सोनिया गांधी ने मणिपुर में 3 मई से जारी जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है। एक वीडियो सन्देश में श्रीमती गांधी ने कहा, “मैं उन सभी के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। मुझे यह देखकर बहुत दुख हुआ कि लोगों को उस एकमात्र स्थान से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसे वे घर कहते हैं और अपने जीवन भर का बनाया हुआ सब कुछ पीछे छोड़ जाते हैं।’
मणिपुर में झड़पों को एक बड़ी मानवीय त्रासदी कहते हुए, पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि राज्य के लोगों को एक दूसरे के खिलाफ देखना दिल दहला देने वाला है। उन्होंने कहा, ‘पिछले लगभग 50 दिनों से हम मणिपुर में एक बड़ी मानवीय त्रासदी देख रहे हैं। इस हिंसा ने आपके राज्य में हजारों लोगों का जीवन उजाड़ दिया है। इस घटना ने हमारे देश की अंतरात्मा पर एक गहरा घाव छोड़ा है।’
उन्होंने कहा, “शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को एक-दूसरे के खिलाफ होते देखना हृदय विदारक है।”
The unprecedented violence that has devastated the lives of people in Manipur has left a deep wound in the conscience of our nation.
I am deeply saddened to see the people forced to flee the only place they call home.
I appeal for peace and harmony. Our choice to embark on the… pic.twitter.com/BDiuKyNGoe
— Congress (@INCIndia) June 21, 2023
सोनिया गांधी ने यह कहते हुए कि देश एक महत्वपूर्ण चौराहे पर खड़ा है, कहा कि भाईचारे की भावना को पोषित करने के लिए जबरदस्त भरोसे और सद्भावना की जरूरत होती है और नफरत और विभाजन की आग को भड़काने के लिए एक ही गलत कदम। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर के इतिहास में विभिन्न जाति, धर्म और पृष्ठभूमि के लोगों को गले लगाने की शक्ति और क्षमता है। यह एक विविध समाज की संभावनाओं का प्रमाण है।
सोनिया ने कहा, ‘आज हम एक निर्णायक मोड़ पर खड़े हैं। किसी भी राह पर चलने का हमारा चुनाव एक ऐसे भविष्य को आकार देगा जो हमारे बच्चों को विरासत में मिलेगा। मैं मणिपुर के लोगों, विशेष रूप से अपनी बहादुर बहनों से यह अपील करती हूं कि वे इस खूबसूरत धरती पर शांति और सद्भाव की राह का नेतृत्व करें।’
गाँधी ने कहा कि, ‘एक माँ के रूप में मैं आपके दर्द को समझती हूं। मैं आप सभी से यह निवेदन करती हूं कि अपनी अंतरात्मा की आवाज को पहचानें। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में हम परस्पर विश्वास का मजबूती से पुनर्निर्माण करेंगे। मुझे मणिपुर के लोगों से बहुत उम्मीदें हैं और उनके ऊपर बहुत विश्वास है। मैं जानती हूं कि हम सभी मिलकर यह परीक्षा की घड़ी भी पार कर लेंगे।’
मालूम हो कि मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में मणिपुर के कई जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को पहली बार मणिपुर में झड़पें हुईं थी। मेइती मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी – नागा और कुकी – आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।