नई दिल्ली:किसान आंदोलन को लेकर जिस तरह से सरकार का अब तक रुख रहा है और जिस तरह से शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे आंदोलन को कुचलने की कोशिश हुई है, जिसमें भाजपा के नेताओं का भरोसेमंद दीप सिद्धू और पंजाब के कुख्यात गैंगस्टर लक्खा का नाम उछलने के बाद बीजेपी की नीयत पर सवाल उठने लगे है। इधर किसान आंदोलन की बढ़ती आंच को देखते हुये विपक्ष की 16 पार्टियो ने आज सरकार को घरते हुये अपना संयुक्त बयान जारी किया है।
भारत के किसान मिलकर तीन खेती विरोधी कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, जो भाजपा सरकार ने मनमाने ढंग से उन पर थोपकर लागू कर दिए हैं। ये कानून भारत की कृषि के लिए बड़ा खतरा हैं, जिस पर देश की 60 प्रतिशत जनता एवं करोड़ों किसान, बंटाईदार और खेत मजदूर की आजीविका निर्भर है।
दिल्ली की सीमाओं पर कड़कड़ाती सर्दी और भारी बारिश के बावजूद लाखों किसान पिछले 64 दिनों से अपने अधिकारों व न्याय की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। 155 से ज्यादा किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन सरकार के कान पर जूँ नहीं रेंग रही, उल्टा भोले-भाले किसानों के ऊपर वाटर कैनन, आँसू गैस के गोले और लाठियां बरसाई गई हैं। एक वास्तविक जन आंदोलन को बदनाम करने की बदनीयत से सरकार द्वारा प्रायोजित दुष्प्रचार के द्वारा किसानों पर कीचड़ उछालने का हर संभव प्रयास किया गया है।
यह आंदोलन और विरोध प्रदर्शन प्रायः शांतिपूर्वक रहा है। दुर्भाग्य से 26 जनवरी, 2021 को दिल्ली में हिंसा की कुछ घटनाएं हुईं, जिनका हर जगह एक स्वर और स्पष्ट रूप से निंदा हुई। हम भी मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहे दिल्ली पुलिस के जवानों को चोट लगने पर अपना दुख व्यक्त करते हैं। लेकिन हमारा मानना है कि यदि इन घटनाओं की निष्पक्ष जाँच हो, तो इन घटनाओं को अंजाम देने के लिए केंद्र सरकार की नापाक भूमिका सबसे सामने खुलकर आ जाएगी।
तीन कृषि कानून राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण और संविधान की संघीय भावना का उल्लंघन करते हैं। यदि इन कानूनों को निरस्त नहीं किया गया, तो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा की व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य, सरकारी खरीद और जन वितरण प्रणाली यानि पीडीएस के स्तंभों पर आधारित है। कृषि अध्यादेश राज्यों, किसान संगठनों की सलाह के बगैर लाए गए थे और इसमें राष्ट्रीय सहमति नहीं थी। इन कानूनों की संसदीय समीक्षा नहीं हुई और विपक्ष की आवाज दबाकर, संसदीय नियमों, प्रथाओं व परंपराओं को ताक पर रखते हुए इन कानूनों को देश पर थोप दिया गया। इन कानूनों की संवैधानिकता ही सवालों के घेरे में है।
प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार अहंकारी, जिद्दी एवं अलोकतांत्रिक रवैया अपनाए हुए हैं।
सरकार की असंवेदनशीलता से आहत होकर, हम यानि निम्नलिखित विरोधी दलों ने भारतीय किसानों के साथ खड़े रहते हुए किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की सामूहिक मांग के लिए शुक्रवार, 29 जनवरी, 2021 को संसद के दोनों सदनों में माननीय राष्ट्रपति महोदय के संबोधन का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
नेताओं व दलों की सूची निम्नलिखित हैः
1.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
श्री गुलाम नबी आजाद, नेता विपक्ष, राज्यसभा
श्री अधीर रंजन चौधरी, नेता, कांग्रेस, लोकसभा
डॉक्टर आनंद शर्मा, डिप्टी लीडर, कांग्रेस, राज्यसभा
श्री जयराम रमेश, चीफ व्हिप, कांग्रेस, राज्यसभा
श्री सुरेश कोडिकुन्नील, चीफ व्हिप, कांग्रेस, राज्यसभा
2.एनसीपी
शरद पवार, नेता, एनसीपी, राज्यसभा
श्रीमती सुप्रिया सुले, नेता, एनसीपी, लोकसभा
3.जेकेएनसी
डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला, नेता, जेकेएनसी, लोकसभा
4.डीएमके
श्री टी. आर. बालू, नेता, डीएमके, लोकसभा
श्री तिरुचि सिवा, नेता, डीएमके, राज्यसभा
5.एआईटीसी
श्री डेरेक ओ ब्रायन, नेता, एआईटीसी, राज्यसभा
श्री सुदीप बंदोपाध्याय, नेता, एआईटीसी, लोकसभा
6.शिवसेना
श्री संजय राउत, नेता, शिवसेना, राज्यसभा
श्री विनायक भाऊराव राउत, नेता, शिवसेना, लोकसभा
7.सपा
प्रोफेसर राम गोपाल यादव, नेता, सपा, राज्यसभा
8.राजद
प्रोफेसर मनोज झा, सांसद, राज्यसभा
9.सीपीआई (एम)
श्री एलामाराम करीम, नेता, सीपीआई (एम), राज्यसभा
श्री पी आर नटराजन, नेता, सीपीआई (एम), लोकसभा
10.सीपीआई
श्री बिनॉय विश्वम, नेता, सीपीआई, राज्यसभा
श्री के सुब्बारायन, नेता, सीपीआई, लोकसभा
11.आईयूएमएल
श्री पी के कुन्हालीकुट्टी, नेता, आईयूएमएल, लोकसभा
श्री अब्दुल वहाब, नेता, आईयूएमएल, राज्यसभा
12.आरएसपी
श्री एन के प्रेमचंद्रन, नेता, आरएसपी, लोकसभा
13.पीडीपी
श्री नज़ीर अहमद लावे, नेता, पीडीपी, राज्यसभा
14.एमडीएमके
वाइको, नेता, एमडीएमके, राज्यसभा
15.केरला कांग्रेस (एम)
थॉमस चाझिकादान, नेता, केसी (एम), लोकसभा
16.एआईयूडीएफ
श्री बदरुद्दीन अजमल, नेता, एआईयूडीएफ, लोकसभा