पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व भारती विश्वविद्यालय को शांतिनिकेतन में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के घर पर बुलडोजर चलाने को लेकर चुनौती दी है और कहा है कि अगर अधिकारियों ने सेन के घर को गिराया तो वह वहां जाकर बैठेंगी।
बनर्जी ने कहा कि, “मैं दुस्साहस देख रही हूँ…वे अमर्त्य सेन के घर पर बुलडोजर चला देंगे। अगर वे अमर्त्य सेन के घर पर बुलडोजर चलाते हैं तो मैं वहीं बैठूंगी। मैं उसका इंतजार करूंगी। मुझे देखने दीजिए कि उन्होंने अमर्त्य सेन के घर पर बुलडोज़र चला दिया है। अगर वे ऐसा करते हैं, तो मैं वहां जाकर बैठने वाली पहली व्यक्ति होऊंगी”।
दरअसल, अमर्त्य सेन इस समय विदेश में हैं। इससे पहले बोलपुर के कार्यकारी मजिस्ट्रेट की अदालत ने कुछ दिनों पहले पुलिस को नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के पैतृक घर प्राची की भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। उन्होंने कोर्ट में आशंका जताई थी कि उन्हें विश्वभारती की भूमि से उनकी अनुपस्थिति में बेदखल किया जा सकता है।
हाल ही के एक आदेश में, विश्व भारती विश्वविद्यालय ने अर्थशास्त्री से 6 मई तक शांति निकेतन में कथित रूप से सेन द्वारा कब्जा की गई 13 डिसमिल भूमि को खाली करने के लिए कहा था।
इस नोटिस के बाद 120 से अधिक हस्तियों ने बेदखली नोटिस की निंदा करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी- विश्व भारती के कुलपति, को एक खुला पत्र लिखा। पत्र में विश्वविद्यालय पर इस मुद्दे पर अमर्त्य सेन को परेशान करने और अपमानित करने का आरोप लगाया गया है।
पत्र में लिखा गया था कि, “विश्व भारती जैसे सम्मानित विश्वविद्यालय द्वारा इस तरह का व्यवहार अप्रत्याशित और भयावह है। हम एक सम्मानित अर्थशास्त्री के खिलाफ इस उत्पीड़न, अपमान और दुराचार की निंदा करते हैं। सेन को पट्टे की जमीन विरासत में मिली और अब विश्वविद्यालय अर्थशास्त्री को उनके पैतृक घर से बेदखल करने के लिए तैयार है, जो पूरी दुनिया के सामने सभी बंगालियों, भारतीयों के लिए अपमान है”।