वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में केंद्रीय बजट पेश किया। कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने बजट की आलोचना की। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि राजकोषीय घाटा ‘बेहद चिंताजनक’ है। तिवारी ने कहा, “जो बात बेहद चिंताजनक है वह है राजकोषीय घाटा बढ़ना, क्योंकि वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि इस वर्ष के लिए केंद्रीय बजट की 18 लाख करोड़ से अधिक की अनिधिकृत सीमा है और यह संख्या केवल बढ़ने वाली है।”
कांग्रेस महासचिव और छत्तीसगढ़ के प्रभारी सचिन पायलट ने कहा, ”यह अंतरिम बजट था। बजट में आम आदमी के लिए कोई राहत नहीं थी। यह सरकार की प्रशंसा करने के लिए एक राजनीतिक बयान था जो वे आम तौर पर हर कार्यक्रम में करते हैं। इस बजट का किसानों और युवाओं से कोई लेना-देना नहीं है।”
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने अंतरिम बजट पर कहा, “यह बजट रोजगार देता है क्या? यह बजट आम चुनाव में आम जनता को लुभाने के लिए है।”
इस बीच, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बजट को ‘बेकार’ करार देते हुए कहा, ‘यह लोगों के लिए नहीं है।’ उन्होनें कहा,. “कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है। भाजपा सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है, जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है। ये भाजपा का ‘विदाई बजट’ है।
संसद के पटल पर अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले दशक में गहरा सकारात्मक परिवर्तन आया है। लोक सभा को संबोधित करते हुए, सीतारमण ने “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के दृष्टिकोण के तहत समावेशी विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला।
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि केंद्रीय बजट 2024 “यह सुनिश्चित करने के लिए एक मात्र प्रशासनिक कवायद थी कि भारत सरकार के पास नई संसद के गठन और नई सरकार बनने तक अपना सामान्य कामकाज चलाने के लिए आवश्यक धन हो। और यही उन्होंने किया है। अपने अनिवार्य आत्म-बधाई, आत्म-प्रशंसा वाक्यांशों को कहने के अलावा, और कुछ नहीं है।”
बजट पेश होने के बाद शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर कटाक्ष किया और कहा कि सरकार को आखिरकार एहसास हुआ कि देश में ये चार समूह (गरीब, महिलाएं, युवा और किसान) हैं।
ठाकरे ने कहा, “मोदी सरकार ने अपना आखिरी बजट पेश किया। वित्त मंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि उन्होंने बहुत भारी मन से ऐसा किया और आखिरी बजट पेश किया।”
शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने अंतरिम बजट पर कहा, “कहने और करने में जमीन-आसमान का अंतर है, यही हम 10 साल से देख रहे हैं। इसमें गरीबों, महिला, युवा के लिए कुछ नहीं है। इस बजट ने आम जनता की उम्मीदों पर ठंडे मौसम में ठंडा पानी डालने का काम किया है।”
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला ने बजट 2024 पर बोलते हुए कहा, “वास्तविक बजट जुलाई में आएगा। हमें उम्मीद है कि लोगों को फायदा होगा, पर्यटन बढ़ेगा, उद्योग भी बढ़ेंगे और देश प्रगति करेगा।”
हाल ही में मायावती की पार्टी से निलंबित किए गए लोकसभा सांसद दानिश अली ने कहा कि बजट में कुछ भी नया घोषित नहीं किया गया।
पत्रकारों से बात करते हुए डीएमके नेता दयानिधि मारन ने कहा, “कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है, लोग पहले ही निराश हैं।”
आप सांसद स्वाति मालीवाल ने भी बजट को निराशाजनक बताया और कहा कि देश में महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को केंद्रीय बजट 2024 पेश करते हुए कहा कि देश की चार प्रमुख जातियों गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों की जरूरतों को पूरा करना और आकांक्षाओं को पूरा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार तेजी से जनसंख्या वृद्धि और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों से उत्पन्न चुनौतियों पर गौर करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाएगी।