सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल गांधी की ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने के कुछ दिनों बाद सोमवार को कांग्रेस नेता की संसदीय सदस्यता बहाल कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय की एक अधिसूचना से इसकी पुष्टि हुई। अधिसूचना में कहा गया है कि लोकसभा सदस्य के रूप में राहुल गांधी की अयोग्यता रद्द कर दी गई है और सांसद का दर्जा बहाल कर दिया गया है।
Lok Sabha secretariat issues notice, reinstating Congress leader Rahul Gandhi’s Parliament membership.
Last week, the Supreme Court had stayed the Congress leader's conviction in a criminal defamation case. pic.twitter.com/HZY0TWiOB4
— Press Trust of India (@PTI_News) August 7, 2023
कोर्ट से दोषी ठहराने जाने के बाद लोकसभा सचिवालय की ओर से उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून में प्रावधान है कि अगर किसी सांसद और विधायक को किसी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी हो जाते हैं।
खबर आते ही पार्टी मुख्यालय और कांग्रेस की दिग्गज नेता सोनिया गांधी के आवास के बाहर जश्न शुरू हो गया।
#WATCH | Celebrations underway outside 10 Janpath in Delhi as Lok Sabha Secretariat restores Lok Sabha membership of party leader Rahul Gandhi pic.twitter.com/piqBayhKWS
— ANI (@ANI) August 7, 2023
VIDEO | Congress workers celebrate outside AICC headquarters in Delhi after Rahul Gandhi was reinstated to the Parliament earlier today. pic.twitter.com/RWw6dsOlCd
— Press Trust of India (@PTI_News) August 7, 2023
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल होने के बाद I.N.D.I.A गठबंधन के नेताओं ने भी जश्न मनाया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट कर कहा, “राहुल गांधी को एक सांसद के रूप में बहाल करने का निर्णय स्वागत योग्य कदम है। यह भारत के लोगों और विशेषकर वायनाड के लोगों के लिए राहत लाता है। भाजपा और मोदी सरकार को अपने कार्यकाल का जो भी समय बचा है, उसका उपयोग विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर लोकतंत्र को बदनाम करने के बजाय वास्तविक शासन पर ध्यान केंद्रित करके करना चाहिए।”
The decision to reinstate Shri @RahulGandhi as an MP is a welcome step.
It brings relief to the people of India, and especially to Wayanad.
Whatever time is left of their tenure, BJP and Modi Govt should utilise that by concentrating on actual governance rather than… pic.twitter.com/kikcZqfFvn
— Mallikarjun Kharge (@kharge) August 7, 2023
राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल होने पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “स्पीकर ने आज फैसला लिया। हमने कानूनी प्रक्रिया का पालन किया और सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के तुरंत बाद हमने इसे बहाल कर दिया…”
मालूम हो कि 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी पर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी थी। उन्हें दो साल जेल की सज़ा सुनाई गई, जिसके बाद उनकी संसदीय सदस्यता स्वतः ही रद्द हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि सूरत अदालत के ट्रायल जज ने अधिकतम दो साल की सजा देने के लिए पर्याप्त कारण नहीं बताए हैं। इस साल मार्च में दोषी ठहराए जाने के बाद, अयोग्य ठहराए जाने से पहले, राहुल गांधी 2019 से वायनाड लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे।
पिछले महीने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज होने के बाद कांग्रेस नेता उच्चतम न्यायालय गए थे, जबकि सत्र अदालत ने दोषसिद्धि को पूरी तरह से रद्द करने की उनकी अपील पर सुनवाई की थी।
गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ उनके “सभी चोरों का सामान्य उपनाम मोदी कैसे है?” पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। राहुल ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान ये टिप्पणी की थी।
सूरत की एक अदालत ने इस साल 23 मार्च को इस मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराया था और दो साल जेल की सजा सुनाई थी। अगले दिन, उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया।
इसके बाद कांग्रेस नेता ने अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध के साथ उस आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी। जबकि सत्र अदालत ने उन्हें 20 अप्रैल को जमानत दे दी, और उनकी चुनौती पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की, लेकिन सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके बाद राहुल गांधी ने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सत्र अदालत द्वारा उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार करने को बरकरार रखा गया था।