समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 16 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की आधिकारिक घोषणा कर दी है। यह घोषणा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के उस बयान के एक दिन बाद आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी ने अपने सहयोगी दल कांग्रेस के लिए 11 सीटें अलग रखी हैं। अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ेंगी, जबकि शफीकुर रहमान बर्क और रविदास मेहरोत्रा को क्रमशः संभल और लखनऊ से मैदान में उतारा गया है।
https://x.com/samajwadiparty/status/1752292925717839892?s=20
समाजवादी पार्टी की घोषणा के बाद कांग्रेस में तल्खी है। कांग्रेस पार्टी के एक नेता ने कहा कि यह लिस्ट इंडिया गठबंधन की नहीं है। पार्टी के अल्पसंख्यक विंग के अध्यक्ष शहनवाज आलम ने कहा कि यह अखिलेश यादव का एक तरफा फैसला है। यह फैसला इंडिया गठबंधन का नहीं है। इसलिए इंतजार करिए इंडिया गठबंधन की जब लिस्ट आएगी तब बहुत कुछ बदलाव होगा। ”
वहीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा, ”स्वाभाविक रूप से, हम सभी को पहले आम सहमति पर आना होगा। इस बात पर आम सहमति है कि भारतीय जनता पार्टी को हराना है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि हम उन्हें कैसे हराएंगे? इसके लिए कि हम सभी को सहमत होना होगा चाहे वह सीटों के मामले में हो या किसी रणनीति के मामले में। हमें समय-समय पर समन्वय बनाए रखना होगा। अगर एसपी कहती है कि उन्होंने कांग्रेस को सीटें दी हैं, तो यह हास्यास्पद है। अगर कोई राष्ट्रीय पार्टी उनके साथ समझौता कर रही है तो हमारी अपनी भी एक पहचान है। अगर आज भी किसी को इसमें कमी लगती है तो मुझे लगता है कि उसे गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए। कांग्रेस हमेशा से मजबूत रही है, हो सकता है उसमें कुछ ढिलाई रही हो, लेकिन आने वाले वर्षों में आप इसे एक बड़ी ताकत के रूप में उभरते हुए देखेंगे। अगर समाजवादी पार्टी या कोई अन्य पार्टी कहती है कि उन्होंने कांग्रेस को सीटें दी हैं, तो मुझे नहीं पता कि मैं इस पर क्या टिप्पणी करूं? ये अपने आप में हास्यास्पद बातें हैं। कोई एकतरफा निर्णय नहीं होता है। गठबंधन में शामिल सभी लोग एक साथ आते हैं और सर्वसम्मति से उस बात की घोषणा करते हैं। आज भी हमारे मन में समाजवादी पार्टी के प्रति पूरा सम्मान है और बहुत सकारात्मक चर्चा चल रही है, लेकिन इस तरह के ट्वीट या ऐसी खबरें या प्रेस में दी जा रही ऐसी बातें निश्चित रूप से एक सवालिया निशान खड़ा करती हैं। अगर ये खुलेआम दिख रहा है कि समाजवादी पार्टी गठबंधन का पालन नहीं कर रहे हैं तो ऐसा है की संदेश दिया जा रहा है। हम उपरोक्त सभी बातों पर चर्चा करने और सकारात्मक मान्यता के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं और मुझे यकीन है कि ये चीजें ठीक होंगी। लेकिन इस प्रकार की गलतियाँ दोबारा नहीं होनी चाहिए।”
जिन 16 सीटों पर सपा अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया है उसमें दो ऐसी सीट है जिस पर कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी का पेंच फंस सकता है। फर्रुखाबाद से समाजवादी पार्टी ने डॉक्टर नवल किशोर शाक्य को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार सलमान खुर्शीद का दावा कांग्रेस पार्टी से बनता है। ऐसे में सपा और कांग्रेस के बीच इस सीट पर तकरार संभव है। दूसरी सीट लखीमपुर खीरी की है जहां से समाजवादी पार्टी ने उत्कर्ष वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि हाल ही में समाजवादी पार्टी से कांग्रेस में आए रवि वर्मा और उनकी बेटी पूर्वी वर्मा का भी इस सीट पर दावा है।
समाजवादी पार्टी की पहली लिस्ट में 11 ओबीसी, एक मुस्लिम, एक दलित, एक ठाकुर, एक टंडन और एक खत्री उम्मीदवार है। 11 ओबीसी उम्मीदवारों में चार कुर्मी, तीन यादव, दो शाक्य, एक निषाद और एक पाल शामिल हैं।
यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब विपक्ष के इंडिया गुट में दरार देखी जा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पाला बदल कर एनडीए में शामिल हो गए हैं तो वहीं पश्चिम बंगाल में भी, ममता बनर्जी ने आगामी चुनाव अकेले लड़ने के अपने फैसले की घोषणा की है।