सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के आरोपों की एसआईटी जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि मणिपुर में एसआईटी जांच का आदेश दिया गया था जहां पिछले साल मई में हिंसा भड़की थी। हालांकि, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह संदेशखाली मुद्दे की तुलना मणिपुर की स्थिति से न करें।
कोर्ट ने एसआईटी जांच वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि आप ये मांग हाईकोर्ट से करें। यहां मांग क्यों कर रहे हैं? आपने रिट याचिका क्यों नही दायर की? कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया तो है, ऐसे में यह कोर्ट मामले में दखल देते हुए सुनवाई क्यों करें?
जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पहले ही मामले का संज्ञान ले लिया है, और वह याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत दे सकता है।
कोर्ट ने कहा कि आप हाईकोर्ट जाए, जब कोर्ट ने संज्ञान लिया है तो आपको वहां जाना चाहिए। स्थानीय कोर्ट बेहतर है। हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद क्या हुआ? इस पर वकील अलख ने कहा कि हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री ने बयान दिया था और कहा था की वहां कोई रेप नही हुआ हैं। ये बिलकुल मणिपुर की तरह का मामला है। इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की तुलना मणिपुर मामले से न करें। हम आपको ये इजाजत देंगे की आप हाईकोर्ट की सुनवाई में शामिल हो सकें। अर्जी दाखिल कर सकें।
अलख श्रीवास्तव ने अदालत के दूसरे मामलों का हवाला देते हुए कहा कि इनमें भी अदालत ने सीधा दखल दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा कि आप मणिपुर से इस मामले की तुलना न करें। हाईकोर्ट के पास भी एसआईटी गठित करने का अधिकार है। ऐसे में हाईकोर्ट को ही तय करने दीजिए। हाईकोर्ट के पास पावर है कि वो एसआईटी का गठन करे।
पीठ ने याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने की छूट देते हुए कहा, ”दो मंच नहीं होने चाहिए।”
इसके बाद याचिकाकर्ता – वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने जनहित याचिका वापस ले ली और मामले को वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया।
वहीं कलकत्ता हाईकोर्ट ने विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने की इजाजत दे दी है। जस्टिस कौशिक चंदा ने सुरक्षाकर्मियों के साथ सुवेंदु को संदेशखाली जाने की मंजूरी दी है। संदेशखाली में प्रशासन ने धारा 144 लगा रखी है।हाईकोर्ट ने सुवेंदु से वहां किसी भी तरह का भड़काऊ भाषण नहीं देने का भी आदेश दिया है।
संदेशखाली में यौन हिंसा का आरोप-
संदेशखाली में कई महिलाओं ने कई टीएमसी नेताओं के खिलाफ प्रणालीगत यौन शोषण और जमीन हड़पने के आरोप लगाए थे। महिलाओं ने आरोप लगाया कि स्थानीय जिला परिषद के सदस्य शेख शाहजहां मुख्य दोषी हैं।
शेख शाहजहाँ के छिपने के बाद महिलाएँ टीएमसी नेताओं के ख़िलाफ़ आरोप लगाने लगीं। जनवरी में संदेशखली में शाहजहां के घर जा रही प्रवर्तन निदेशालय की एक टीम पर हमला किया गया था और तब से वह फरार है।
उनके दो करीबी सहयोगी – शिब प्रसाद हाजरा और उत्तम सरदार – जो टीएमसी नेता भी हैं, को पुलिस द्वारा क्षेत्र की महिलाओं की शिकायतों के आधार पर मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया है।