Takshaka Post Exclusive-शुशांत सिंह राजपूत केस में वोट की राजनीति के लिए गुप्तेश्वर पांडे के साथ मिलकर CBI जांच की राजनीति, खेलने वाले कुशासन बाबू क्यों चुप है मधुबनी नरसंहार पर !
बिहार की धरती पर इस बार गुलाल नहीं खून की होली खेली गई मधुबनी के बेनीपट्टी के महमदपुर गांव में । एक साथ परिवार के 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। पीड़ित परिवार से एक बेटा भारतीय बॉर्डर सिक्योरिटी (BSF) के लिए जैसलमेर में ड्यूटी करते हुये तैनात था, और होली की छुट्टी में अपने गांव आया हुआ था, जहाँ पर उसके तीन भाइयों और पिता सहित हत्या कर दी गई। मारे गए जवान राणा प्रताप सिंह के चाचा राम नारायण सिंह के द्वारा प्राथमिक दर्ज करवाई गई है जिसमें कुल 35 लोगों को चिन्हित किया गया है। राम नारायण सिंह का बेटा मनोज भी इस घटना में घायल हुआ है, और अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा हैं। घायल मनोज अपने गांव के ही स्कूल में अध्यापक है।
तक्षकपोस्ट से बात करते हुये राम नारायण सिंह ने आश्चर्यजनक खुलासे किये है, राम नारायण सिंह ने पूर्व में तक्षकपोस्ट के द्वारा पिछले खुलासे में इस बात को स्वीकार किया है जहां उनके परिवार के व्यक्ति और महंत की हत्या की बात की गई 1993 में। लेकिन इसके साथ कुछ ऐसे आश्चर्यजनक खुलासे है जिनपर ना तो स्थानीय मीडिया के द्वारा बात की गई ना ही किसी नेता या पार्टी के द्वारा। सभी की कोशिश बस ये रही कि मामलें को मामूली घटना और आपसी रंजिश के नाम पर मोड़ा जा सके। ऐसा करने के पीछे मंशा साफ़ है न्याय की मांग खुद दम तोड़ दे। पीड़ित परिवार की सुरक्षा और अनाथ बच्चों के भविष्य के लिए अतीत में जाना जरूरी है और ये देखना भी दिलचस्प की नितीश कुमार की पुलिस कैसे काम करती है ! ये घटना बिहार में सुशासन के तमाम दावों की धज्जियां उड़ाती दिख रही है।
पार्ट-1 पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक कीजिए
स्थानीय भाजपा विधायक विनोद झा को काफ़ी ताकतवर माना जाता है। उनके संरक्षण में इलाके से वसूली और अन्य अपराध में संरक्षित गुंडे भरपूर नमक अदा करते है, महमदपुर की घटना के पीछे के कारण को भी समझिये !!
मृतक राणा प्रताप सिंह के एक भाई संजय सिंह का स्थानीय 22 पोखरों या तालाबों को ( जहां मछलियां पालने का काम किया जाता है) लीज पर लेकर मछली पालने का कारोबार है।उनमें से एक पोखरे पर जो बलहा के नाम से जाना जाता है, आरोपी विनय झा, प्रवीण झा, भोला सिंह, चंदन झा, सुमेश भारती, और अन्य के द्वारा मछली मारने और दारू पीकर गंदगी पोखरे में डालने को लेकर 17 नवंबर 2020 को एक विवाद होता है, इस विवाद में बात बस इतनी सी थी कि संजय सिंह ने अपनी तरफ़ से आपत्ति जताई थी, बिना पूछे मछली मारने और वहीं बैठकर दारू पीने को लेकर। लेकर इस घटना के बाद आरोपियों ना सिर्फ ख़तरनाक मंसूबों के तहत पूरी होली की प्लानिंग की और परिवार के पुरुषों को मौत के घाट उतार दिया। ताकि कोई लड़ने वाला ना बचें।
पीड़ित परिवार ने होली की सुबह लोगों की अपुष्ट सूचना के आधार पर पुलिस को, थाना प्रभारी को आगाह किया था कि कोई वारदात हो सकती है, पर पुलिस ने कोई संज्ञान नहीं लिया और मौके वारदात पर 1 बजे कई राउंड गोलीबारी हुई, बल्कि तसल्ली से अपराधी निकल भागें। शाम के 5 बजे तक लाशें पड़ी रही पुलिस ने घटना स्थल पर आना तो दूर आने के बाद भी फोरेंसिक जांच करवाने की जरूरत नहीं समझी।
सवाल कई है, जिनकेे जबाव जरूरी है
नरसंहार से पीड़ित परिवार कि सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित क्यों नहीं किया गया।
आरोपियों को क्यों घटना के तुरंत बाद नहीं गिरफ्तार किया गया।
क्यों और किस तरह का संरक्षण था, प्रवीण झा , समेत सभी आरोपियों को क्योंकि खुलेआम उसकी तस्वीर पुलिस वालों के साथ बाजार में घूम रही है।
इतने हथियार कहा से आये, और अन्य मामलों में भी शामिल ये अपराधी कैसे खुलेआम घूम रहे थे ??
रावण सेना ,बजरंग दल के साथ जुड़े इसके कनेक्शन की जांच और अपराध में संगलिप्ता पर खानापूर्ति की कारवाई क्यों हुई है!??
SP, DSP, DM को तत्काल क्यों नहीं हटाया गया , थानेदार महेंद्र सिंह को क्यों किसके कहने पर बचाया जाता रहा है।
घटना वाले गांव से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर सेमली गांव से पुलिस आरोपियों को पकड़ती है, पर बताती है नेपाल से गिरफ्तार किया गया क्यों ???
क्यों पुलिस पोखर विवाद को उछाल रही है, क्यों नेताओं और अपराधियों की सांठगांठ पर जांच नहीं कि जा रही।
घटना के बाद नीतीश कुमार क्यों मुँह सील कर बैठे रहते है कई दिनों के बाद और IAS अधिकारी की इस बात में सच्चाई , की वो बचना चाहते है विनोद झा को पर जबाव क्यों नहीं दे रहे।
कौन है भाजपा में जिसका नीतीश कुमार पर विनोद झा को बचाने का दबाव है।
एक तो अपराधी और दूसरे सत्ता, पुलिस का संरक्षण, इस कहासुनी के बाद उल्टे चोर कोतवाल को डांटे की तर्ज़ पर आरोपियों ने संजय सिंह का पैर खुखरी से काट डाला, संजय सिंह को अस्पताल में भर्ती किया गया अत्यधिक खून निकलने के कारण, कायदे से जिसके साथ घटना होती है रिपोर्ट उसकी तरफ से दर्ज की जाती है, पर इस मामलें में भी थाना प्रभारी महेंद्र सिंह के द्वारा आरोपियों की तरफ से पैसे लेकर मामला संजय सिंह के ऊपर दर्ज किया जाता है SC, ST एक्ट में।
संजय सिंह अभी भी जेल में है , इस केस में आने वाले दिनों में जमानत मिलने की बात परिवार की तरफ से बताई गई है। सिर्फ थाना प्रभारी ही नहीं SP और DSP भी इन अपराधियों के पालन हार है वरना 9MM की पिस्टल और AK47 के अलावा अन्य घातक हत्यारों को लेकर घूमने वाले लोग जिनपर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमें है इतने बेखौफ कैसे है! आरोपी पुलिस वालों को तत्काल वहां से हटाया जाना जरूरी है ताकि पीड़ित परिवार और मामलें को किसी तरह से हानि ना पहुंचाया जा सकें। UPA क्यों नहीं लगाया गया है इनके ऊपर।
चोर-चोर मौसेरे भाइयों की तर्ज़ पर भाजपा और जदयू बिहार में एक नया विकास कर रही है ! ये विकास है अपराध का ! , अशिक्षा का ! खराब स्वास्थ्य का ! महिला अपराध में नये कीर्तिमान का ! भाई भतीजावाद का ! ऐसा क्यों कहा नीचे चिट्ठी को देखकर आप अंदाजा लगा सकते है।
मौजूदा सरकार और नीतीश की मजबूरी अपनी कुर्सी बचाने की बीजेपी गठबंधन में कितनी है ये देखिये पूरा कुनबा इस कोशिश में है कि स्थानीय विधायक और भाजपा के नेता विनोद झा को किसी भी तरह बचा लिया जाये। विनोद झा के संरक्षण में तमाम इलाके के गुंडे और मवाली स्थानीय लोगों को अपनी गिरफ्त में लेते है जिसमें पुलिस के आला अधिकारियों की मिलीभगत रहती है। इस लिए आज बेनीपट्टी में खून की होली खेली गई। बिना किसी डर और कानून के खौफ के। नीतीश कुमार का स्पष्ट आदेश है कि विधायक विनय झा को बचाना है ऐसा आरोप लगाया है, 94 बैच के IAS अमिताभ दास ने चिट्ठी में साफ़तौर पर उन्होंने DGP से न्याय और जांच की मांग की है।