सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है। शीर्ष अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए नागालैंड में महिलाओं को आरक्षण देने में विफल रहने पर सरकार से सवाल किया। अदालत ने कहा, “आप अपनी ही पार्टी की राज्य सरकारों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते? आप उन अन्य राज्य सरकारों के खिलाफ अतिवादी रुख अपनाते हैं जो आपके प्रति उत्तरदायी नहीं हैं, लेकिन जब राज्य में आपकी सरकार होती है तो आप कुछ नहीं करते।”
अदालत ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिसमें नागालैंड सरकार और राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को महिलाओं के लिए 33% आरक्षण के साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने के निर्देश देने वाले उसके आदेश का अनुपालन न करने का आरोप लगाया गया था।
जस्टिस एसके कौल ने कहा, “आरक्षण सकारात्मक कार्रवाई की अवधारणा है। महिला आरक्षण उसी पर आधारित है। आप संवैधानिक प्रावधान से कैसे बाहर निकल सकते हैं? मुझे यह समझ नहीं आता।”
उन्होंने आगे कहा, “नागालैंड एक ऐसा राज्य है जहां महिलाओं की शिक्षा, आर्थिक और सामाजिक स्थिति सबसे अच्छी है। इसलिए हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि महिलाओं के लिए आरक्षण क्यों लागू नहीं किया जा सकता।”
सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि नागालैंड स्थानीय निकायों में 33 प्रतिशत महिला कोटा क्यों लागू नहीं किया गया? सुप्रीम कोर्ट ने आज मौखिक रूप से कहा कि राज्य और केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य के विशेष कानूनों से छेड़छाड़ किए बिना नागालैंड में केंद्रीय कानून लागू हों। शीर्ष अदालत नागालैंड स्थानीय निकायों में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विशेष दर्जे और व्यक्तिगत कानूनों से छेड़छाड़ किए बिना केंद्रीय कानूनों को लागू किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वह केंद्र और राज्य सरकार को नागालैंड में महिला आरक्षण पर अपना रुख स्पष्ट करने का आखिरी मौका दे रही है। आदेश में कहा गया है- केंद्र अपना पल्ला नहीं झाड़ सकता। राज्य में राजनीतिक व्यवस्था केंद्र के अनुरूप होनी चाहिए।
नागालैंड एक ऐसा राज्य है जहां महिलाओं की शिक्षा, आर्थिक भागीदारी और सामाजिक स्थिति सर्वोत्तम है, इसलिए हमारी चिंता यह है कि नगरपालिका प्रशासन में उनका एक तिहाई आरक्षण एक स्वागत योग्य कदम क्यों नहीं होना चाहिए। अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी। सुनवाई के दौरान बीजेपी शासित मणिपुर में हुई हिंसा का भी जिक्र किया गया।