वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उन्होंने चुनाव लड़ने के भाजपा के प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उनके पास लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक ‘उस तरह का फंड’ नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु से चुनाव लड़ने का विकल्प दिया था।
उन्होंने टाइम्स नाउ समिट 2024 में कहा, “एक हफ्ते या दस दिनों तक सोचने के बाद, मैं यह कहने के लिए वापस गई, ‘शायद नहीं’। मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए उस तरह का पैसा नहीं है। मुझे भी दिक्कत है चाहे वो आंध्र प्रदेश हो या तमिलनाडु। जीतने लायक अलग-अलग मानदंडों का भी सवाल है…क्या आप इस समुदाय से हैं या आप उस धर्म से हैं? क्या आप यहीं से हैं? मैंने कहा नहीं, मुझे नहीं लगता कि मैं यह कर पाउंगी।”
उन्होंने कहा, “मैं बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मेरी दलील स्वीकार कर ली… इसलिए मैं चुनाव नहीं लड़ रही हूं।”
जब उनसे पूछा गया कि देश की वित्त मंत्री के पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त फंड क्यों नहीं है तो उन्होंने कहा कि भारत की संचित निधि उनकी नहीं है।
उन्होंने कहा, “मेरा वेतन, मेरी कमाई और मेरी बचत मेरी है, भारत की संचित निधि नहीं।”
निर्मला सीतारमण फिलहाल कर्नाटक से राज्यसभा सांसद हैं। वे 2006 में भाजपा में शामिल हुई थीं। 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद निर्मला सीतारमण को नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री बनाई गईं। जून 2014 में सीतारमण को आंध्र प्रदेश से राज्यसभा सांसद चुना गया। उन्होंने मई 2016 में कर्नाटक सीट से राज्यसभा चुनाव में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। सितंबर 2017 से मई 2019 तक वो देश की रक्षा मंत्री के पद पर रहीं। 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सीतारमण ने वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी।
सत्तारूढ़ भाजपा ने 19 अप्रैल से शुरू होने वाले आगामी लोकसभा चुनावों में कई मौजूदा राज्यसभा सदस्यों को मैदान में उतारा है। इनमें पीयूष गोयल, भूपेन्द्र यादव, राजीव चन्द्रशेखर, मनसुख मंडाविया और ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं। सुश्री सीतारमण कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि वह अन्य उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगी।
उन्होंने कहा, “मैं कई मीडिया कार्यक्रमों में भाग लूंगी और उम्मीदवारों के साथ जाऊंगी – जैसे मैं राजीव चंद्रशेखर के प्रचार के लिए जाऊंगी। मैं प्रचार अभियान में रहूंगी।”