दिल्ली सेवा अधिनियम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है और अब इसी के साथ यह कानून बन गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1 अगस्त को लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया था। इसके बाद विधेयक को 7 अगस्त को राज्यसभा में पारित किया कर दिया गया। राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों पर केंद्र सरकार को अधिकार देने वाला विधेयक उच्च सदन में पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोटों से पारित हुआ था। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस विधेयक को अब तक का सबसे अलोकतांत्रिक कागज़ का टुकड़ा करार दिया था।
Delhi Services Bill is now Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Act, 2023 after President of India gives assent.@rashtrapatibhvn @ArvindKejriwal pic.twitter.com/GwOmNXTR3z
— Bar & Bench (@barandbench) August 12, 2023
सरकार ने नोटिफिकेशन में कहा, इस अधिनियम को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 कहा जाएगा। इसे 19 मई, 2023 से लागू माना जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 (जिसे इसके बाद मूल अधिनियम के रूप में संदर्भित किया गया है) की धारा 2 में खंड (ई) में कुछ प्रावधान शामिल किए गए। ‘उपराज्यपाल’ का अर्थ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 के तहत नियुक्त प्रशासक और राष्ट्रपति द्वारा उपराज्यपाल के रूप में नामित किया गया है।
विधेयक में प्रस्तावित किया गया कि राष्ट्रीय राजधानी के अधिकारियों के निलंबन और पूछताछ जैसी कार्रवाई केंद्र के नियंत्रण में होगी। मणिपुर की स्थिति पर लोकसभा और राज्यसभा दोनों में हंगामे के बीच इसे संसद में पेश किया गया था।
इस विधेयक में धारा 3A को हटा दिया गया है। धारा 3A अध्यादेश में थी। ये धारा कहती थी कि सर्विसेस पर दिल्ली विधानसभा का कोई नियंत्रण नहीं है। ये धारा उपराज्यपाल को ज्यादा अधिकार देती थी। हालांकि, इस बिल में एक प्रावधान ‘नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी’ के गठन से जुड़ा है। ये अथॉरिटी अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और नियंत्रण से जुड़े फैसले लेगी। इस अथॉरिटी के चेयरमैन मुख्यमंत्री होंगे। उनके अलावा इसमें मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) भी होंगे। ये अथॉरिटी जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी मामलों से जुड़े अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग की सिफारिश करेगी। ये सिफारिश उपराज्यपाल को की जाएगी। अगर किसी अफसर के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी है तो उसकी सिफारिश भी ये अथॉरिटी ही करेगी। अथॉरिटी के सिफारिश पर आखिरी फैसला उपराज्यपाल का होगा। अगर कोई मतभेद होता है तो आखिरी फैसला उपराज्यपाल का ही माना जाएगा।
सरकार द्वारा दिल्ली में सेवाओं और अधिकारियों की पोस्टिंग पर नियंत्रण के लिए संसद में एक विधेयक पेश किए जाने के बाद संसद का मानसून सत्र हंगामेदार रहा। अधिकांश विपक्षी दल इस विधेयक के खिलाफ थे।
दिल्ली सेवा विधेयक 19 मई को केंद्र द्वारा घोषित अध्यादेश को बदलने की मांग करता है। यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के एक हफ्ते बाद जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से संबंधित मामलों को छोड़कर, दिल्ली सरकार के पास सिविल सेवकों के प्रशासन और नियंत्रण पर अधिकार है।