सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग सेंटर्स में बच्चों पर अनुचित दबाव डालने के लिए संस्थानों को नहीं, बल्कि माता-पिता को दोषी ठहराया जाना चाहिए। कोटा में अक्सर छात्रों के आत्महत्या करने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। शीर्ष अदालत निजी कोचिंग संस्थानों के नियमन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने कहा, “कोटा में कोचिंग संस्थानों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल में माता-पिता अपने बच्चों पर अनुचित दबाव डाल रहे हैं, जिसके कारण छात्र अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं।”
इस वर्ष राजस्थान के कोटा जिले, जहां स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए इंजीनियरिंग और मेडिकल कोचिंग संस्थानों की संख्या में वृद्धि हुई है, में लगभग 26 आत्महत्याओं की सूचना मिली है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि “आत्महत्याएं कोचिंग संस्थानों की वजह से नहीं हो रही हैं। ये इसलिए होती हैं क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौतों की संख्या बहुत अधिक हो सकती है।
शीर्ष अदालत मुंबई के डॉ. अनिरुद्ध नारायण मालपानी द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें स्वार्थवश लाभ कमाने के लिए बच्चों को ‘वस्तु’ के रूप में इस्तेमाल करके छात्रों को मौत के मुंह में धकेलने के लिए कोचिंग संस्थानों को दोषी ठहराया गया था।
अदालत ने कहा, “परीक्षाएं बहुत प्रतिस्पर्धी हो गई हैं और माता-पिता से बहुत उम्मीदें हैं। छात्र ऐसी परीक्षाओं में आधे अंक या एक अंक से हार जाते हैं और दबाव का सामना करने में सक्षम नहीं होते हैं।”
इसमें आगे कहा गया, “हालांकि हममें से ज्यादातर लोग नहीं चाहेंगे कि वहां कोई कोचिंग संस्थान हो, लेकिन स्कूलों की स्थितियों को देखें। वहां कड़ी प्रतिस्पर्धा है और छात्रों के पास इन कोचिंग संस्थानों में जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।”
हालांकि, जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि यह एक नीतिगत मुद्दा है और “हम राज्यों को नीति बनाने का निर्देश नहीं दे सकते।”
अदालत ने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि या तो वह राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं, क्योंकि याचिका में उद्धृत आत्महत्या की घटनाएं काफी हद तक कोटा से संबंधित हैं, या केंद्र सरकार को एक अभ्यावेदन दें। अदालत ने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर कानून बनाने का कैसे निर्देश दे सकते हैं?’ इसके बाद वकील मोहिनी प्रिया ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।
अदालत द्वारा सरकार के समक्ष अभ्यावेदन देने के लिए कहने के बाद याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका वापस ले ली।
मामले में वकील ने पुष्टि की है कि याचिकाकर्ता पूरे भारत में निजी कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए एक प्रतिनिधित्व के साथ सरकार से संपर्क करेगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कोटा में साल 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में सात, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों की आत्महत्या से मौत हुई थी। कोरोना काल – 2020 और 2021 में कोई आत्महत्या नहीं हुई।