केंद्र सरकार ने भारत के मुख्य और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन समिति के सदस्य के रूप में भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाने की मांग करते हुए संसद में एक विधेयक पेश किया है। नए विधेयक के अनुसार, चुनाव आयुक्तों का चयन एक पैनल द्वारा किया जाएगा जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधान मंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे।
Centre tables a bill in the Parliament to prescribe the selection process for Election Commissioners.
As per the Bill, CEC and ECs will be selected by a panel comprising Prime Minister, Opposition Leader and a Union Minister nominated by the PM.
Supreme Court had ruled in March… pic.twitter.com/etSYxi6mVQ
— Live Law (@LiveLawIndia) August 10, 2023
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 को राज्यसभा में पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने उच्च सदन में विधेयक पेश किया है।
Union Minister of Law and Justice Arjun Ram Meghwal introduced the Chief Election Commissioner and other Election Commissioners (Appointment Conditions of Service and Term of Office) Bill, 2023 in the Rajya Sabha to regulate the appointment, conditions of service and term of… pic.twitter.com/FsYOouXTER
— ANI (@ANI) August 10, 2023
इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियां प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर की जानी चाहिए।
कोर्ट के फैसले में कहा गया था, “प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI का पैनल इनकी नियुक्ति करेगा। 5 सदस्यीय बेंच ने कहा कि ये कमेटी नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे। यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगी, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। चयन प्रक्रिया CBI डायरेक्टर की तर्ज पर होनी चाहिए। लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाई रखी जानी चाहिए। नहीं तो इसके अच्छे परिणाम नहीं होंगे। वोट की ताकत सुप्रीम है, इससे मजबूत से मजबूत पार्टियां भी सत्ता हार सकती हैं। इलेक्शन कमीशन का स्वतंत्र होना जरूरी है। यह भी जरुरी है कि यह अपनी ड्यूटी संविधान के प्रावधानों के मुताबिक और निष्पक्ष रूप से कानून के दायरे में रहकर निभाए।”
शीर्ष अदालत ने कहा था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की मौजूदा प्रथा तब तक लागू रहेगी जब तक कि संसद इस संबंध में कानून नहीं बना लेती।
इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट कर दावा किया है कि बिल के जरिए सरकार सुप्रीम कोर्ट का एक और फैसला पलटने जा रही है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “मैंने पहले ही कहा था – प्रधान मंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ़ है – जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में क़ानून लाकर उसे पलट देंगे। यदि PM खुले आम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद ख़तरनाक स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनायी थी जो निष्पक्ष चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी जो उनके कंट्रोल में होगी और जिस से वो अपने मन पसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इस से चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी। एक के बाद एक निर्णयों से प्रधान मंत्री जी भारतीय जनतंत्र को कमज़ोर करते जा रहे हैं।
मैंने पहले ही कहा था – प्रधान मंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ़ है – जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में क़ानून लाकर उसे पलट देंगे। यदि PM खुले आम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद ख़तरनाक स्थिति है
सुप्रीम कोर्ट ने एक… https://t.co/ROBPei1QuU
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 10, 2023