उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर 2018 के मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जमानत दे दी। राहुल गांधी को 25000 रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के निजी मुचलके पर जमानत दी गई। उन्होंने अदालत में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उन्होंने कोई मानहानिकारक बयान नहीं दिया है।
यह मामला 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान बेंगलुरु में गांधी द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन से जुड़ा है, जहां उन्होंने कथित तौर पर अमित शाह के बारे में “आपत्तिजनक टिप्पणियां” की थीं। भाजपा नेता विजय मिश्रा ने गांधी पर शाह की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए 4 अगस्त, 2018 को मानहानि की शिकायत दर्ज की थी।
विजय मिश्रा ने इस मामले के बारे में बताते हुए कहा कि जब यह घटना हुई, मैं उस समय बीजेपी का जिला उपाध्यक्ष था। राहुल गांधी ने बेंगलुरु में अमित शाह को हत्यारा कहा था। जब मैंने उनके इन आरोपों के बारे में सुना तो मुझे बहुत दर्द हुआ क्योंकि मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं। मैंने अपने वकील के जरिए शिकायत दर्ज कराई और यह मामला बीते 5 सालों से जारी है।
बचाव पक्ष के वकील तारकेश्वर सिंह ने कहा, “राहुल गांधी मानहानि के एक मामले में जारी समन के जवाब में अदालत में पेश हुए थे। जमानत की मांग करते हुए एक आवेदन पहले दायर किया गया था और बाद में अदालत ने जमानत दे दी। अदालत के समक्ष 25,000 रुपये की दो जमानतें जमा की गईं।’
गांधी के वकील काशी प्रसाद शुक्ला ने कहा कि अदालत के निर्देश के अनुसार उनके मुवक्किल द्वारा 25,000 रुपये का निजी मुचलका भी दाखिल किया गया।
इस बीच वकील संतोष पांडे ने संवाददाताओं से कहा, ”राहुल गांधी के वकील ने दावा किया कि वह निर्दोष हैं और उन्होंने कुछ भी (अपमानजनक) नहीं कहा है। हमने उस पर आपत्ति जताई। उनका अपराध – भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि की सजा) के तहत – जमानती है। इसलिए उन्हें जमानत दे दी गई।’
अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के कारण 18 जनवरी को अदालत की पिछली सुनवाई से गांधी की अनुपस्थिति की भाजपा ने आलोचना की थी। आज की जमानत उनके वकीलों द्वारा व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की मांग करते हुए एक आवेदन प्रस्तुत करने के बाद हुई।
गांधी की टिप्पणी के समय शाह भाजपा अध्यक्ष थे।
हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 2014 में शाह को 2005 के फर्जी मुठभेड़ मामले से बरी कर दिया था। इस मामले में उन्हें गुजरात के गृह मंत्री के रूप में कार्य करते समय आरोपी बनाया गया था।