देश के मौजूदा राजनैतिक हालात और मीडिया का गोदी मीडिया बन जाना अवामी मीडिया की संभावनाओं को जन्म देता हैं। जिसकी देश को जरूरत हैं। कोई तो हो जो अवाम और उनके हित की बात कर सकें। देश के स्वतंत्रता संग्राम की बात की जाये या हुकूमत के तानाशाही को कसने की मीडिया की या यूं कह ले कलम की ताकत बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसी उद्देश्य से अवामी मीडिया की नींव रखी गई।
मौजूदा समय में बीड़ा उठाया है, अवामी मीडिया को तराशने और आगे लाने का पीपुल्स मिशन ने। इसी कड़ी में हर साल अलग-अलग कैटेगिरी में प्रतिभा को जांचा और परखा जाता हैं, उनकी योग्यता को एक सम्मानित किया जाता है। कोरोना कोविड महामारी में पीपल्स मिशन के चेयरमेन कामरेड उपेन्द्र प्रसाद सिंह के हाल में निधन से उसका काम कुछ बाधित हुआ। लेकिन प्रस्तावित न्यास के सभी न्यासियों ने पीपल्स मीडिया द्वारा पिछले बरस 15 अगस्त को शुरू किये गए ‘ क्रांतिकारी कामरेड शिव वर्मा मीडिया पुरस्कार ’ जारी रखने का संकल्प लिया है।
इस सिलसिले में नई दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में 12 जुलाई 2021 को माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय (मध्य प्रदेश) के पूर्व प्रो वाइसचांसलर और समकालीन भारत के वरिष्ठ पत्रकार रामशरण जोशी की उपस्थिति में अनौपचारिक विचार विमर्श हुआ , जो ‘ क्रांतिकारी कामरेड शिव वर्मा मीडिया पुरस्कार ‘ ज्यूरी के चेयरपर्सन भी हैं। उस अनौपचारिक बातचीत में प्रेस क्लब अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा , वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त , सत्य-हिन्दी टीवी और न्यूज पोर्टल के संपादक शीतल पी सिंह और अग्रणी पत्रकार प्रशांत टंडन के साथ संस्था के महासचिव चंद्र प्रकाश झा भी उपस्थित थें।
इस बातचीत में मिले सुझाव के आधार पर पीपल्स मिशन के न्यासियों में से हिन्दू कॉलेज, दिल्ली के रिटायर प्रोफेसर ईश मिश्र,रांची के प्रमुख चिकित्सक डाक्टर राजचंद्र झा, विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) में बसे द इकोनोमिस्ट टाइम्स के पूर्व असोसिएट एडिटर और मौजूदा समय में उधमी जीवी रमन्ना, यूएनआई एम्पलोईज फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष और कृषि विषय के जाने-माने पत्रकार जसपाल सिंह सिद्धू,यूएनआई वर्कर्स यूनियन (दिल्ली ) के कई बार महासचिव रहे और अब केरल जा बसे मजदूर नेता एमवी शशीधरण और इस स्तंभकार के बीच वीडियो और फोन कॉन्फ्रेंसिंग के बाद कुछ अहम निर्णय लिए गए हैं।
पहला निर्णय ये है कि क्रांतिकारी कामरेड शिव वर्मा मीडिया पुरस्कार जारी रखे जाएंगे-
उसकी प्रिन्ट मीडिया, टेलीविजन समेत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया , सोशल मीडिया , कार्टून और ग्राफिक्स , और महिला मीडिया कर्मियों की विशेष समेत कुल पाँच श्रेणियों के बरस 2021-22 के पुरस्कारों के लिए भारत के नागरिकों से एक अगस्त से 14 अगस्त की अर्धरात्रि तक नॉमिनेशन आमंत्रित किये जाएंगे।
नामांकन करने वालों और नामांकित किये जाने वालों का भारत का नागरिक होना अनिवार्य है। नामाकन के आधार पर ज्यूरी स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में 15 अगस्त 2021 को अपने निर्णय घोषित करेगी।
कोलकाता विश्वविद्यालय के रिटायर प्रोफेसर जगदीश्वर प्रसाद चतुर्वेदी ज्यूरी के उपाध्यक्ष बने रहेंगे। ज्यूरी में पहले से शामिल, सत्य हिंदी के शीतल पी सिंह अब दिवंगत उपेन्द्र प्रसाद सिंह की जगह इसके वर्किंग चेयरमैन होंगे । अग्रणी पत्रकार प्रशांत टंडन को ज्यूरी का विशेष अपाध्यक्ष बनाया गया है जिनकी मुख्य जिम्मेवारी ज्यूरी अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को निर्णय लेने के लिए वीडियो कॉंफरेसनसिंग आदि के जरिए तकनीकी रूप से मदद करना होगा।
ज्यूरी में पहले से शामिल, जनमीडिया के संपादक अनिल चमड़िया, हिंदी न्यूज पोर्टल जनचौक के महेंद्र मिश्र, मीडिया विजिल के डाक्टर पंकज श्रीवास्तव, जनज्वार के पीयूष पंत , उर्दू न्यूज पोर्टल शहरनामा (लखनऊ) के सय्यद हुसैन अफसर के अलावा अंग्रेजी न्यूज पोर्टल एक्सप्रेस पोस्ट (मुंबई) के रोमेल रोड्रिग्स और तक्षक पोस्ट ( एनसीआर -दिल्ली) की महिला पत्रकार श्वेता आर रश्मि को भी शामिल किया गया है। ज्यूरी के सदस्य के रूप में पूर्व, पूर्वोत्तर, मध्य और दक्षिण भारत के कुछ संपादकों के नाम उनकी सहमति मिल जाने पर बाद में घोषित किये जाएंगे। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को शहीदे आजम भगत सिंह का एक एक हस्तशिल्प , कलम , शाल , और 10 – 10 हजार रुपये भेंट किये जाएंगे।
पिछले बरस और इस बरस के भी पुरस्कार कोविड महामारी से उत्पन्न स्थिति में लॉक डाउन खत्म हो जाने के बाद नई दिल्ली में समारोह में भेंट किये जाएंगे। उसी समारोह में कोविड महामारी पर पीपल्स मिशन की अंग्रेजी – हिंदी की पुस्तकों का विमोचन भी किया जाएगा।
इस साल से गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान भी –
पीपल्स मिशन का एक और अहम निर्णय इस बरस से गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान की अभिनव परिपाटी शुरू करना है। यह सम्मान पुरानी पीढ़ी के संपादकों को नई पीढ़ी के संपादको की तरफ से भेंट की जाएगी। इसके तहत सम्मानित संपादक को अवाम से एकत्रित कम से कम 80 हजार रूपये की थैली भेंट की जाएगी।
इसके लिए धन एक विशेष सचित्र स्मारिका के लिए हासिल विज्ञापन से भी जुटाए जाएंगे ताकि इस सम्मान के लिए भविष्य में भी धन सुरक्षित रखा जा सके। स्मारिका के मुख्य संपादक प्रोफेसर ईश मिश्र होंगे और उसके संपादक मंडल के समन्यवक चंद्र भूषण (नवभारत टाइम्स) होंगे।
अवामी मीडिया खड़ा करने का एक इतिहास-
भारत में ‘ अवामी मीडिया ‘ विकसित करने के लिए आज़ादी के बाद भी कई प्रयास हुए जिनमें वरिष्ठ पत्रकार आनंद स्वरुप वर्मा और उनके साथ इतिहासविद लाल बहादुर वर्मा ( अब दिवंगत ) का ‘ वैकल्पिक मीडिया ‘ अभियान , प्रसिद्द पत्रकार पी साईनाथ की मुंबई में 1980 के मध्य में शुरू पत्रिका , काउंटर मीडिया , गोरखपुर के आधार से रैडिकल शशि प्रकाश , कवियत्री कत्यायिनी आदि का ‘ हमारा मीडिया ‘ अभियान भी शामिल है.
1990 के दशक की शुरुआत में भारत में राजसत्ता की नवउदारवादी आर्थिक नीतियों को लागू करने के समय ‘ दिल्ली यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (डीयूडब्लयूजे) की ओर से पत्रकारों के लिए प्रकाशित अलहदा त्रिभाषी जर्नल ‘ पीपुल्स मीडिया ‘ का उल्लेख किया जा सकता है जिसके संपादक इन पंक्तियों के लेखक यही पत्रकार थे। इसका साथ देने के संकल्प के साथ छतीसगढ़ के प्रखर मजदूर नेता शंकर गुहा नियोगी ( अब शहीद ) ने भी केंद्र सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के सामने डीयूडब्लयूजे के बने दफ्तर पहुंच कर विचार विमर्श किया था। वो पत्रिका किन्ही कारणों से बंद हो गई और वो संगठन भी निष्क्रिय पड़ गया।
बाद में पीपुल्स मीडिया नाम से ही लखनऊ में बिन किसी देसी -विदेशी एनजीओ ‘ फंडिंग ‘ के बने एक पंजीकृत छोटे समूह की पहल पर पत्रकारिता के क्षेत्र में नए प्रयोग के तहत श्रम और मानवाधिकार विषय पर सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टिंग के लिए सालाना ‘ शहीद शंकर गुहा नियोगी अवार्ड ‘ प्रारंभ किया गया।
नियोगी जी के हाल में दिवंगत हुए सहयोगी राजेंद्र सायल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) के छात्र नेता रहे और एक्टिविस्ट अनिल चौधरी , आनंद स्वरुप वर्मा और अन्य के प्रयासों से वह अवार्ड हाल तक कायम रहा। राजेंद्र सायल के बीते बरस गुजर जाने के बाद वह अवार्ड लगभग बंद बताया जाता है।
अवामी मीडिया खड़ा करने के घोषित उद्देश्य से आरम्भ ये लगभग सारे अभियान व्यापक जन समर्थन के आभाव में आगे नहीं बढ़ सके। लेकिन पिछले बरस झारखंड की राजधानी रांची में प्रस्तावित विशेष कंपनी और न्यास पीपुल्स मिशन ने पीपल्स मीडिया समेत की संगठनों को एकसाथ लाकर अवामी मीडिया को आगे बढ़ाने का काम शुरू किया है।