ओलंपियन विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घोषणा की है कि वो अपना खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड लौटाने जा रही हैं। उन्होंने इसके साथ ही पीएम मोदी के नाम लिखा एक पत्र भी शेयर किया है। प्रधानमंत्री मोदी को सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक खुले पत्र में, विनेश फोगट ने महिला पहलवानों के साथ किए गए व्यवहार पर निराशा व्यक्त की। विनेश फोगाट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे “उत्पीड़क” बृज भूषण शरण सिंह कई बार महिला पहलवानों का “उपहास” करने में कामयाब रहे, जबकि देश के शीर्ष पहलवानों ने भाजपा सांसद और डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।
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विनेश ने यह भी कहा कि साक्षी मलिक ने नवनिर्वाचित डब्ल्यूएफआई निकाय के विरोध में संन्यास ले लिया और बजरंग पुनिया ने अपने रुख के प्रतीक के रूप में नई दिल्ली में कर्तव्य पथ के फुटपाथ पर अपना पद्म श्री पुरस्कार छोड़ दिया। विनेश का पीएम मोदी को पत्र खेल मंत्रालय द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ की नवनिर्वाचित संस्था को अपने पूर्व पदाधिकारियों के प्रभाव में होने का आरोप लगाते हुए निलंबित करने के कुछ दिनों बाद आया है।
दरअसल भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव 21 दिसंबर को हुए थे। इसमें संजय सिंह को अध्यक्ष चुना गया था। इसके बाद साक्षी मलिक ने यह कहते हुए कुश्ती से संन्यास ले लिया कि फिर से बृजभूषण जैसा ही चुना गया है तो क्या करें? इसके बाद बजरंग ने पद्म श्री लौटाया और अब विनेश ने अपना खेल रत्न लौटा दिया है। पैरा एथलीट वीरेंद्र सिंह भी अपना पद्म श्री लौटाने की बात कह चुके हैं।
बृज भूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष पद के चुनाव जीतने के कुछ घंटों बाद विनेश फोगाट ने ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया के साथ नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया था। पहलवानों ने निराशा व्यक्त की और कहा कि सत्ता उन लोगों के हाथों में लौट आई है जिन्होंने अतीत में उन पर अत्याचार किया था।
विनेश फोगाट ने यह भी कहा कि उनका ओलंपिक सपना धूमिल हो रहा है और कहा कि सरकार से समर्थन की कमी है।
विनेश फोगट का पीएम मोदी को पत्र:
“माननीय प्रधानमंत्री जी,
साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है। देश के लिए ओलंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए किस लिये मजबूर होना पड़ा, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं तो आपतक भी यह मामला पहुंचा होगा। प्रधानमंत्री जी, मैं आपके घर की बेटी विनेश फोगाट हूं और पिछले एक साल से जिस हाल में हूं यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूं।”
मुझे साल याद है 2016 जब साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था. जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं। आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी तबसे मुझे वह साल 2016 बार बार याद आ रहा है। क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं। हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती है। मैंने ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है। बस यही दुआ करूंगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों का यह सपना जरूर पूरा हो।
पर हमारी जिन्दगियां उन फैंसी विज्ञापनों जैसी बिलकुल नहीं है। कुश्ती की महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में जो कुछ भोगा है उससे समझ आता ही होगा कि हम कितना घुट घुट कर जी रही हैं। आपके वो फैंसी विज्ञापनों के फ्लेक्स बोर्ड भी पुराने पड़ चुके होंगे और अब साक्षी ने भी संन्यास ले लिया है। जो शोषणकर्ता है उसने भी अपना दबदबा रहने की मुनादी कर दी है, बल्कि बहुत भौंडे तरीके से नारे भी लगवाए हैं। आप अपनी जिंदगी के सिर्फ पांच मिनट निकालकर उस आदमी के मीडिया में दिए गए बयानों को सुन लीजिए, आपको पता लग जाएगा कि उसने क्या क्या किया है। उसने महिला पहलवानों को मंथरा बताया है, महिला पहलवानों को असहज कर देने की बात सरेआम टीवी पर कबुली है और हम महिला खिलाड़ियों को जलील करने का एक मौका भी नहीं छोड़ा है। उससे ज्यादा गंभीर यह है कि उसने कितनी ही महिला पहलवानों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। यह बहुत भयावह है।
कई बार इस सारे घटनाक्रम को भूल जाने का प्रयास भी किया लेकिन इतना आसान नहीं है। सर, जब मैं आपसे मिली तो यह सब आपको भी बताया था। हम न्याय के लिए पिछले एक साल से सड़कों पर घिसड़ रहे हैं। कोई हमारी सुध नहीं ले रहा। सर, हमारे मेडलों और अवार्डों को 15 रुपए का बताया जा रहा है, लेकिन ये मेडल हमें हमारी जान से भी प्यारे हैं। जब हम देश के लिए मेडल जीतीं थीं तो सारे देश ने हमें अपना गौरव बताया। अब जब अपने न्याय के लिए आवाज उठायी तो हमें देशद्रोही बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी, मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि क्या हम देशद्रोही हैं?
बजरंग ने किस हालत में अपना पद्मश्री वापस लौटाने का फैसला लिया होगा, मुझे नहीं पता। पर मैं उसकी वह फोटो देखकर अंदर ही अंदर घुट रही हूं। उसके बाद अब मुझे भी अपने पुरस्कारों से घिन आने लगी है। जब ये पुरस्कार मुझे मिले थे तो मेरी मां ने हमारे पड़ोस में मिठाई बांटी थी और मेरी काकी ताइयों को बताया था कि विनेश की टीवी में खबर आयी है उसे देखना। मेरी बेटी पुरस्कार लेते हुए कितनी सुंदर लग रही है।
कई बार यह सोचकर घबरा जाती हूं कि अब जब मेरी काकी ताई टीवी में हमारी हालत देखती होंगी तो वह मेरी मां को क्या कहती होंगी? भारत की कोई मां नहीं चाहेगी कि उसकी बेटी की यह हालत हो। अब मैं पुरस्कार लेती उस विनेश की छवि से छुटकारा पाना चाहती हूं, क्योंकि वह सपना था और जो अब हमारे साथ हो रहा है वह हकीकत। मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड दिया गया था जिनका अब मेरी जिंदगी में कोई मतलब नहीं रह गया है। हर महिला सम्मान से जिंदगी जीना चाहती है। इसलिए प्रधानमंत्री सर, मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड आपको वापस करना चाहती हूं ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हमारे ऊपर बोझ न बन सकें।
आपके घर की बेटी
विनेश फोगाट”
इस बीच, बृज भूषण शरण सिंह ने डब्ल्यूएफआई के निलंबन से खुद को दूर करते हुए कहा कि वह कुश्ती प्रशासन से सेवानिवृत्त हो गए हैं और संजय सिंह के नेतृत्व वाला शिविर निकट भविष्य में कार्यवाही से निपटेगा। वहीं संजय सिंह ने कहा कि वह खेल मंत्रालय से संपर्क करेंगे और नवनिर्वाचित पैनल के रुख को स्पष्ट करेंगे और निलंबन रद्द करने की मांग करेंगे।