मणिपुर में हिंसा अब भी जारी है। मणिपुर के चुराचांदपुर में पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त के कार्यालयों वाले सरकारी परिसर पर धावा बोलने वाली भीड़ पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 42 अन्य घायल हो गए। यह घटना गुरुवार देर रात एक हेड कांस्टेबल की “हथियारबंद बदमाशों” के साथ सेल्फी वायरल होने के बाद उसे निलंबित किए जाने के विरोध में हुई। इस घटना में मरने वालों की संख्या की पुष्टि चुराचांदपुर जिला अस्पताल के एक अधिकारी ने की।
हिंसा में मारे गए लोगों की पहचान चुराचांदपुर जिले के नालोन, हेंगलेप के खामखोमंग गंगटे के बेटे लेतलालखुओल गंगटे और चुराचांदपुर जिले के तुईबोंग के एस कानन वेंग के सीलाल हाओकिप के बेटे थांगगुनलिएन हाओकिप के रूप में की गई।
चुराचांदपुर पुलिस नियंत्रण कक्ष की रिपोर्ट के अनुसार, चुराचांदपुर जिला पुलिस के एक हेड कांस्टेबल सियाम लाल पॉल के निलंबन के खिलाफ लगभग 1,000 स्थानीय लोगों की भीड़ चुराचांदपुर स्थित एसपी आवास (मिनी सचिवालय) पर एकत्र हुई। चुराचांदपुर जिला मिनी सचिवालय क्षेत्र और उसके आसपास संपत्तियों के विनाश और जलने की खबरें थीं। रात करीब 23.40 बजे भीड़ तितर-बितर हो गई।
दरअसल, लगभग 1000 लोगों की भीड़ ने गुरुवार रात मणिपुर के चुराचांदपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के कार्यालय पर धावा बोल दिया। यह घटना जिला पुलिस के एक हेड कांस्टेबल के निलंबन के कुछ घंटों बाद हुई, जिसे कथित तौर पर हथियारबंद लोगों के साथ देखा गया था। मणिपुर पुलिस ने कहा कि भीड़ द्वारा एसपी कार्यालय पर पथराव करने और अन्य हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) सहित सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागकर जवाब दिया।
रिपोर्टों से पता चलता है कि डिप्टी कमिश्नर के आवास का एक हिस्सा भी जला दिया गया, साथ ही सुरक्षा बलों के कुछ वाहन भी जला दिए गए, जो चुराचांदपुर जिले के तुईबोंग में स्थित मिनी सचिवालय के रूप में जाने जाने वाले परिसर के पास खड़े थे।
हिंसा के बाद, राज्य सरकार ने निवारक और सुरक्षात्मक उपाय के रूप में जिले में पांच दिनों के लिए इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हेड कांस्टेबल सियामलालपॉल को चूड़ाचांदपुर के एसपी शिवानंद सुर्वे ने “हथियारबंद लोगों” के साथ और “गांव के स्वयंसेवकों के साथ बैठने” का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद “तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक निलंबित” रखा था।
एक पुलिस आदेश में कहा गया, “अनुशासित पुलिस बल का सदस्य होने के नाते यह बहुत गंभीर कदाचार के समान है।”
आदेश में कहा गया है, ”चुराचांदपुर जिला पुलिस के सियामलालपॉल के खिलाफ विभागीय जांच पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि सोशल मीडिया पर एक क्लिप वायरल हो गई है, जिसमें वह 14 फरवरी को हथियारबंद लोगों के साथ वीडियो बनाते दिख रहे हैं।”
आदेश में आगे कहा गया, सियामलालपॉल को “बिना पूर्व अनुमति के स्टेशन नहीं छोड़ने” के लिए कहा गया है और “उनके वेतन और भत्ते को नियमों के अनुसार स्वीकार्य निर्वाह भत्ते तक सीमित कर दिया गया है।”
बता दें कि पिछले साल 3 मई को मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद भड़की जातीय हिंसा के बाद से मणिपुर में 180 से अधिक लोग मारे गए थे। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
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