रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अगले साल रूस की यात्रा के लिए आमंत्रित किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के राष्ट्रपति भवन ‘क्रेमलिन’ में पुतिन से मुलाकात की। पुतिन ने जयशंकर से कहा, ‘‘हमें अपने मित्र प्रधानमंत्री मोदी को रूस में देखकर खुशी होगी।’’
रूस की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आए जयशंकर ने इससे पहले अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। रूसी समकक्ष से बातचीत के बाद लावरोव के साथ एक संयुक्त मीडिया उपस्थिति के दौरान, जयशंकर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन अगले साल वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मिलेंगे। इससे पहले अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में जयशंकर ने कहा कि दोनों नेता लगातार संपर्क में रहे हैं।
पुतिन ने कहा, “हम प्रधानमंत्री मोदी की स्थिति को जानते हैं और इस बारे में एक से अधिक बार बात की है। मैं उनकी स्थिति, हॉट स्पॉट, यूक्रेन की स्थिति सहित जटिल प्रक्रियाओं के प्रति उनके रवैये का उल्लेख कर रहा हूं। मैंने उन्हें संघर्ष की स्थिति के बारे में बार-बार सूचित किया है। मैं उनके शांतिपूर्ण तरीकों से इस समस्या को हल करने के उनके प्रयास के बारे में जानता हूं।”
पुतिन ने जयशंकर से कहा, ”मैं आपसे उन्हें अपनी शुभकामनाएं देने के लिए कहता हूं और कृपया उन्हें बताएं कि हम रूस में उनका इंतजार कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, ”हालांकि मुझे पता है कि भारत में अगले साल व्यस्त राजनीतिक कार्यक्रम होगा।”
पुतिन ने कहा, ”हम भारत में अपने दोस्तों की सफलता की कामना करते हैं।”
पीएम नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक साझेदारी में सर्वोच्च संस्थागत संवाद तंत्र है।
जयशंकर ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “आज शाम राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हार्दिक अभिनंदन किया और एक व्यक्तिगत संदेश सौंपा। राष्ट्रपति पुतिन को मंत्रियों मंटुरोव और लावरोव के साथ मेरी चर्चाओं से अवगत कराया। हमारे संबंधों के आगे के विकास पर उनके मार्गदर्शन की सराहना की।”
अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। पिछला शिखर सम्मेलन दिसंबर 2021 में नई दिल्ली में हुआ था। पुतिन ने यह भी कहा कि रूस और भारत के बीच व्यापार कारोबार बढ़ रहा है, खासकर कच्चे तेल और उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के कारण।
यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। कई पश्चिमी देशों में इसे लेकर बढ़ती बेचैनी के बावजूद भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है।