हाथरस मामले में एकमात्र दोषी संदीप को उत्तर प्रदेश की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने संदीप पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इससे पहले गुरुवार को ही SC/ST कोर्ट ने संदीप को दोषी ठहराया था और तीन अन्य को बरी कर दिया। इन चार आरोपियों में से – संदीप (20), रवि (35), लव कुश (23), और रामू (26) – अदालत ने माना कि संदीप अपराध का दोषी है।
संदीप को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अपराधों के लिए गैर इरादतन हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था।
पीड़ित लड़की के परिवार ने कहा कि वह अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं है और कहा कि वह मामले को उच्च न्यायालय में अपील करेगा।
बता दें कि सितंबर 2020 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बूलगढ़ी में एक 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ बलात्कार किया गया और उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था। इस मामले में एक ही गांव के चार ऊंची जाति के आरोपी थे। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान 15 दिन बाद पीड़ित लड़की की मौत हो गई थी।
इस बलात्कार के मामले ने 2020 में विरोध प्रदर्शनों और न्याय की मांग के साथ बड़े पैमाने पर आक्रोश पैदा किया। विवाद ने उस समय राजनीतिक मोड़ ले लिया जब परिवार ने दावा किया कि अधिकारियों ने उनकी अनुमति के बिना अस्पताल से पीड़ित का शव अपने कब्जे में ले लिया। अधिकारियों ने परिवार को उसका अंतिम संस्कार करने की भी अनुमति नहीं दी और आधी रात में उसका दाह-संस्कार कर दिया गया। यूपी पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि पीड़ित के साथ गैंग रेप नहीं हुआ। पुलिस के इस बयान के बाद कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार भी लगाई थी और फिर मामले में योगी सरकार ने SIT बनाई थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2020 में इस मामले का संज्ञान लेते हुए कहा था कि अपराध – ने उसकी अंतरात्मा को ‘झटका’ दिया था। दस दिन बाद मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। बीते दिनों सीबीआई ने चार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। जांच एजेंसी ने चारों आरोपियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप और एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की थी। आरोपियों पर धारा-325, SC-ST एक्ट 376 A और 376 D (गैंग रेप) और 302 की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की गई थीं।
बता दें कि विपक्ष ने यूपी पुलिस और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पर पीड़ित लड़की के जीवित रहते और उसकी मृत्यु के बाद जांच और इलाज में कथित चूक को लेकर जमकर हमला बोला था।