एनसीपी विधायकों की अयोग्यता मामले पर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपना फैसला सुना दिया है। नार्वेकर ने फैसला सुनाया कि अजीत पवार के नेतृत्व वाला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) गुट ही ‘असली एनसीपी’ है। स्पीकर नार्वेकर ने कहा कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ही असली राजनीतिक पार्टी है। अजित पवार के पास 41 विधायकों के साथ विधायी बहुमत है। यह निर्विवाद है।
स्पीकर ने कहा, “शरद पवार गुट की यह दलील खारिज की जाती है कि विधायी बहुमत के आधार पर मामले का फैसला नहीं किया जा सकता। अजित पवार के पास 41 विधायकों का विधायी बहुमत है। मेरा मानना है कि वास्तविक राजनीतिक दल को विधायक दल के बहुमत से परिभाषित किया जा सकता है। अजित पवार के पास विधायी बहुमत है। मेरा मानना है कि अजित पवार ही असली राजनीतिक पार्टी हैं।”
महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के कुल 53 विधायक हैं जहां अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के पास 41 विधायकों के साथ बहुमत है, वहीं उनके चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट के पास 12 विधायकों का समर्थन है।
जुलाई 2023 से दोनों नेताओं के बीच गुटीय विवाद चल रहा है, जब अजित पवार ने शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए, जिससे एनसीपी में विभाजन हो गया।
दोनों गुट मुख्य रूप से दो मुद्दों पर लड़ रहे थे – पार्टी किसकी है? और क्या विपरीत गुट के विधायकों को दसवीं अनुसूची की धारा 2(1)(ए) के तहत अयोग्य ठहराया जा सकता है?
इससे पहले इस महीने की शुरुआत में चुनाव आयोग ने अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट को ‘असली राजनीतिक पार्टी’ घोषित किया था। इसका मतलब यह हुआ कि अजित पवार को पार्टी का नाम और घड़ी चुनाव चिह्न मिल गया।
चुनाव आयोग के फैसले के बाद शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट को नया नाम ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ दिया गया।
चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा था कि महाराष्ट्र राज्य विधानसभा में एनसीपी विधायकों की कुल संख्या 81 है। इसमें से अजीत पवार ने अपने समर्थन में 57 विधायकों के हलफनामे सौंपे, जबकि शरद पवार के पास केवल 28 हलफनामे थे। इसे देखते हुए आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि अजीत पवार के नेतृत्व वाले समूह को विधायकों का बहुमत समर्थन प्राप्त है और वह एनसीपी होने का दावा कर सकता है। चुनाव आयोग ने पार्टी की संगठनात्मक शाखा में शरद पवार गुट की बहुमत परीक्षण के अर्जी को खारिज कर दिया था। हालांकि इसे अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।