चारु सिन्हा हैदराबाद में अर्धसैनिक बल के दक्षिणी क्षेत्र में अपने स्थानांतरण के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के चार क्षेत्रों के महानिरीक्षक (आईजी) के रूप में सेवा देने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं।
सितंबर 2020 में चारु सीआरपीएफ, श्रीनगर सेक्टर आईजी के रूप में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी भी बनीं थीं। अधिकारियों ने कहा कि दो वर्षों में उन्होंने लगभग 69 उग्रवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया, जिसमें कम से कम 21 आतंकवादी मारे गए।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर (जम्मू-कश्मीर) के बडगाम, श्रीनगर और गांदरबल जिलों में लगभग 22000 सीआरपीएफ कर्मियों की 22 बटालियनों की कमान संभाली। सिन्हा ने सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस टीम के एक संयुक्त दल का नेतृत्व किया जिसने जनवरी 2022 में लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर सलीम पर्रे और एक अन्य “विदेशी आतंकवादी” को मार गिराया था।
1996 बैच की भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी, बिहार के अलग अलग क्षेत्रों में में माओवादी विरोधी अभियानों में भी शामिल रही हैं। उन्होंने साल 2022 में कोविड-19 महामारी के दो साल बाद पहली बार शुरू हुई अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था की भी जिम्मेदारी बखूबी निभाई थी। कश्मीर में सिन्हा का कार्यकाल नियमित पुलिसिंग के अलावा और खुफिया जानकारी जुटाने और पुलों के निर्माण पर भी केंद्रित रहा।
उन्हें संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के एक महीने बाद घाटी में तैनात किया गया था। सिन्हा ने कश्मीर में अपने कार्यकाल को संतोषजनक बताया।
सिन्हा ने कहा कि, “हम कश्मीर में सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों के जरिये कश्मीर में युवाओं के साथ जुड़े। हमारी प्राथमिकता युवाओं को एक सार्थक अभ्यास में शामिल करना था, जिससे उन्हें रोजगार खोजने में मदद मिले।”
सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि सिन्हा ने 2021 में एक आदेश जारी कर सभी CRPF कर्मियों को घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान घरों में प्रवेश करने से पहले जूता कवर पहनने को कहा था। अधिकारी ने कहा- “यह न केवल यहां के लोगों के लिए सम्मान का संकेत था बल्कि एक व्यावहारिक कदम भी था क्योंकि ज्यादातर घरों में कालीन होते हैं और कुछ महंगे भी होते हैं।”
सिन्हा ने “लव यू जिंदगी कार्यक्रम” का भी निरीक्षण किया, जिसके तहत मानसिक स्वास्थ्य, जेंडर और वित्तीय मुद्दों से निपटने के लिए जूनियर सीआरपीएफ कर्मियों के लिए पाठ्यक्रम आयोजित किए गए।
सीआरपीएफ के एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि, “हमारे जवान महीनों घाटी में तैनात रहते हैं और अपने परिवारों से दूर रहते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें वैवाहिक समस्याएँ हैं। तनाव से निपटने के अलावा, कार्यक्रम ने वित्तीय निवेश में भी जवानों की मदद की”।
बता दें कि सीआरपीएफ मुख्य रूप से कानून और व्यवस्था बनाए रखने, आतंकवाद विरोधी अभियानों, सुरक्षा प्रदान करने और जम्मू-कश्मीर में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की रखवाली करने में लगी हुई है। इसका जम्मू-कश्मीर क्षेत्र सबसे बड़ा है।