कोरोना अभी ख़त्म नहीं हुआ है। दूसरी लहर के अंतिम चरण में कुछ राहत जरूर दिखाई दे रही है और इसी राहत को देखते हुए दिल्ली समेत देश के अनेक राज्यों की सरकारों ने लॉकडाउन की सख्त पाबंदियों में थोड़ी ढील देना जरूर शुरू किया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोना ख़त्म हो गया है, और हम पूरी तरह से सामाजिक दूरी के नियमों के मुक्त हो गए हैं , हमें कोरोना क़ानून को नहीं मानना है और सार्वजनिक स्थानों पर वेवजह भीड़ लगानी शुरू कर देनी है। ऐसा करना गलत ही नहीं है बल्कि खुले आम कोरोना के संकट को न्योता देने जैसा है।
पाबंदियों में राहत देने का मतलब यह तो कतई नहीं है कि हम पूरी तारक से निरंकुश हो जाए। बदकिस्मती से ऐसा हो रहा है और लोग हिल स्टेशनों में बेवजह की भीड़ एकत्र कर रहे हैं। कोरोना पाबंदियों का उल्लंघन करने के साथ ही लोग सरकारी कानूनों की बेअदबी भी कर रहे हैं। इसी वजह से राजधानी दिल्ली के पड़ोसी राज्यों – उत्तराखण्ड , हिमाचल और जम्मू – कश्मीर के हिल स्टेशन पर्यटकों ने सितम्बर तक के लिए बंद कर दिए हैं। उत्तराखण्ड के मसूरी और नैनीताल जैसे हिल स्टेशनों के लिए राज्य सरकार ने विशेष पाबंदिया लगा दी हैं ताकि वहाँ जरूरत से ज्यादा भीड़ न हो। इन पाबंदियों के तहत इन स्थानों में जाने के लिए कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट होने के साथ ही वहां होटल की बुकिंग होना भी जरूरी है।
जिन पर्यटकों के पास ये दोनों चीजें नहीं हैं उन्हें आधे रास्ते से ही वापस लौटाया जा रहा है। और सरकार का यही रैवैया पर्यटकों को रास नहीं आ रहा है। इससे पर्यटक नाराज तो हो ही रहे हैं , इन्हीं में कुछ पर्यटक ऐसे भी हैं जो सरकारी कर्मचारियों से बेवजह उलझ भी रहे हैं। पिछले सप्ताह के अंत में शुक्रवार 9 जुलाई और शनिवार 10 जुलाई को ऐसे करीब पांच हजार से अधिक अवैध पर्यटकों को स्थानीय सरकार के कारिंदों ने वापस भी किया है।
इन अवैध पर्यटकों की आधे रास्ते से आपसी का असर यह हुआ कि देहरादून से मसूरी जाने वाले रास्तों पर सप्ताहांत के दिनों में 10 किलोमीटर तक का लम्बा जाम लग गया था और नैनीताल की स्थिति भी कमोबेस ऐसी ही थी, पूरी तक पैक था नैनीताल। हालात हिमाचल के हिल स्टेशनों के भी बदतर ही थे। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि जब कोरोना को लेकर सरकारों ने पाबंदियों में थोड़ी ढील देनी शुरू कर दी तो दिल्ली समेत अनेक मैदानी इलाकों के लोगों ने अपने इलाकों की पसीना निकालती गर्मी से थोडा राहत पाने की गरज से पहाडी इलाकों की तरफ जाने का सिलसिला शुरू कर दिया था।
अजीब बात है कि एक तरफ देश की केन्द्रीय सरकार और विभिन्न राज्यों की सरकारें कोरोना से बचाव के नए – नए तरीके ईजाद करने की कोशिश में लगी हैं, ताकि अगुस्त महीने के दूसरे सप्ताह से संभावित तौर पर शुरू होने वाली कोरोना की तीसरी लहर का लोगों पर कम से कम असर हो तथा जन – माल का नुकसान भी कम से से कम हो। इसके विपरीत देश के लोग कोरोना के संभावित खतरों को समझने के बावजूद अपनी गलतियों की वजह से कोरोना के आत्मघाती खतरों को आमंत्रण देने से भी संकोच नहीं कर रहे है।
कोरोना से बचाव की दिशा में किये गए प्रयासों का संकेत इसी तथ्य से लग जाता है कि विगत 7 जुलाई को हुए केन्द्रीय मंत्री परिषद् के विस्तार के आगले ही दिन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में संपन्न केन्द्रीय मंत्रिपरिस्स्षद की पहली बैठक में ही कोरोना की दूसरी लहर के साथ ही संभावित तीसरी लहर से बचाव के लिए 23 हजार करोड़ रुपये का एक विशेष पैकेज देने की घोषणा की गई थी। इस वर्चुअल बैठक के बाद इसकी जानकारी नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंदाविया ने इसकी जानकारी एक प्रेस कांफ्रेंस में दी थी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बाबत यह भी बताया था कि , कोविड की दूसरी लहर में हुई समस्याओं से निपटने के लिए 23,000 करोड़ रुपए का पैकेज दिया जाएगा। इसका उपयोग केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से करेंगी।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल की इस पहली बैठक में कोरोना को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए थे। इन्हीं फैसलों के तहत कोरोना पैकेज की पहली क़िस्त के रूप में 15 हजार करोड़ रुपये की धनराशी तुरंत जारी करने की घोषणा भी की गई थी। कोरोना से बचाव के लिए सरकार देश में कोविड अस्पतालों की संख्या बढ़ाने के साथ ही अस्पतालों में ऑक्सीजन बेडों की संख्या बढ़ाने की लिए भी काम कर रही है। सरकार इससे अकेले नहीं सामूहिक रूप से लड़ने की बात कर रही है लेकिन इंसान के रूप में हम कोरोना पाबंदियो का मजाक उड़ा कर इस मुहिम में बाधा ही पहुंचा रहे हैं।
भविष्य में कोविड से लड़ने के लिए सरकारों की तरफ से 23 हजार करोड़ रुपये की जो राशि निर्धारित की गई है, उसमें 15 हजार करोड़ केंद्र का हिस्सा होगा और शेष राशि राज्य सरकारें वहन करेंगी। इसके साथ ही देश के 736 ज़िलों में पीडिएट्रिक यूनिट बनाए जाएंगे। 20,000 आईसीयू बेड तैयार किए जाएंगे। कोविड को लेकर सरकार की तरफ से किये गए प्रयासों का ही यह परिणाम निकला कि देश में अब कोविड अस्पताल 163 से बढ़कर 4,389 हो गए। ऑक्सीजन बेडों की संख्या 50,000 से बढ़ाकर 4,17,396 हो गई। इसी प्रक्रिया 20,000 आईसीयू बेड तैयार करने की भी योजना है।
इस पृष्ठभूमि में इस बात पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की जरूरत है कि कोरोना बीमारी को गंभीरता के साथ लिया जाए . इस बाबत यह भी समझना जरूरी है कि यह हैजा , मलेरिया ., चेचक और प्लेग जैसा कोई संक्रामक रोग नहीं है बल्कि एक अलग किस्म का रोग है जिसका वायरस रूप बदल कर अलग – अलग समय पर और अलग – अलग जगहों पर आक्रमण करता है इसलिए कहीं भी जाने से पहले हर तरह की सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।