केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि पिछली यूपीए सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम जैसे कि ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना लोगों से उत्पन्न हुई, जबकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली योजनाओं को नौकरशाहों द्वारा तैयार किया गया है।
गांधी ने बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के ‘केंद्रीकृत’ शासन की आलोचना की और इसकी तुलना पूर्व की यूपीए सरकारों से की। मनरेगा योजना का हवाला देते हुए, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यूपीए के शासन के दौरान लोगों के इनपुट के आधार पर तैयार किया गया था। उन्होंने दावा किया कि वर्तमान सरकार का नोटबंदी का निर्णय मोदी के दिमाग से आया था और इसे लोगों या बैंकिंग प्रणाली से परामर्श किए बिना लागू किया गया।
उन्होंने केरल के कलपेट्टा में कांग्रेस नीत यूडीएफ के स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान ये बातें कही।
एक सवाल का जवाब देते हुए राहुल ने कहा, ‘मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं। बहुत सारी योजनाएँ केंद्रीकृत तरीके से की जाती हैं, और वे वास्तव में प्रभावी नहीं होती हैं क्योंकि योजना बनाने और योजना के बारे में सोचने में पंचायत की भागीदारी नहीं होती है”।
वायनाड सांसद ने कहा, “अगर आप मनरेगा जैसी कांग्रेस पार्टी की योजनाओं को देखें और उनकी तुलना भाजपा की योजनाओं से करें, तो आप पाएंगे कि कांग्रेस पार्टी की योजनाएं लोगों से, पंचायतों से और भाजपा की योजनाएं नौकरशाही से निकली हैं।” इसके बाद गांधी ने मनरेगा योजना के लॉन्च के बारे में विस्तार से बताया, लोगों को बताया कि कैसे यह विचार महाराष्ट्र के एक जिले से उभरा और बाद में इसे एक राष्ट्रीय योजना के रूप में अवधारणाबद्ध किया गया और देश के शेष हिस्सों में इसका विस्तार किया गया।
गांधी ने कहा- “मनरेगा भारत के लोगों से उभरा। लोगों ने काम की मांग की और सरकार ने उस विचार का जवाब दिया”। उन्होंने कहा कि कई अलग-अलग हितधारकों से बात करने के बाद इस योजना को विकसित होने में कई साल लग गए। यह वह योजना थी जो भारत के लोगों से निकली थी। यह भारत के लोगों का ज्ञान था जिसने मनरेगा बनाया।
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी ने मनरेगा का उपहास उड़ाया था, लेकिन जब देश को COVID-19 संकट का सामना करना पड़ा तो उन्हें इस योजना का विस्तार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा- “जब COVID आया, तो वही प्रधान मंत्री, जो मनरेगा का उपहास उड़ा रहे थे, मनरेगा का विस्तार करने के लिए मजबूर हो गए …।
राहुल ने कहा, “जब प्रधान मंत्री नोटबंदी का विचार लेकर आए, तो यह उनके दिमाग से आया। उन्होंने भारत के लोगों से सलाह नहीं ली। उन्होंने बैंकिंग सिस्टम से भी सलाह नहीं ली।’
बता दें कि स्थानीय निकायों के पदाधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान, गांधी ने जमीन पर विकास के मुद्दों, वनों के लिए बफर जोन, मानव-पशु संघर्ष, अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दों और मनरेगा से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की। प्रतिनिधियों ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा फंड आवंटन में कमी के मुद्दों को भी उठाया, जिस पर राहुल ने कहा कि वह केंद्र और राज्य दोनों के साथ कई मौकों पर इन मुद्दों को उठाते रहे हैं।