वाराणसी।। विवाद और काशी विद्यापीठ का पेन और कागज़ जैसा प्यार हमेशा रहा है इस बार तो मामला इन्हीं से जुड़ा हुआ है 2019 की परीक्षा में इस्तेमाल होने वाले समान को खरीदने में ही धांधली हुई और जम कर पैसा लूटा गया, विद्या के मंदिर में चोरी और धांधली करने वालों ने एक बार भी नहीं सोचा की इस मंदिर की नींव इस देश को अपनी जान देने वाले क्रांतिवीरों ने रखी है ।
जिस जगह वो चोरी और धांधली कर रहे है । इस बार तो परीक्षा में इस्तेमाल होने वाले सामान को ही अपने लिए पैसे कमाने का जरिया बना लिया। 2019 का मामला ये तब सामने आया जब RTI में कागज़ हांथ लगे। उसके बाद शिकायत कर्ता सुधांशु कुमार सिंह ने अपनी आपत्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और मुख्यमंत्री कार्यालय में की। सुधांशु ने जो शिकायत की उसकी कॉपी तक्षकपोस्ट अगली कड़ी में उसका खुलासा होगा।
शिकायकर्ता ने अपने पत्र में लिखा था कि तत्कालीन कुलसचिव डॉ साहब लाल मौर्या ने 27 दिसंबर 2019 को परीक्षा सामग्री खरीदने के लिए आदेश जारी किया था। परीक्षा संबंधी किसी भी काम एवं क्रय के लिए परीक्षा नियंत्रक अधिकृत होते हैं। इस दौरान ना तो परीक्षा नियंत्रक अवकाश पर थे और ना ही उन्होंने अपना प्रभार कुलसचिव को सौंपा था। यदि प्रभार कुलसचिव के पास था भी तो वह नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते हैं। इसके विपरीत जाकर कुलसचिव ने करोड़ों रुपये के आर्डर जारी किए जो पूरी तरह से नियम के विरुद्ध हैं। अनुमानित राशि करोड़ों में है जो घोटालें में शामिल है।
इस खेल में अभी बड़े -बड़े नाम भी शामिल है जिनका खुलासा जल्द ही तक्षकपोस्ट पर होगा, जिसमें कॉलेज के वित्तीय मामलों के अलावा फ़र्ज़ी मान्यता देने के साथ ही शिक्षकों की नियुक्ति का मसला भी है ।।
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