नार्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने कुलपति कार्यालय की हालिया अधिसूचना की कड़े शब्दों में निंदा की है। जारी अधिसूचना में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर आधे दिन की विश्वविद्यालय छुट्टी की घोषणा की गई है। एनईएचयू छात्र संघ ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस देश का संविधान स्पष्ट रूप से इस देश को एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित करता है। जिसका मतलब है कि राज्य-सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों, जिनमें शैक्षणिक संस्थान भी शामिल हैं, का कोई धर्म या धार्मिक झुकाव नहीं होगा।
बयान में कहा गया- उपर्युक्त कार्यक्रम न तो सरकार द्वारा संचालित है और न ही इसे सरकार द्वारा सरकार के लिए किया जाना चाहिए। भारत सरकार को किसी भी विशेष धर्म के प्रचार में शामिल नहीं होना चाहिए। इसलिए, इस अवसर पर छुट्टी की यह घोषणा एनईएचयूजैसे सार्वजनिक शैक्षणिक संस्थानों के धर्मनिरपेक्ष लोकाचार और स्वयं संविधान पर सीधे हमले के अलावा और कुछ नहीं है। किसी को भी इस मंदिर के निर्माण के नाम पर दशकों से चले आ रहे घृणा अभियानों, सांप्रदायिक हिंसा और खून की राजनीति को नहीं भूलना चाहिए।
एनईएचयू छात्र संघ ने आगे कहा, “इसलिए, एनईएचयू छात्र संघ, एनईएचयू की तरह ही अन्य विश्वविद्यालय परिसरों और पूरे देश के सांप्रदायिकरण का दृढ़ता से विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह विश्वविद्यालय प्रशासन के ऐसे असंवैधानिक और सांप्रदायिक कृत्यों को स्वीकार करने से इनकार करता है। एनईएचयू छात्र संघ ने कुलपति कार्यालय द्वारा उपर्युक्त अधिसूचना को तत्काल वापस लेने की मांग की है।”
एनईएचयू छात्र संघ ने कुलपति कार्यालय से विनम्रतापूर्वक अपील की है कि वह खुद को केंद्र सरकार के सांप्रदायिक एजेंडे के अनुयायी की तरह काम करने से रोकें।
छात्र संघ ने कहा कि यदि नोटिस वापस नहीं लिया जाता है और विश्वविद्यालय कार्यालय सोमवार (22 जनवरी) को बंद पाए जाते हैं, तो छात्र समुदाय को विश्वविद्यालय में तालाबंदी लागू करनी होगी और किसी भी कार्यालय को तब तक काम नहीं करने दिया जाएगा जब तक कि विश्वविद्यालय के धर्मनिरपेक्ष लोकाचार का उल्लंघन करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती।
एनईएचयू छात्र संघ ने यह भी कहा कि वो स्पष्ट करना चाहते हैं कि छात्र संघ किसी भी प्रकार के धर्म या धार्मिक विश्वास के पक्ष या विपक्ष में नहीं है, लेकिन वो प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय पर किसी भी विशेष धर्म को थोपे जाने को बर्दाश्त नहीं करेंगे।