बिहार में नितीश कुमार और भाजपा गठबंधन की सरकार है, जिस तेजी से भाजपा सरकार बनाने को लालायित रहती है,ठीक उसी तेज़ी से बिहार में सुशासन अब कुशासन का चोला ओढ़ कर बेलगाम बढ़ता जा रहा है, दिन दहाड़े हत्या और महिलाओं के साथ होने वाले सभी अपराध में बिहार सूची में पहले नम्बर पर है! पर क्या मजाल की कोई नितीश कुमार को न्याय करने पर देरी पर सवाल पूछ लें, क्योंकि लोकल स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पैसे की बदौलत खबर रुकवाना और दबाना नितीश कुमार का प्रिय शगल है, बात चाहे मुजफ्फपुर बालिका सेल्टर होंम, की हो या सृजन घोटाला, आज तक किसी पर कोई कारवाई नहीं हुई है! पिछले दिनों सदन की मर्यादा भी तार-तार होते देखा पूरे देश ने लेकिन इस बार मामला इतना संगीन है, जिसकी माफी नहीं है एक सभ्य समाज में। होली के दिन मधुबनी में सरेआम नरसंहार हुआ पर अपराधी अभी तक पुलिस के चुंगल से बाहर है। प्रशासन और नितीश कुमार पर बड़ा सवाल है!
मामला क्या है-
बिहार में मधुबनी बेनीपट्टी अनुमंडल हरलाखी विधानसभा के मोहम्मदपुर में होली के दिन सोमवार को दोपहर 1 बजे गांव में खून की होली खेली गई, एक परिवार के तीन सहोदर भाइयों के साथ 4 व्यक्तियों की धोखे से हत्या कर दी गई। 5 परिवारों के मुखिया एवं पुरूष सदस्यों को घेर के मारा गया, घटना में कई व्यक्ति घायल भी हुये उनमें से 2 अन्य व्यक्तियों की आज मौत हुई है। पुरजोर कोशिश हुई जाति के आपसी विवाद में घटना रंगने की पर असल कहानी से पर्दा तक्षकपोस्ट उठायेगा। ये कोई जातिगत संघर्ष नहीं, पर न्याय और अपराध की लड़ाई थी जिसे रास्ते से हटाने की कोशिश हुई और मामला दबाने में संरक्षण मिला सत्ता और दबंग नेताओं का। बिहार में ही नहीं पूरे देश में भाजपा के अंदर भूमाफियाओं को जिस तरफ से बढ़ावा और पॉवर मिल रही है ऐसे में ये घटना बहुत सारे सवाल छोड़ जाती हैं। क्या आम आदमी की कोई सुनने वाला है !
क्या हुआ घटना वाले दिन-
पूरे देश में जब होली के रंग और गुलाल उड़ रहे थे, ठीक उसी वक्त स्थानीय भाजपा विधायक विनोद झा के संरक्षण में गांव के ब्राह्मणों की भीड़ जिसका नेतृत्व बजरंगदल का स्थानीय नेता प्रवीण झा कर रहा था, ने गांव के पूर्व फौजी ,अब मृतक सुरेंद्र सिंह को उनके बेटों समेत घेर कर अन्य रिश्तेदारों के साथ मौत की नींद सुला दिया। ये घटना बेहमई कांड को भी पीछे छोड़ कर आगे निकल गई है। अंधाधुंध फायरिंग AK-47 के द्वारा हुई, इसके अलावा फरसा और अन्य हथियारों से लैस ये अपराधी इस घटना को अंजाम देकर बड़े आराम से निकल जाते है और पुलिस 4 घंटे बाद भी मौका वारदात पर नहीं जाती। क्या ये बिना पुलिस और सत्ता के संरक्षण के संभव है???
इस हमले में BSF में जैसलमेर में तैनात सब इंस्पेक्टर राणा प्रताप सिंह, उनके भाइयों , एवं पिता सुरेंद्र सिंह, रणविजय सिंह, अमरेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह को परिवार के अन्य रिस्तेदारों को एक साथ घेर कर गोलियों से छलनी कर दिया गया। बल्कि सामूहिक तौर पर नरसंहार किया गया, जिसे आजकल (mob lynching) कहा जाता है। घटना कितनी भयंकर और घातक है, अपराधियों ने चुनचुन कर परिवार के पुरुष सदस्यों को जो मुखिया थे, मौत के घाट उतार दिया। क्यों उतारा गया ये कारण भी बहुत महत्वपूर्ण है, और इसमें बाकायदा पूरी प्लानिंग के साथ होली के दिन को चुना गया।
1. राणा प्रताप सिंह, BSF SUB INSPECTOR , जैसलमेर POSTED ।
2. अमरेन्द्र सिंह ।
3 . रणविजय सिंह ।
4. सुरेन्द्र सिंह , भूतपूर्व भारतीय सैनिक , इनके तीन बेटे एक साथ मार दिऐ गये।
5. विरेंद्र सिंह ।
सवाल कई है ??
1.प्रवीण झा को विनोद झा का संरक्षण क्यों था!
2.अपराधियों को AK-47, कैसे मिला ??
3.स्थानीय पुलिस को क्यों घटना के बाद घटना स्थल पर पहुंचने में 4 घण्टे से ज्यादा का वक्त लगा!
4.नितीश कुमार और भाजपा के नेताओं का इस पर मुँह नहीं खोलना !
घटना के पीछे की कहानी-
मधुबनी के मोहम्मदपुर गांव निकुम्भ क्षत्रियों का गांव हैं, जिसमें क्षत्रियों ने ब्राह्मणो को जमीन देकर बसाया था। इस गांव में क्षत्रियों का एक मंदिर है जिस पर ब्राह्मण समाज के लोग कब्ज़ा करना चाहते हैं। सन 93 में इसी कब्ज़े के कारण क्षत्रिय समाज के ही इस मंदिर के महंत कि हत्या ब्राह्मण समाज द्वारा कि गई थी। जिस महंत की हत्या हुई थी, वो होली की नरसंहार में मारे गये व्यक्तियों के परिवार से ही थे।
यह मिथिला क्षेत्र पूरा ब्राह्मण बहुल है,और क्षत्रियों कि आबादी बेहद कम है। जिस क्षेत्र में यह घटना हुई है वहां क्षत्रियों के इक्का दुक्का गांव ही हैं, और आसपास ब्राह्मणों की भारी आबादी है। मृतक परिवार के कारण मंदिर की ज़मीन पर कब्ज़ा करने में सफलता नहीं मिल पा रही थी, इसी कारण इस पूरे परिवार को रास्ते से हटाने के लिए इतना बड़ा षड्यंत्र किया गया । बेनीपट्टी से भाजपा विधायक विनोद झा के संरक्षण में होली के दिन पूरे परिवार को घेर कर ब्राह्मणों की भीड़ ने हमला किया और सभी 6 पुरुषो को मौत के घाट उतार दिया। हत्यारों ने ये सुनिश्चित किया कि पूरे परिवार में कोई भी लड़ने वाला जिन्दा ना रहे, घटना के बाद मुखिया के बिना अनाथ हुये परिवार में सिर्फ छोटे बच्चें और महिलाएं पीछे रह गई है।
ये खेल ब्राह्मण और क्षत्रिय की नहीं असल में जमीन कब्ज़ा करने की है-
पूरे मिथलांचल सहित अन्य जगहों पर भाजपा नेताओं और अन्य गुंडों की नज़र में ऐसी ज़मीनें है, जिनकी कीमतों में उछाल भाजपा के आने के बाद आया है, इस सूची में सैकड़ों साल पुराने बहुत सारे मंदिर और मठ हैं। 2010 के बाद संघ, विहिप और बजरंग दल ने अलग दांव चलाया और अधिकतर जगहों को कब्जाने और उसमें विश्व हिंदू परिषद का बोर्ड लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई। बहुत से जगहों पर इसका विरोध भी हुआ। पर धीरे धीरे सरकारी समर्थन और भावनाओं के दोहन से यह बात बढ़ती गयी। संघ ने अपनी सुविधा के अनुसार अलग अलग जगहों पर जाति का कार्ड खेला है , जिसमें पार्टी और सत्ता का हिस्सा भी है ऐसे दांव को संरक्षण देती है , तभी इतने बड़े नरसंहार पर ना कोई उचित और न्याय की पहल दिख रही है बल्कि स्थानीय मीडिया में इसे मात्र एक जाति का विवाद बता कर लीपापोती की कोशिश और विपक्षी पार्टियों का चुप लगा जाना संदेहास्पद है।
प्रशासन की तरफ से पहल और अन्य पहलुओं पर कल भी जारी रहेगी ये पड़ताल ….