प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फेमा मामले में केरल स्थित आभूषण समूह Joyalukkas के मालिक जॉय अलुक्कास वर्गीज की 305 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की है। ये मामला कंपनी द्वारा हवाला चैनल के माध्यम से दुबई में “भारी नकदी” के कथित हस्तांतरण से जुड़ा हुआ है। मालूम हो कि ED ने बीते दिनों जॉयअलुक्कास के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी।
ईडी ने एक बयान में कहा है कि, “जब्त की गई जॉयअलुक्कास की संपत्तियों में 33 अचल संपत्तियां शामिल हैं, जिनकी कीमत 81.54 करोड़ रुपये है। इनमें त्रिशूर की शोभा सिटी में एक प्लॉट और एक आवासीय इमारत शामिल है। जॉयअलुक्कास के 217.81 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों के साथ-साथ 91.22 लाख रुपये की जमा राशि वाले 3 बैंक खातों और 5.58 करोड़ रुपये की राशि के 3 फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को भी जब्त किया गया है”।
जांच एजेंसी के बयान के मुताबिक़, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) की धारा 37ए के तहत संलग्न इन संपत्तियों का कुल मूल्य 305.84 करोड़ रुपये है।
जांच एजेंसी के अनुसार, “ये मामला हवाला चैनलों के माध्यम से भारत से दुबई में भारी मात्रा में नकदी स्थानांतरित करने और बाद में Joyalukkas ज्वैलरी एलएलसी, दुबई में निवेश करने से संबंधित है, जो जॉय अल्लुकास वर्गीज की 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली कंपनी है।”
ED ने कहा कि तलाशी के दौरान एकत्र किए गए आधिकारिक दस्तावेज और इमेल, जॉय अलुक्कास की हवाला लेनदेन में सक्रिय संलिप्तता की पुष्टि करती है। ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि कंपनी के मालिक वर्गीज Joyalukkas Jewellery LLC दुबई में निवेश किए गए धन के “लाभार्थी स्वामी” थे।
जांच एजेंसी ने 22 फरवरी को आभूषण समूह के कई परिसरों की तलाशी ली थी। जांच एजेंसी द्वारा की गई ये छापेमारी कंपनी द्वारा 2,300 करोड़ रुपये के आईपीओ को वापस लिए जाने के ठीक एक दिन बाद हुई थी। कंपनी ने 2,300 करोड़ रुपये के आईपीओ को ये कहते हुए वापस ले लिया था कि उसे अपने वित्तीय ढांचें में पर्याप्त परिवर्तन करने के लिए और समय की जरूरत है। कंपनी ने मार्च, 2022 में अपने एक ड्राफ्ट में बताया था कि उसकी IPO से प्राप्त रकम के इस्तेमाल से कुछ कर्जों को चुकाने और नए ज्वेलरी स्टोर खोलने की योजना है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) को साल 1999 में विदेशी मुद्रा से संबंधित सभी कानूनों का संशोधन और एकीकरण करने के उद्देश्य से लागू किया था। इसका उद्देश्य देश में विदेशी भुगतान और व्यापार को बढ़ावा देना है, जिससे औद्योगिक विकास और निर्यात को बढ़ावा मिल सके। हालांकि, विदेशी मुद्राओं में किए गए भुगतान को शामिल करने वाले लेनदेन अधिकृत व्यक्तियों के माध्यम से ही होने चाहिए।