कांग्रेस सांसद धीरज साहू ने कहा है कि बरामद नकदी उनकी शराब कंपनियों से संबंधित है, और इसका कांग्रेस या किसी अन्य पक्ष से कोई लेना-देना नहीं है। साहू के ओडिशा और झारखंड स्थित परिसरों पर आयकर विभाग ने छापा मारा था जिसमें 351 करोड़ रुपये से अधिक की बरामदगी की गई थी। झारखंड के सांसद ने बताया, “जो नकदी बरामद की गई है, वह मेरी शराब फर्मों से संबंधित है। यह शराब की बिक्री की आय है। इस पैसे का कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है, जैसा कि कहा जा रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि वह “बिजनेस लाइन में नहीं हैं”, और उनके परिवार के सदस्य नकदी वसूली के बारे में सवालों के जवाब देंगे।
उन्होंने कहा, ‘मैं पहले ही कह चुका हूं कि यह पैसा मेरे परिवार की व्यावसायिक कंपनियों का है। आयकर विभाग का पक्ष आने दीजिए चाहे वह ‘काला धन’ हो या ‘सफेद धन’।’ धीरज साहू ने कहा, ‘मैं बिजनस लाइन में नहीं हूं। पैसों को लेकर मेरे परिवार के सदस्य जवाब देंगे। मुझे नहीं पता कि लोग इसे कैसे देख रहे हैं लेकिन मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इस पैसे का कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है।’
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कांग्रेस नेता ने कहा, “पूरा पैसा मेरा नहीं है, यह मेरे परिवार और अन्य संबंधित फर्मों का है। आईटी ने अभी छापा मारा है। मैं हर चीज का हिसाब दूंगा।”
साहू ने दोहराया कि उनके पैसे का स्रोत उनके परिवार द्वारा संचालित व्यावसायिक फर्मों से था।
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे आयकर विभाग को यह तय करने दें कि जब्त की गई नकदी ‘काला धन’ है या ‘सफेद धन’।
यह धीरज साहू की उनके परिसर से ‘अब तक की सबसे बड़ी’ नकदी बरामदगी के बाद उनकी पहली प्रतिक्रिया है।
वहीं इस मामले पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत का कहना है, “धीरज साहू एक व्यापारी हैं जो कांग्रेस सांसद भी हैं। उनका कारोबार 100 साल से अधिक समय से चल रहा है। मैंने आज उनका बयान देखा। आयकर अधिकारियों को बताना चाहिए कि क्या यह काला धन है या कुछ और।”
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मालूम हो कि कांग्रेस सांसद के परिवार के स्वामित्व वाली ओडिशा स्थित डिस्टिलरी फर्म और कुछ संबंधित संस्थाओं पर छापे मारे गए। तलाशी छह दिसंबर को शुरू हुई और शुक्रवार को समाप्त हुई थी। विभाग द्वारा ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 30-34 परिसरों की तलाशी ली गई और इस ऑपरेशन के दौरान लगभग तीन किलोग्राम सोने के आभूषण भी जब्त किए गए थे।