिवहन प्राधिकरण ने डी.टी.सी. की उन सभी बसों को भी अगले तीन साल तक चलने की इजाजत दे दी है जिन्हें उनकी तकनीकी उम्र पूरी हो जाने के कारण हटा लिया जाना चाहिए था। दिल्ली परिवहन निगम के पास कुल 3760 बसे हैं जिनमें से 99 प्रतिशत बसें इतनी पुरानी हो चुकी है कि उन्हें सेवा से बाहर हो जाना चाहिए था।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि घोटालेबाज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब आम जनता को उन बसों में सफर करने को मजबूर कर रहे हैं जो न केवल अपनी सड़क पर चलने की मियाद पूरी कर चुकी है बल्कि अगर कोई हादसा हो जाता है तो गैर कानूनी तौर पर चलने से बीमा कम्पनी भी यात्री की राहत राशि देने से इंकार कर सकती है। इस तरह लाखों लोगों को उम्रदराज बसों में चढ़ने को मजबूर कर केजरीवाल किसका भला करने में लगे हैं।
भाजपा बसों की तकनीकी उम्र को लेकर वर्षों से सरकार को चेतावनी दे रही है, लेकिन घोटाले के दम पर जिंदा सरकार कुछ भी ‘अच्छा’ सुनने को तैयार नहीं है। केजरीवाल को आम जनता की नहीं बसों की खरीद और उनके रखरखाव से मिलने वाली कटमनी की ज्यादा फिक्र है। भाजपा तो लगातार इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग करती रही है, लेकिन सरकार न तो कोई नई बस खरीदी और न ही कोई अतिरिक्त इंतजाम किया। अब जिन 3700 बसों को सड़क से हट जाना चाहिए, उनका सेवा विस्तार देना साफ कर देता है कि ‘आप’ सरकार को जनता की जान की भी परवाह नहीं है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने राजधानी की जरुरतों को देखते हुए एक अध्ययन कराया था जिसमें स्पष्ट कहा गया कि दिल्ली कम से कम 11,000 बसों की जरुरत है। इसी आधार पर दिल्ली सरकार ने न्यायालय में भी शपथपत्र दाखिल किया, लेकिन आज डी.टी.सी. के पास केवल 40-50 बसें ही ऐसी है जो कि वास्तव में चलने के काबिल है। इसके अलावा निजी क्षेत्र की 3000 बसें दिल्ली को बचाएं हुए हैं।
उन्होंने कहा कि अगर किसी अदालत ने इन ओवर ऐज बसों के संचालन पर रोक लगा दी तो दिल्ली ठहर जाएगी। बसों में पहले ही यात्रा करना दुभर काम है और बसें ही न रही तो दिल्ली का क्या होगा क्योंकि मेट्रो भी जो पहले से भीड़ के कारण लड़खड़ा रही है यात्रियों का इतना बोझ नहीं उठा पाएगी।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने वर्ष 2008 के बाद एक भी नई बस की खरीद नहीं की और अगर चालू वर्ष में भी खरीद की जाए तो बसों को सड़कों पर आने में एक वर्ष और लगेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में जनता का बसों में धक्के खाना और केजरीवाल सरकार को सहना उनकी मजबूरी है।