बलात्कार किसी के लिए भी मानसिक आघात और ना भूलने वाले नासूर की तरह है जो महिला की मनोस्थिति को तोड़ कर रख देता है अगर परिवार और समाज का साथ ना मिले। पर क्या न्याय के चौखट पर आपको ये कहा जाए कि बलात्कारी से शादी कर लो तो फिर न्याय और अपराध की कसौटी कौन तय करेगा ?
एक सरकारी कर्मचारी की ओर से रेप केस में गिरफ्तारी से संरक्षण मांगे जाने की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा वो बेहद निराशाजनक और खतरनाक साबित हो सकता है अपराध की दृष्टि से। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने आज एक अजीबोग़रीब शर्त रखी जिसपर हंगामा शुरू हो गया है। सर्वोच्च अदालत ने आरोपी से कहा कि वह पीड़िता से शादी करने को हामी भरेगा तभी बेल मिलेगी वरना जेल में रहना होगा।
सुप्रीम कोर्ट में मोहित सुभाष चव्हान की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी। महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिक प्रोडक्शन कंपनी में टेक्नीशियन मोहित पर एक स्कूली बच्ची से रेप का आरोप है और उस पर बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (POSCO) की गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, ”यदि आप शादी करना चाहते हैं तो हम मदद कर सकते हैं।
घटना 2012 की है घटना के बाद जब पीड़ित लड़की का परिवार पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने गया तो आरोपी की मां ने शादी का प्रस्ताव रखा था। हालांकि पीड़िता ने इसे ठुकरा दिया था।
चीफ जस्टिस ने एक और मौका देते हुए आरोपी से पूछा, ”क्या तुम उससे शादी करोगे?” आरोपी के वकील ने कहा, ”हम बातचीत करके बताएंगे।” चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि आरोपी को लड़की को लुभाने और रेप करने से पहले सोचना चाहिए था। वह जानता था कि वह सरकारी कर्मचारी है।
कोर्ट ने आरोपी को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को चार सप्ताह के लिए गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और वह रेग्युलर बेल के लिए अप्लाई कर सकता है।
सवाल ये है कि क्या इस तरह के मामले उचित ठहराए जा सकते है किसी भी तरह से क्या बलात्कार जैसे अपराध में शादी को जायज़ ठहराया जा सकता है।