मणिपुर में एनडीए की सहयोगी कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। केपीए अध्यक्ष तोंगमांग हाओकिप ने मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखकर भाजपा से नाता तोड़ने के पार्टी के फैसले से अवगत कराया।
Kuki People’s Alliance withdraws support from Manipur CM Biren Singh’s government.
Kuki People’s Alliance General Secretary WL Hangshing confirms to ANI about emailing the letter to Manipur Governor, withdrawing support from CM Biren Singh’s government. pic.twitter.com/MKD5P65Xls
— ANI (@ANI) August 6, 2023
यह कदम मणिपुर में जातीय हिंसा के प्रकाश में आया है, जिसने पिछले तीन महीनों से पूर्वोत्तर राज्य को त्रस्त कर दिया है और जिसके परिणामस्वरूप 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है।
हाओकिप ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा, “मौजूदा टकराव पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की मौजूदा सरकार के लिए निरंतर समर्थन अब फलदायी नहीं है।” हाओकिप ने आगे कहा, “तदनुसार, मणिपुर सरकार को केपीए का समर्थन वापस लिया जाता है और इसे शुन्य माना जा सकता है।”
राज्य सरकार में कुकी पीपुल्स अलायंस के दो विधायक थे। केपीए के जिन दो विधायक ने बीरेन सरकार से समर्थन वापस लिया है, उनमें, किम्नेओ हैंगशिंग (सैकुल) और चिनलुन्थांग (सिंगाट) शामिल हैं। दो विधायकों, सैकुल से किम्नेओ हाओकिप हैंगशिंग और सिंघाट से चिनलुनथांग के साथ केपीए की 60 सदस्यीय मणिपुर सदन में मामूली उपस्थिति है।
केपीए के समर्थन वापस लेने के बावजूद राज्य में सीएम एन बीरेन सिंह और भाजपा की सरकार को कोई खतरा नहीं है। क्योंकि बीजेपी के पास विधानसभा में सबसे अधिक 32 सदस्य हैं तो वहीं पांच एनपीएफ विधायकों का समर्थन भी मिला हुआ है। तीन निर्दलीय विधायक भी भाजपा के साथ हैं। ऐसे में 60 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी (एनडीए) के पास अभी भी 40 विधायक हैं, जो सरकार को बहुमत में रखे हुए हैं।
दूसरी ओर, विपक्ष में विभिन्न दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं। एनपीपी के पास सात सीटें हैं, उसके बाद कांग्रेस के पास पांच और जेडीयू के पास छह सीटें हैं।
कुकी पीपुल्स अलायंस ने ये फैसला ऐसे वक्त में लिया है, जब विधानसभा सत्र 21 अगस्त को शुरू हो सकता है। मणिपुर मंत्रिमंडल ने राज्यपाल अनुसुइया उइके से 21 अगस्त से विधानसभा का सत्र आहूत करने की सिफारिश की थी, लेकिन इस सत्र में अधिकांश कुकी विधायकों के हिस्सा लेने की संभावना नहीं के बराबर थी। इससे पहले, कुकी पीपल्स अलायंस के अध्यक्ष तोंगमांग हाओकिप ने कहा था कि राज्य में जारी हिंसा और अलग प्रशासन को लेकर कुकी समुदाय की मांगों पर अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है जिस वजह से कुकी-जोमी-हमार विधायकों के लिए विधानसभा सत्र में शामिल लेना संभव नहीं होगा।
मणिपुर के स्वास्थ्य मंत्री सपम रंजन ने कहा, “हमें बताया गया है कि उन्होंने समर्थन वापस ले लिया है। मुझे लगता है कि केपीए के विधानसभा में दो विधायक हैं… इसका सरकार पर किसी भी तरह से प्रभाव पड़ेगा क्योंकि हमारे पास पूर्ण संख्या है।”
#WATCH | On Kuki People’s Alliance (KPA) withdrawing support from the state government in the state, Manipur Health Minister Sapam Ranjan says, "We've been told that they have withdrawn the support. I think KPA has two MLAs in the Assembly… I don't think it will affect the govt… pic.twitter.com/8xVCmdCPTX
— ANI (@ANI) August 7, 2023
इस बीच मणिपुर में हिंसा लगातार जारी है। लंगोल इलाके में आगजनी की ताजा घटना सामने आई। कुछ उपद्रवियों द्वारा आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया गया, जिससे कम से कम 15 घर जल गये। पुलिस ने कहा कि एक अन्य घटना में क्वाक्टा के पास राज्य बलों और आतंकवादियों के बीच भारी गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी सहित तीन लोग घायल हो गए। किसी भी अन्य अप्रिय घटना को रोकने के लिए क्षेत्र में अर्धसैनिक बलों की दस अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं।
मणिपुर पुलिस ने कहा, सुरक्षा बल लूटे गए हथियार और गोला-बारूद की बरामदगी के लिए पहाड़ी और घाटी इलाकों में लगातार छापेमारी कर रहे हैं। पुलिस ने कहा कि उसने अब तक राज्य के विभिन्न हिस्सों से लूटे गए 1,195 हथियार बरामद किए हैं।
सेना ने इंफाल घाटी में कई अभियान चलाए, जिसके दौरान मोंगचम इलाके में मुठभेड़ में एक आतंकवादी घायल हो गया। सेना के स्पीयर कोर के एक प्रवक्ता ने कहा कि घायल विद्रोही को पकड़ लिया गया और एक सेल्फ-लोडिंग राइफल, गोला-बारूद और युद्ध जैसे सामान बरामद किए गए।
मालूम हो कि लगभग तीन महीने पहले पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़क उठी थी, तब से अब तक 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं। मेतई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को हिंसा भड़क उठी थी। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।