दिल्ली: पूरे विश्व मे कोरोना महामारी ने आर्थिक मोर्चे पर जमकर नुकसान पहुंचाया है, जिसकी भरपाई की चिंता में हर देश को।चलाने वाले परेशान है, पर चौकानें वाली बात ये है कि भारतीयों का पैसा स्विस बैंक में जमा है उसमें बढ़ोतरी हुई है, ये घोषणा स्विस नेशनल बैंक की तरफ से की गई है।
स्विस बैंक क्या है, जैसे हमारे देश का रेगुलेटर बैंकिंग इंडस्ट्री का रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का है, वैसे ही स्विट्जरलैंड के सारे बैंकों का जो रेगुलेटर है, जो रिस्पांसिबल है स्विस फ्रैंक छापने के लिए, जो रिस्पांसिबल है उस देश की मॉनीटरी पॉलिसी का निर्धारण करने के लिए।
उस स्विस नेशनल बैंक में एक बहुत ही चौंकाने वाला आंकड़ा है। उसमें ये आंकड़ा आया कि 2020 में क्योंकि स्विट्जरलैंड में वित्तीय वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर होता है। तो 2020 में 2019 की तुलना में जो भारतीयों द्वारा वहाँ पैसा रखा गया है स्विस बैंक में, वो 286 प्रतिशत हो गया, अर्थात अगर 2019 में 100 रुपए जमा थे, तो 2020 में 286 रुपए जमा हो गए हैं। पिछले 13 साल की हाईएस्ट रकम वहाँ पर है। कितनी है, किस-किस खाते, किस-किस मद में किसकी है, वो सब विवरण स्विस बैंक की वेबसाइट से एनुअल रिपोर्ट से एक-एक डेटा निकालने पर जो आंकड़ा आता है वो 286 प्रतिशत का आता हैं। समझने के लिए मान लीजिए 1 रुपया अगर था, तो 2 रुपए 86 पैसे हो गया। स्विस बैंक का ये आंकड़ा 2019 से 2020 तक का हैं 2.86 ये पिछले 13 साल का उच्चत्तम है।
ये आंकड़े ऐसे समय में आये, जब देश में रोजगार और काम धंधे की बैंड बजी हुई हैं, 2020 में 97 प्रतिशत देश के लोगों की आय कम हुई है। इस दौरान इसी साल स्विस बैंक में जो पैसा बढ़ा है भारत का, वो 286 प्रतिशत हो गया। देश की GDP माइनस में चल रही हैं।
बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट ने एक और चौंकाने वाला आंकड़ा दिया। उसने कहा ये पैसा भारत के इंडिविजुअल व्यक्तियों का है, उन्हीं के द्वारा ये डिपॉजिट जमा कराया गया 2020 में, वो 2019 की तुलना में 39 प्रतिशत बढ़ा हुआ है। ऐसे में बैंक के मुताबिक इंडिविजुअल व्यक्तियों का डिपॉजिट कैश बढ़ रहा है।इसमें टोटल लायबिलिटी है स्विस बैंक की, वो 286 प्रतिशत हो गई। मतलब लगभग 3 गुना जो 2019 में थी, जो 2020 में उससे 3 गुना से ज्यादा हो गई, 3 गुना से बढ़ गई वो। तो 286 प्रतिशत हो गई टोटल लाइबिलिटी। इंडिविजुअल जो पैसा जमा करा रहे हैं स्विस बैंक में BIS, के हिसाब से 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 13 साल में इतना पैसा कभी जमा नहीं हुआ।
इन आंकड़ो के आते ही कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुये तीखे सवाल उठाये है, कांग्रेस पार्टी के नेता और अर्थशास्त्री प्रो गौरव वल्लभ ने कहा सरकार इसपर जबाव दे आखिर ये कौन लोग हैं, जिनका पैसा देश से बाहर गया है, और पिछले 7 साल में कितना काला धन आप वापस लेकर आये देश में। प्रो गौरव ने कहा हम श्वेत पत्र की मांग करते है –
पिछले 7 साल में मोदी सरकार का जो इकोनॉमिक मॉडल जो देश के सामने आ रहा है, उसमें तीन लो हैं, तो तीन हाई हैं। लो क्या-क्या हैं – जीडीपी लो है, मांग लो है और इन्वेस्टमेंट अर्थात नया निवेश लो है। और हाई क्या–क्या है – फॉरेन डिपोजिट। हाई क्या है – बेरोजगारी। हाई क्या है – महंगाई। तो ये मोदी नॉमिक्स है, जिसमें जिन चीजों को लो होना चाहिए, वो हाई हैं और जिन चीजों को हाई होना चाहिए, वो लो हैं।
आंकड़ा स्विस बैंक से लिया है कि स्विस बैंक कि भारतीयों के प्रति जो लायबिलिटी थी कुल, वो 892 मिलियन स्विस फ्रैंक की थी 2019 में। जो 2020 में बढ़कर 2,553 मिलियन स्विस फ्रैंक अर्थात् 7,200 करोड़ भारतीय रुपए से बढ़कर ये 20,706 करोड़ रुपए भारतीय हो गया है। ये स्विस नेशनल बैंक है, उसी की वेबसाइट से मैंने ये आंकड़ा लिया है। और इसमें जो रोज जो सबसे ज्यादा बढ़त हुई है, वो हुई है कि हमारे देश के लोगों ने स्विस बैंकों को जो हमारे देश के लोगों को बांड, सिक्योरिटी, इन्वेस्टमेंट के रुप में देना था, जो 254 मिलियन स्विस फ्रैंक था 2019 में, वो 1,665 मिलियन स्विस फ्रैंक हो गया है। ये टोटल लायबिलिटी का भाग है, क्योंकि जब हम टोटल लायबिलिटी बोलते हैं, स्विस बैंकों की जो टोटल लायबिलिटी भारतीयों के प्रति थी, वो 2019 में 7,200 करोड़ रुपए थी, जो 2020 में बढ़कर 20,706 करोड़ रुपए हो गई है। इसी को हम कह रहे हैं 286 प्रतिशत की वृद्धि।
इसमें वृद्धि के कारण क्या-क्या हैं। टोटल लायबिलिटी के तीन मत हैं – एक तो कस्टमर डिपॉजिट, एक बैंकों द्वारा डिपॉजिट और एक जो भारत के लोगों ने स्विस बैंक में जो बैंकों के बांड, इन्वेस्टमेंट सिक्योरिटी खरीदी है, उसके प्रति स्विस बैंकों का भारत के लोगों के प्रति दायित्व है। इसमें Liability due to banks and amount due to customer in bonds and securities, दोनों में वृद्धि हुई है। कस्टमर डिपॉजिट की जहाँ तक बात है, उसमें जो बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट है। ये एक संस्था है, बीआईएस, जो कि स्विट्जरलैंड में है, जिसमें दुनिया के सारे सेंट्रल बैंक, जैसे हमारे देश का रिजर्व बैंक है, स्विट्जरलैंड में स्विस नेशनल बैंक है। वो सारे मैंबर हैं।
पहला, 2014 से पहले और ये मैं आपको आंकड़ा जो दे रहा हूं कि भारतीय जनता पार्टी का आधिकारिक आंकड़ा है। उन्होंने कहा कि सिर्फ स्विट्जरलैंड में 250 बिलियन डॉलर भारतीयों का पड़ा है। 250 बिलियन डॉलर मतलब साढ़े 17 लाख करोड़ रुपए। तो ये साढ़े 17 लाख करोड़ रुपए जो स्विट्जरलैंड में बढ़ा था, उनमें से साहब कितना पैसा आया पिछले 7 सालों में? और देशों की बात नहीं कर रहे हैं, सिर्फ स्विट्जरलैंड का, वो भी हम सिर्फ बीजेपी का ही आंकड़ा हम यहाँ पर कोट कर रहे हैं कि पिछले 7 सालों में इन साढ़े 17 लाख करोड़ रुपए में से कितना पैसा भारत में वापस आया, कौन-कौन वो लोग हैं, जिनसे आप पैसा ला पाए? 97 प्रतिशत लोगों की जब आय घट रही थी, उस दौरान स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों का जो जमा है, वो कैसे बढ़ रही थी? क्या इसी को आपदा में अवसर कहा जाता है?
हमारा दूसरा सवाल है – क्या 2014 में जो वायदा किया था कि हम सारा पैसा लेकर आएंगे, हम ये पूछना चाहते हैं कि ये जो 20,706 करोड़ रुपए भारतीयों का स्विट्जरलैंड में हैं, ये कौन लोग हैं, इनके नाम साझा किए जाएं देश के सामने? इनका पैसे का नेचर क्या है, क्या ये करप्शन का पैसा है, क्या ये ब्लैक मनी है, क्या ये आतंकवाद से जुड़ा हुआ पैसा है? इन सभी का उत्तर देश की जनता के सामने सरकार रखे?
हम ये मांग करते हैं कि उन सब लोगों के नाम, पते, उनके बिजनेस, उनके पैसे की प्रकृति, उन्होंने कब पैसा जमा कराया, इन सबका ब्यौरा आज देश के सामने रखा जाए।
पिछले 7 सालों में ब्लैक मनी से कितना पैसा देश ने वापस विदेशों से लिया, उन सबका ब्यौरा देश के सामने रखा जाए। इस पर्सपेक्टिव से जो 286 प्रतिशत की जो वृद्धि हुई, 13 साल के हाईएस्ट अमाउंट पर स्विस बैंक में भारतीयों का पैसा पहुंच चुका है। इन सबके पर्सपेक्टिव में हम मांग करते हैं डिस्क्लोज करें।
देश के सामने वाइट पेपर रखा जाए, जिसमें ये बताया जाए कि पिछले 7 सालों में कितना ब्लैक मनी विदेशों से भारत सरकार ने कलेक्ट किया और कौन-कौन वो लोग हैं, जिनसे कलेक्ट किया, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी स्वयं एक आंकड़े में ये माना कि सिर्फ स्विट्जरलैंड में भारतीयों का साढ़े 17 लाख करोड़ रुपए है, तो उसमें से कितना पैसा देश में वापस आया? क्योंकि बात हुई थी 15 लाख रुपए हर हिंदुस्तान के व्यक्ति के खाते में डालने की, बात हुई थी कि 250 बिलियन डॉलर स्विट्जरलैंड से वापस लाने की, तो कितना पैसा वापस आया और 15 लाख रुपए का जो पहला इंस्टॉलमेंट है, वो देश के प्रति व्यक्ति के खाते में कब तक जाएगा?