आषाढ़ महीने में आने वाले गुप्त नवरात्र की शुरुआत इस बार 11 जुलाई को रवि पुष्य नक्षत्र और राजयोग के साथ सर्वार्थसिद्धि योग में शुरू हुआ। साथ ही भड़ली नवमी के मुहूर्त पर ही ये नवरात्र 18 जुलाई को रवियोग में संपन्न होंगे। इस बार नवरात्र में तिथि का क्षय हो रहा है। जिससे ये 9 की बजाय 8 ही दिन के रहेंगे। गुप्त नवरात्र में देवी की विशेष मंत्रों से आराधना करने पर विशेष फल मिलता है।
ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र ने बताया कि 11 जुलाई, रविवार को प्रतिपदा तिथि में देवी की साधना शुरू होगी। इसके अगले दिन यानी 12 को द्वितिया, 13 को चतुर्थी, 14 को पंचमी, 15 को षष्ठी तिथि का क्षय हो जाएगा। इसके बाद 16 को सप्तमी, 17 को अष्टमी और 18 को नवमी तिथि की पूजा के साथ ही रवियोग में नवरात्र संपन्न हो जाएंगे। इन दिनों में देवी की पूजा दश महाविद्याओं के रूप में की जाएगी।
हवन में औषधीयों के इस्तेमाल से रुकेगा संक्रमण-
गुप्त नवरात्र में व्रत रखकर दश महाविद्याओं के अलावा देवी दुर्गा और काली की आराधना भी की जाती है। देवी के बीज मंत्र और सप्तशती पाठ के साथ हवन-यज्ञ किया जाए तो वातावरण तो शुद्ध होगा ही, साधकों के मन में सकारात्मकता भी बढ़ेगी। आषाढ़ महीने में जब बारिश का मौसम रहेगा तब इस दौरान तमाम तरह के संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। इसलिए इनसे बचने के लिए हवन के लिए औषधीय जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करना चाहिए। कुछ शोध में बताया गया है कि हवन करने से वातावरण शुद्ध होगा।
साल में होते है चार नवरात्र-
साल में चार नवरात्र में से दो प्रकट और दो गुप्त नवरात्र आते हैं। प्रकट नवरात्र चैत्र और आश्विन माह में आते हैं जबकि गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ माह में। गुप्त नवरात्र में साधक मंत्र तंत्र साधना के लिए विशेष उत्साहित रहते हैं। देवी के बीज मंत्रों का जाप कर अपनी साधना की सिद्धि करते हैं।
मां जल्दी होती है प्रसन्न, पूजा का फल जल्दी व दोगुना मिलता है-
गुप्त नवरात्र में पूजा का फल जल्दी और दोगुना मिलता है। इन दिनों में मां जल्दी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को मनवांछित फल देती हैं। इस दौरान मां की पूजा में शामिल होने वाली सामग्री का भी एक विशेष महत्व माना जाता है।