कश्मीर देश का एक ऐसा राज्य है जो देश की आजादी के बाद से ही हमेशा चर्चा में रहता है। देश के अन्दर ही नहीं देश के बाहर भी इसकी चर्चा इसलिए होती रहती हैं। देश के इस राज्य पर पाकिस्तान भी बराबर का मालिकाना हक जताने की कोशिश करता रहा है जो एकदम गलत है। हालांकि पाकिस्तान ने आजाद कश्मीर नामक कश्मीर के एक हिस्से को देश की आजादी के बाद से ही अपने नियंत्रण में रखा है और जिस पर भारत ने भी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपना दावा बरकरार रखा है पर सच्चाई यही है कि आज भी कश्मीर का एक हिस्सा अवैध तरीके से पाकिस्तान के कब्जे में है इसीलिए उसे पाक अधिकृत कश्मीर भी कहा जाता है।
प्रधानमंत्री का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण कहा जा सकता है क्योंकि लगभग दो साल पहले जब कश्मीर से धारा 370 को हटाने के साथ ही कश्मीर के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर और भी कई महत्वपूर्ण कदम लेने की घोषणा केंद्र सरकार ने की थी , तब से कश्मीर और केंद्र के बीच संवादहीनता की स्थिति बनी हुई थी। प्रधानमंत्री की पहल पर बुलाई गई इस सर्वदलीय बैठक के बाद राजनीति की यह बर्फ पिघलनी शुरू हुई है और इसके साथ ही भविष्य की कुछ बातें भी सुनाई देने लगी हैं . पर कश्मीर का मुद्दा कुछ जटिल भी है।
केंद्र सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि कश्मीर के नेताओं के साथ राज्य के भविष्य और हालात पर बात होगी और सुधार के उपाय तेज होंगे लेकिन समय का पहिया पीछे नहीं जाएगा। यानी जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35ए को फिर से बहाल करने का कोई सवाल नहीं। अब रही बात पूर्ण राज्य का दर्जा देने की तो उसके लिए विधान सभा बहाल करनी पहली शर्त होगी। केंद्र सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि इसके लिए प्रक्रिया चालू है। लेकिन इसके पूरा होने में दो से तीन साल लग सकते हैं। यह काम विधानसभा सीटों का परिसीमन करने के बाद ही पूरा हो सकेगा ..इस बाबत परिसीमन आयोग का काम काफी आगे बढ़ गया है। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के सभी बीस जिलों के अधिकारियों को पूरे हलके के आंकड़े और जानकारियां विस्तार से तलब की गई हैं।
जानकारी के मुताबिक आयोग के परिसीमन मसौदे को जनता के सुझाव और आपत्तियों के लिए सार्वजनिक किया जाएगा। फिर उन सुझाव, आपत्तियों और जनता की समस्याओं या शिकायतों को ध्यान में रखते हुए उसे अंतिम रूप दिया जाएगा। फिर विधान सभा क्षेत्रवार मतदाता सूची अपडेट की जाएगी। दिवंगत मतदाताओं के नाम हटाना और नए मतदाताओं के नाम जोड़कर फाइनल वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी…परिसीमन और मतदाता सूची के अपडेट के बाद विधान सभा चुनाव का आयोजन भी एक चुनौती होगा। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव और फिर जिला विकास परिषदों के चुनाव से सुधरते हालात का अंदाजा लग रहा है। केंद्रीय योजनाओं के सीधे लागू होने से राज्य के लोगों को आसानी और जनजीवन पर इसका असर देखा जा रहा है।
5 अगस्त 2019 को संसद में जम्मू कश्मीर के प्रशासनिक इंतजाम में बदलाव का प्रस्ताव पारित होते ही राज्य का विशेष दर्जा खत्म हो गया। दोहरी नागरिकता का प्रावधान ख़त्म हुआ। सिर्फ नागरिकता ही नहीं बल्कि दो निशान, दो प्रधान और दो विधान की व्यवस्था भी निरस्त हो गई। जम्मू कश्मीर भी देश के अन्य राज्यों की तरह सामान्य राज्य हो गया..अब पूरे देश के लिए संसद जो भी कानून बनाती है वो कश्मीर में भी समान रूप से लागू होते हैं। पहले ऐसा नहीं था कोई भी कानून जम्मू कश्मीर में लागू होगा या नहीं ये फैसला वहां की विधान सभा तय करती थी जिसमें घाटी के नेताओं का बहुमत होता था और वो अपने हिसाब से राज्य के अवाम का मुस्तकबिल यानी भविष्य तय करते थे। अब वो सब खेल खत्म हो गया है। पूरे देश की तरह अब जम्मू कश्मीर में भी भारतीय दण्ड संहिता यानी आईपीसी लागू हो गई है। पहले ऐसा नहीं था। शिक्षा और सूचना का अधिकार भी अवाम को मिला। सफाई कर्मचारी एक्ट 1950 लागू होने के बाद अब राज्य में पीढ़ियों से रह रहे अनुसूचित जातियों के सफाई कर्मचारियों को नागरिकता और नागरिक अधिकार मिल गए हैं।