कर्नाटक की पूरी कांग्रेस सरकार ने बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार ने किया। प्रदेश की कांग्रेस सरकार केंद्र सरकार पर आर्थिक अत्याचार और नाइंसाफी का आरोप लगा रही है। कांग्रेस का दावा है कि केंद्र सरकार की नाइंसाफी के कारण साल 2017-18 के बाद से अब तक कर्नाटक सरकार को 1.87 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।
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जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा, “जहां तक टैक्स कलेक्शन की बात है तो कर्नाटक दूसरे नंबर पर है, महाराष्ट्र नंबर एक पर है। दरअसल इस साल कर्नाटक टैक्स के रूप में 4.30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान दे रहा है। अगर हम टैक्स के रूप में 100 रुपए इकट्ठा करते हैं और इसे भारत सरकार को देते हैं, तो हमें केवल 12-13 रुपए ही वापस मिल रहे हैं।”
वहीं कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा, “कर्नाटक इस देश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। हम अपना अधिकार मांग रहे हैं, हम अपना हिस्सा मांग रहे हैं। हम सभी यहां कर्नाटक के लोगों के लिए लड़ रहे हैं।”
कांग्रेस के प्रदर्शन का जवाब देते हुए भाजपा ने भी सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ दिल्ली और बेंगलुरु सहित विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया। सिद्धारमैया और उनकी सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि कांग्रेस केंद्रीय धन का दुरुपयोग कर रही है और भ्रष्टाचार में शामिल है।
दिल्ली में कर्नाटक के भाजपा सांसदों ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने तख्तियां लेकर सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
जंतर-मंतर पर केंद्र के खिलाफ कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दावा किया कि कर्नाटक सरकार “झूठों की सरकार” है। उन्होंने कहा, “कर्नाटक की कांग्रेस सरकार झूठों की सरकार है. राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकालते हैं, जबकि कांग्रेस भारत तोड़ो यात्रा कर रही है।”
बेंगलुरु में, भाजपा ने शहर भर में रैलियां कीं और राज्य को धन आवंटन पर कांग्रेस सरकार के विरोध में विरोध प्रदर्शन किया।
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भाजपा कर्नाटक अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने लंबित कर बकाया के “झूठे बहाने” के तहत केंद्र के खिलाफ “अनुचित अभियान” का सहारा लेने के लिए कांग्रेस सरकार की आलोचना की। उन्होनें कहा, “लोगों का ध्यान भटकाने के लिए गलत जानकारी देना भी विश्वासघात और धोखाधड़ी का दूसरा चेहरा है। भाजपा ने इसे गंभीरता से लिया है और जल्द ही सबूतों के साथ कांग्रेस सरकार के दोहरेपन को उजागर करेगी।”
इस विरोध प्रदर्शन से पहले कांग्रेस सरकार ने विभिन्न समाचार पत्रों में एक विज्ञापन जारी कर लोगों से दिल्ली तक मार्च करने के लिए कहा था। विज्ञापन में लिखा था, “केंद्र सरकार द्वारा कन्नडिगाओं और कर्नाटक पर किए गए वित्तीय अत्याचारों के विरोध में – चलो दिल्ली।”
राज्य सरकार ने दावा किया है कि सूखा राहत के लिए राज्य को एक पैसा भी नहीं दिया गया, जबकि मांग 18,177 करोड़ रुपये की थी। 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार 5,495 करोड़ रुपये के विशेष अनुदान की घोषणा की गई है।
सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा राज्य को दिए जाने वाले कर हिस्से में असमानता थी। इसने केंद्र पर सहयोगी योजनाओं के लिए अनुदान में कटौती करने का भी आरोप लगाया।
सरकार ने अपने विज्ञापन में दावा किया, ”केंद्र सरकार द्वारा 2017-18 तक कर्नाटक को 1.87 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ।”
सिद्धारमैया ने कहा कि केंद्र सरकार ने जीएसटी और कर हस्तांतरण के मुद्दे पर कर्नाटक की मांगों को पूरा नहीं किया।
उन्होनें कहा, “सभी मंत्री और मैं, उपमुख्यमंत्री और सभी विधायक और एमएलसी विरोध करेंगे। जहां तक जीएसटी का सवाल है, करों के हस्तांतरण का सवाल है, और कर्नाटक की अन्य मांगों को सरकार ने पूरा नहीं किया है।”
शिवकुमार ने कहा कि विरोध “हमारे करों, हमारे अधिकारों, हमारे राजस्व और हमारे अधिकारों” के बारे में है। उन्होंने कहा, ”हम कह रहे हैं कि हमारे बच्चों, पुरुषों और महिलाओं ने जो कर दिया है, उसका उचित हिस्सा (केंद्र सरकार द्वारा) देना होगा।”