संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी पर संसद के कामकाज का राजनीतिकरण करने और अनावश्यक विवाद पैदा करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। जोशी की यह प्रतिक्रिया तब आई जब गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बताया कि विशेष संसद सत्र के लिए कोई एजेंडा सूचीबद्ध नहीं किया गया। उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया कि मणिपुर में हिंसा और मूल्य वृद्धि सहित नौ मुद्दों को आगामी सत्र के दौरान चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
Union Minister Pralhad Joshi responds to Congress Parliamentary Party Chairperson Sonia Gandhi's letter to PM @narendramodi seeking the agenda of the Session; He says it's unfortunate that despite being a senior Parliamentarian, former Congress President is trying to create… pic.twitter.com/9PRpEP6pXH
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 6, 2023
संसदीय कार्य मंत्री ने गांधी को अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप हमारे लोकतंत्र के मंदिर संसद के कामकाज का राजनीतिकरण करने और अनावश्यक विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, ‘संसद सत्र के संबंध में प्रधानमंत्री को संबोधित अपने (सोनिया गांधी) पत्र का संदर्भ लें। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप हमारे लोकतंत्र के मंदिर (संसद) के कामकाज का भी राजनीतिकरण करने और जहां कोई विवाद नहीं है, वहां अनावश्यक विवाद उत्पन्न करने का प्रयास कर रही हैं। जैसा कि आपको विदित है, अनुच्छेद 85 के तहत संवैधानिक जनादेश का पालन करते हुए संसद सत्र नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं, जो प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझें, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा। लेकिन उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह महीने का अंतर नहीं होगा।’
उन्होंने कहा, ‘पूर्ण रूप से स्थापित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही संसदीय कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति के अनुमोदन के बाद राष्ट्रपति ने संसद सत्र बुलाया है। शायद आपका परम्पराओं की ओर ध्यान नहीं है। संसद सत्र बुलाने से पहले न कभी राजनीतिक दलों से चर्चा की जाती है और न कभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है। महामहिम राष्ट्रपति के सत्र बुलाने के बाद और सत्र आरम्भ होने के पहले सभी दलों के नेताओं की बैठक होती है, जिसमे संसद में उठने वाले मुद्दों और कामकाज पर चर्चा होती है।’
जोशी ने आगे कहा, ‘मैं यह भी बताना चाहूंगा की हमारी सरकार किसी भी मुद्दे पर हमेशा चर्चा करने के लिए तैयार रहती है। वैसे तो आपने जिन मुद्दों का उल्लेख किया है वह सभी मुद्दे अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ ही समय पूर्व मानसून सत्र के दौरान उठाए गए थे और सरकार द्वारा उन पर जवाब भी दिया गया था। सत्र की कार्यसूची हमेशा की तरह स्थापित आचरण के अनुसार उचित समय पर परिचालित की जाएगी। मैं यह भी फिर से ध्यान दिलाना चाहता हूं कि हमारी संसदीय कार्यप्रणाली में चाहे सरकार किसी भी दल की रही हो, आजतक संसद बुलाने के समय कार्यसूची पहले से कभी भी परिचालित नहीं की गई। मुझे पूर्ण विश्वास है कि संसद की गरिमा बनी रहेगी और इस मंच का उपयोग राजनीतिक विवादों के लिए नहीं किया जाएगा।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सभी स्थापित प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद 18 सितंबर से संसद सत्र बुलाया गया है।
प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में गांधी द्वारा चर्चा के लिए सूचीबद्ध मुद्दों पर जोशी ने कहा कि मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान सरकार द्वारा उन पर पहले ही चर्चा की जा चुकी है और जवाब दिया जा चुका है। संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से 22 सितंबर तक निर्धारित है।
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस संसदीय दल प्रमुख सोनिया गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद के आगामी विशेष सत्र के लिए सरकार के एजेंडे का विवरण मांगा था। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सोनिया गांधी ने कहा था कि विपक्ष के साथ पूर्व परामर्श के बिना सत्र बुलाया गया है। गांधी ने विशेष सत्र में नौ मुद्दों पर चर्चा के लिए समय आवंटित करने के लिए भी कहा था। उन्होंने अपने पत्र में कहा था कि अन्य राजनीतिक दलों के साथ किसी भी परामर्श के बिना विशेष सत्र बुलाया गया है। हममें से किसी को भी इसके एजेंडे के बारे में कोई जानकारी नहीं है।