सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर फैसला करने में देरी के लिए शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि स्पीकर शीर्ष अदालत के “आदेशों को विफल नहीं कर सकते”। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “किसी को स्पीकर को सलाह देनी होगी कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को खारिज नहीं कर सकते और अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे पर निर्णय लेने की समयसीमा के बारे में अदालत को अवगत कराने को कहा। नाराज दिख रहे सीजेआई ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा, नहीं तो पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी।
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पीठ ने कहा कि अगर वह अध्यक्ष की समयसीमा से संतुष्ट नहीं है तो वह निर्देश देगी कि निर्णय दो महीने के भीतर लिया जाए।
पीठ ने कहा, ”जब भारत के संविधान के विपरीत कोई फैसला आता है तो इस अदालत की आज्ञा चलनी चाहिए।” पीठ ने संकेत दिया कि वह याचिका पर सोमवार या मंगलवार को सुनवाई कर सकती है।
मालूम हो कि उद्धव गुट और शरद पवार गुट की याचिका में अजित पवार और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को निर्देश देने की मांग की गई है। तुषार मेहता ने याचिका में रखी बातों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ये ठीक नहीं है कि न्यायपालिका एक संवैधानिक संस्था के हर दिन की कार्रवाई की समीक्षा करें। याचिकाकर्ता अपनी मर्जी से तय करे कि स्पीकर कैसे फैसला लेने की प्रकिया को पूरा करें।
CJI ने स्पीकर की ओर से पेश SG तुषार मेहता से कहा कि हमने पिछली बार भी स्पीकर को इस मामले में फैसला लेने की समयसीमा तय करने को कहा था। स्पीकर यू ही अनिश्चितत काल तक मामले को पेंडिंग नहीं रख सकते। जून के बाद उनकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कोई उनको समझाए कि वो SC के आदेश का सम्मान करे
सिब्बल ने कहा कि अगले साल विधानसभा चुनाव हो जाएंगे और स्पीकर ने अबतक कोई फैसला नहीं लिया है। सिब्बल ने कहा कि मेरी अपील है कि इसपर फैसला सुप्रीम कोर्ट ही करे। सिब्बल ने आगे कहा कि ये कोई सिविल ट्रायल नहीं है और ना ही इसमें जिरह की जरूरत है। फिर भी इसमें इतना वक्त लगेगा तो दसवीं अनुसूची के मायने क्या हैं?
तुषार मेहता ने कहा कि इनकी याचिका में प्रार्थना देखिए। वोअपने आप में काफी पेचीदा है।
सीजेआई ने कहा कि इतने दिनों में स्पीकर दिन प्रतिदिन सुनवाई कर कम से कम समय में इस मुद्दे को निपटा सकते थे। हफ्ते में दो दिन तीन दिन सुनवाई करने सेसमस्या समय से कैसे हल होगी?
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे आदेश पर अब तक अमल नहीं किया गया है। ये हमारी चिंता है। सीजेआई ने कहा कि आप यानी एसजी और महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल बैठ कर चर्चा करें। शीघ्र सुनवाई का शेड्यूल बनाएं। सरकार से निर्देश लें और मंगलवार को हमें बताएं। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारी चिंता हमारी कोर्ट के आदेश की गरिमा पर है।
CJI ने SG तुषार मेहता से कहा कि वो स्पीकर से बात कर हमें सोमवार को बताएं कि विधायको में खिलाफ लंबित अयोग्यता की कार्रवाई पर कब तक फैसला ले रहे है। मंगलवार को समयसीमा बताए अन्यथा कोर्ट आदेश पास करने को मजबूर होगा। ऐसी सूरत में कोर्ट स्पीकर की ओर से फैसला लेने की समयसीमा तय करेगा
शिवसेना और एनसीपी के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “किसी को तो विधानसभा अध्यक्ष को सलाह देनी होगी। स्पीकर के ऑफिस को सिर्फ दिखावा नहीं करना चाहिए। स्पीकर के इस मामले में रोजाना सुनवाई करनी चाहिए। इस मामले में गंभीरता से काम हो। अभी तक स्पीकर की तरफ से कोई कोशिश नहीं की गई कि वो समय के अंदर इस मामले में कोई कार्यवाही कर रहे हैं। 6 महीने बीत चुके हैं। हम चाहते हैं कि इस मामले में एक महीने में फैसला हो जाए।”
CJI ने SG तुषार मेहता से कहा कि वो स्पीकर से बात कर हमें मंगलवार को बताएं कि विधायको में खिलाफ लम्बित अयोग्यता की कार्रवाई पर कब तक फैसला ले रहे है। मंगलवार को समयसीमा बताए अन्यथा कोर्ट आदेश पास करने को मजबूर होगा। ऐसी सूरत में कोर्ट स्पीकर की ओर से फैसला लेने की समयसीमा तय करेगा।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए समयसीमा बताने का निर्देश दिया था।