प्रवर्तन निदेशालय ने चीनी स्मार्टफोन निर्माता विवो-इंडिया और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ अपनी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संबंध में अपना पहला आरोप पत्र दायर किया। सूत्रों ने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम की आपराधिक धाराओं के तहत दिल्ली की एक विशेष अदालत के समक्ष अभियोजन शिकायत दायर की गई है और इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के अलावा विवो-इंडिया को भी आरोपी बनाया गया है।
जांच एजेंसी ने इस जांच के तहत लावा इंटरनेशनल मोबाइल कंपनी के एमडी हरिओम राय समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। हिरासत में लिए गए अन्य लोग चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ एंड्रयू कुआंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक थे।
ईडी ने तब यहां एक स्थानीय अदालत के समक्ष अपने रिमांड कागजात में दावा किया था कि चारों की कथित गतिविधियों ने विवो-इंडिया को गलत तरीके से लाभ कमाने में सक्षम बनाया जो भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए हानिकारक था।
इसने पिछले साल जुलाई में विवो-इंडिया और उससे जुड़े लोगों पर छापा मारा था, जिसमें चीनी नागरिकों और कई भारतीय कंपनियों से जुड़े एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया गया था।
ईडी ने तब आरोप लगाया था कि भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए विवो-इंडिया द्वारा 62,476 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि “अवैध रूप से” चीन को हस्तांतरित की गई थी। कंपनी ने कहा था कि वह “दृढ़ता से अपने नैतिक सिद्धांतों का पालन करती है और कानूनी अनुपालन के लिए समर्पित है।”
राय ने हाल ही में अदालत को बताया था कि हालांकि उनकी कंपनी और वीवो-इंडिया एक दशक पहले भारत में एक संयुक्त उद्यम शुरू करने के लिए बातचीत कर रहे थे, लेकिन 2014 के बाद से उनका चीनी कंपनी या उसके प्रतिनिधियों से कोई लेना-देना नहीं है।
राय के वकील ने अदालत को बताया, “उन्होंने न तो कोई मौद्रिक लाभ प्राप्त किया है, न ही वह वीवो-इंडिया या कथित तौर पर वीवो से संबंधित किसी इकाई के साथ किसी लेनदेन में शामिल हुए हैं, किसी भी कथित ‘अपराध की आय’ से जुड़े होने की तो बात ही छोड़ दें।”
ईडी ने वीवो-इंडिया की सहयोगी कंपनी ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (जीपीआईसीपीएल), इसके निदेशक, शेयरधारक और कुछ अन्य पेशेवर के खिलाफ पिछले साल दिसंबर की दिल्ली पुलिस की एफआईआर का अध्ययन करने के बाद 3 फरवरी को एक प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की, जो पुलिस एफआईआर के बराबर है।
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा पुलिस शिकायत दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि जीपीआईसीपीएल और उसके शेयरधारकों ने दिसंबर 2014 में कंपनी के गठन के समय “जाली” पहचान दस्तावेजों और “गलत” पते का इस्तेमाल किया था।