केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया है जिनमें दावा किया गया था कि वह डीजल वाहनों की खरीद पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त जीएसटी का प्रस्ताव करने के लिए तैयार हैं। गडकरी ने ट्वीट कर कहा, “यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि सरकार द्वारा वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव सक्रिय विचाराधीन नहीं है। 2070 तक कार्बन नेट ज़ीरो हासिल करने और डीजल जैसे खतरनाक ईंधन के कारण होने वाले वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के साथ-साथ ऑटोमोबाइल बिक्री में तेजी से वृद्धि के लिए हमारी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप, सक्रिय रूप से स्वच्छ और हरित वैकल्पिक ईंधन को अपनाना जरूरी है। ये ईंधन आयात के विकल्प, लागत प्रभावी, स्वदेशी और प्रदूषण मुक्त होने चाहिए।”
https://x.com/nitin_gadkari/status/1701501884324860043?s=20
पहले यह बताया गया था कि गडकरी भारत में डीजल कारों की खरीद पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का प्रस्ताव देने के लिए तैयार थे। कथित तौर पर गडकरी ने वाहन निर्माताओं को अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहन बेचना जारी रखने पर और अधिक शुल्क बढ़ने की संभावना के बारे में भी आगाह किया था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा था, “डीजल इंजन वाहनों पर अतिरिक्त टैक्स लगाए जाने के प्रस्ताव पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “डीज़ल की गाड़ियों नहीं बढ़नी चाहिए और इसलिए आप अपने स्तर पर यह निर्णय लें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं सरकार, वित्त मंत्री को यह सिफारिश करूंगा कि डीज़ल अधिक प्रदूषण कर रहा है इसिलए इसको हतोत्साहित करने के लिए इस पर अतिरिक्त 10% टैक्स लगाना चाहिए।”
https://x.com/ANI/status/1701497471028134347?s=20
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गडकरी की टिप्पणी नई दिल्ली वाहन निर्माता सम्मेलन के दौरान आई, जहां टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति सुजुकी और मर्सिडीज और वोक्सवैगन जैसी विदेशी कार कंपनियों के अधिकारी एकत्र हुए थे।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि गडकरी ने कहा कि वह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से डीजल वाहनों पर “अतिरिक्त 10%” जीएसटी माल और सेवा कर लगाने के लिए कहेंगे क्योंकि इससे प्रदूषण बढ़ता है।
गडकरी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि 2014 के बाद से डीजल कारों के उत्पादन में गिरावट आई है। उन्होंने कहा- तब उनका कुल उत्पादन में 52 प्रतिशत हिस्सा था, और अब उनका हिस्सा केवल 18 प्रतिशत है।
वर्तमान में सरकार डीजल कारों पर 28 प्रतिशत कर लगाती है और वाहनों की इंजन क्षमता के आधार पर अतिरिक्त तथाकथित उपकर लगाया जाता है। मीडिया रिपोर्ट सामने आने के तुरंत बाद प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई।