प्रख्यात न्यायविद् और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन का निधन हो गया है। वह 95 वर्ष के थे। नरीमन को संविधान कानून का बहुत बड़ा जानकार माना जाता था। वह 70 साल से ज्यादा समय तक वकालत करते रहे। अगस्त 2021 में सेवानिवृत्त होने तक नरीमन सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा थे। उन्हें 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
बुधवार को एक्स पर एक पोस्ट में, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह “एक युग का अंत” है। सिंघवी ने कहा कि वे एक लिविंग लीजेंड थे, जिन्हें कानून और सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोग हमेशा याद करेंगे। अपनी उपलब्धियों के अलावा नरीमन हमेशा अपने सिद्धांतों के लिए अटल रहे।
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अपने करियर के दौरान, नरीमन कई ऐतिहासिक मामलों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने एक आत्मकथा – व्हेन मेमोरी फ़ेड्स- भी प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने एक अध्याय भोपाल गैस रिसाव मामले को समर्पित किया, जिसमें वरिष्ठ वकील के रूप में, उन्होंने यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन का प्रतिनिधित्व किया। इंदिरा गांधी के आपातकाल लगाने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित करने के फैसले के विरोध में जून 1975 में नरीमन ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद से इस्तीफा दे दिया।
नरीमन की कानूनी कुशलता उनके ऐतिहासिक दलीलों में झलकती है, जो संविधान के इकबाल को बनाए रखने और आम लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए अदालतों में मोतियों की तरह झरते थे। उन्होंने संविधान के मूलभूत ढांचे के सिद्धांत की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारतीय न्यायशास्त्र की आधारशिला है और जो संविधान के मूल सिद्धांतों को मनमाने संशोधनों से बचाता है।
नरीमन संविधान के मर्म में गहराई से उतरते थे, इस कारण मूल संरचना को संविधान की नींव करार दिया था जिस पर पूरा राष्ट्र टिका हुआ है। वो संविधान की सर्वोच्च स्थिति को दर्शाने के लिए ‘सर्वोच्च आसन पर दस्तावेज’ के रूपक का उपयोग करते हैं। यह कल्पना उस दस्तावेज के प्रति उनकी श्रद्धा को रेखांकित करती है जो देश की आत्मा को परिभाषित करता है। नरीमन संविधान के मूल सिद्धांतों को चुनौतियों के प्रति आगाह करते रहे। वो इसके मूलभूत सिद्धांतों के साथ छेड़छाड़ के संभावित परिणामों की तुलना ‘भूकंप’ से करते थे।
उनके निधन पर पीएम मोदी ने कहा,’श्री फली नरीमन जी सबसे उत्कृष्ट कानूनविद और बुद्धिजीवियों में से थे। उन्होंने अपना जीवन आम नागरिकों के लिए न्याय सुलभ कराने के लिए समर्पित कर दिया। उनके निधन से मुझे दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।’
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भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भी नरीमन की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया और कहा कि वह “एक महान बुद्धिजीवी” थे।
नरीमन का जन्म 10 जनवरी, 1929 को म्यांमार में एक पारसी परिवार में हुआ था। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस शुरू की। जब वे न्यूनतम योग्यता आयु से 38 वर्ष कम थे, तब उन्होंने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। वह 1971 से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील थे और 1991 से 2010 तक बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया था।
नरीमन को पद्म भूषण और पद्म विभूषण सहित देश के कुछ सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
कांग्रेस नेता और सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने भी उनके निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें भारत का महान सपूत बताया। सिब्बल ने कहा,’नरीमन न केवल हमारे देश के सबसे महान वकीलों में से एक थे, बल्कि वह बेहतरीन इंसान भी थे। वे सबके लिए एक महान व्यक्ति की तरह खड़े रहते थे। उनके बिना कोर्ट के गलियारे कभी भी पहले जैसे नहीं रहेंगे। उनकी आत्मा को शांति मिलें’
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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने शोक संदेश में कहा, “न केवल कानूनी बिरादरी बल्कि राष्ट्र ने बुद्धि और ज्ञान की एक महान हस्ती को खो दिया है।”
उन्होंने कहा, “देश ने धार्मिकता के प्रतीक को खो दिया है। एक महान, प्रतिमान और अपने ही जीवनकाल में एक महान व्यक्ति न्यायशास्त्र को अपने अपार योगदान से समृद्ध करके हमें छोड़कर चले गए।”
सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि उन्होंने “नरीमन के खिलाफ पेश होकर भी हमेशा कुछ नया सीखा है।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक पोस्ट में कहा, “फली नरीमन के परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं, जिनके निधन से कानूनी समुदाय में गहरा शून्य पैदा हो गया है। उनके योगदान ने न केवल ऐतिहासिक मामलों को आकार दिया है, बल्कि हमारे संविधान की पवित्रता और नागरिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए न्यायविदों की पीढ़ियों को भी प्रेरित किया है। न्याय और निष्पक्षता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनकी अनुपस्थिति में भी हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी।”
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