मणिपुर के कांगपोकपी में दो महिलाओं को नग्न घुमाने और उनके साथ छेड़छाड़ करने का एक वीडियो बुधवार को सामने आया और इससे बड़े पैमाने पर आक्रोश फैल गया। विपक्षी नेताओं ने महिलाओं की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। वीडियो में दिख रही महिलाओं में से एक का पति पूर्व सैनिक है, जो कारगिल युद्ध में भी लड़ा था। उन्होंने भारतीय सेना में असम रेजिमेंट के सूबेदार के रूप में कार्य किया था।
इस परेशान करने वाली घटना के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, “मैंने कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़ाई लड़ी और भारतीय शांति सेना के हिस्से के रूप में श्रीलंका में भी था। मैंने देश की रक्षा की लेकिन मुझे दुख है कि मेरी सेवानिवृत्ति के बाद, मैं अपने घर, अपनी पत्नी और साथी ग्रामीणों की रक्षा नहीं कर सका।”
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए पूर्व सैन्यकर्मी ने कहा कि वह ‘दुखी’ और ‘उदास’ हैं। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, “पुलिस मौजूद थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। मैं चाहता हूं कि उन सभी लोगों को कड़ी सजा मिले जिन्होंने घर जलाए और महिलाओं को अपमानित किया।”
उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “मैंने कारगिल में मोर्चे पर लड़ते हुए युद्ध देखा है। और जब मैं (रिटायरमेंट के बाद) घर लौटा हूं, तो मेरी अपनी जगह युद्ध के मैदान से भी ज्यादा खतरनाक है।”
उन्होंने कहा, “वे हमारे गांव में आए और घरों को जलाना शुरू कर दिया। सभी ग्रामीणों ने अपनी जान बचाने के लिए भागने की कोशिश की और मेरी पत्नी मुझसे अलग हो गई। वह और चार अन्य ग्रामीण जंगल में छिप गए। कुछ हमलावर, जो हमारे सूअरों और मुर्गियों का पीछा करते हुए गांव में घुस आए, उन्होंने उन्हें वहां छिपा हुआ पाया। तब तक हमलावरों द्वारा घेरे गए सेवानिवृत्त सैनिक और अन्य ग्रामीणों को गांव की कच्ची सड़क पर लाया गया। उन्होंने कहा, “मैं उन्हें मेरी पत्नी और बाकी लोगों को दूर तक ले जाते हुए देख सकता था।”
इस बीच मणिपुर की राजधानी इंफाल में महिला प्रदर्शनकारियों द्वारा घारी इलाके में एक मुख्य सड़क के दोनों किनारों को अवरुद्ध करने के बाद ताजा हिंसा की सूचना मिली है। विरोध प्रदर्शन के दौरान महिला प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए, जिसके बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी। प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए मणिपुर सशस्त्र पुलिस, सेना और त्वरित कार्रवाई बटालियन मौके पर पहुंची। एक ऑपरेशन में उन्होंने आग बुझाई और स्थिति को नियंत्रित किया। प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए कई इलाकों में फ्लैग मार्च किया।
मालूम हो कि यह वीडियो मणिपुर में हिंसा भड़कने के एक दिन बाद 4 मई का है। राज्य में सबसे पहले झड़पें जनजातीय एकजुटता मार्च के दौरान हुई थीं, जो मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित किया गया था। घटना के एक महीने से भी अधिक समय बाद 21 जून को मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। तीन महिलाओं को नग्न होने के लिए मजबूर किया गया, जैसा कि एफआईआर में बताया गया है। 21 साल की एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। जब उसके 19 वर्षीय भाई ने हस्तक्षेप करने का प्रयास किया, तो उसे मार दिया गया।
वीडियो सामने आने के एक दिन बाद गुरुवार को मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पांचवे आरोपी की पहचान युमलेम्बम नुंगसिथोई मेटेई के रूप में हुई है। जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं।