महाराष्ट्र के सोलापुर के एक किसान को उस समय गहरा झटका लगा जब उसे पता चला कि दस बोरी प्याज बेचने के बदले उसे 2 रूपये मिले हैं।
सोलापुर में बार्शी तहसील के बोरगांव गाँव के एक किसान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण ने कहा कि वे 70 किमी की यात्रा करके सोलापुर कृषि उपज बाजार समिति (APMC) में अपनी सर्दियों की प्याज की फसल बेचने गए जहां प्याज एक रुपए प्रति किलो के भाव बिके और उन्हें पोस्ट-डेटेड चेक के रूप में 2 रुपये का भुगतान किया गया जिसे वो 15 दिनों के बाद इनकैश कर सकते हैं।
Rajendra Tukaram Chavan, a farmer from Barshi Village in Solapur sold 500kg of onions in the market on Feb 17th. After deducting the money for carriage, weighing and wages he got only 2 rupees. The bill and cheque is here. 👇🏻
Can we treat this as 'Ache din' for farmers! 🤔 pic.twitter.com/dr3RA0UkBE
— Ravindra (@iamrkadi) February 24, 2023
चव्हाण ने अपनी पूरी फसल की बिक्री से ₹512 कमाए लेकिन APMC व्यापारी ने परिवहन शुल्क और अन्य लागतों के रूप में ₹509.50 काट लिया। इसके बाद, उन्होंने केवल ₹2.49 कमाए।
चव्हाण ने कहा, “बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की कीमत पिछले तीन-चार वर्षों में दोगुनी हो गई है। मैंने इस बार लगभग 500 किलो प्याज उगाने के लिए लगभग ₹40,000 खर्च किए हैं।” किसान ने कहा कि पिछले साल उसकी फसल ₹20/किग्रा बेचीं थी। हालांकि इस खरीफ सीजन में बंपर फसल से उपज की कीमतों में गिरावट आई है।
किसान के बेटे अन्ना राजेंद्र चव्हाण ने कहा, “मैंने 2 एकड़ जमीन पर प्याज उगाया और दस बोरी बेचने के लिए सोलापुर मंडी गया। वजन करने के बाद मुझे दो रुपये का चेक दिया गया। मैंने कर्ज लिया था।” मैं इसे कैसे चुकाऊंगा?”
विशेषज्ञों के अनुसार, किसानों को 25% से अधिक उच्च गुणवत्ता की उपज नहीं मिलती है। उपज का लगभग 30% मध्यम गुणवत्ता का होता है और शेष निम्न गुणवत्ता का होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी, नासिक के लासलगांव एपीएमसी में थोक प्याज की कीमतों में पिछले दो महीनों में लगभग 70 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि लासलगांव मंडी में किसानों के माध्यम से आने वाले प्याज की मात्रा जो दिसंबर महीने में 15,000 क्विंटल प्रति दिन थी वो अब दोगुनी होकर 30,000 क्विंटल प्रति दिन हो गई है। प्याज का औसत थोक मूल्य दिसंबर में के 1,850/क्विंटल से गिरकर इस साल फरवरी में 550/क्विंटल हो गया है।
किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि बाजार में प्याज की आवक अब ‘खरीफ’ उत्पाद है और इसे लंबे समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि उत्पाद की ‘शेल्फ लाइफ’ कम है। उन्होंने कहा, “इस प्याज को तुरंत बाजार में बेचने और निर्यात करने की जरूरत है। लेकिन प्याज की अधिकता के कारण कीमतों में गिरावट आई है। यह प्याज नेफेड द्वारा नहीं खरीदा जाता है। इसलिए एक मात्र विकल्प यह है कि सरकार इस ‘खरीफ’ प्याज के लिए बाजार उपलब्ध कराए”।
चव्हाण से प्याज खरीदने वाले व्यापारी नासिर खलीफा ने कहा कि डिजिटलीकरण के कारण चव्हाण को चेक जारी किया गया है। उन्होंने कहा, “हमने रसीद और चेक जारी करने की प्रक्रिया को कम्प्यूटरीकृत कर दिया है। नतीजतन, चव्हाण का चेक पोस्ट-डेटेड था।” खलीफा ने कहा, “पहले, चव्हाण उच्च गुणवत्ता वाले प्याज लाए थे जो 18 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचे गए थे। बाद में वह एक और बैच प्याज लेकर आए, जिसका उन्हें 14 रुपये प्रति किलो मिला। कम गुणवत्ता वाले प्याज आम तौर पर बाजार में डिमांड में नहीं है।