जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में शुक्रवार की कक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। यूनिवर्सिटी के इस निर्णय को बीबीसी डॉक्यूमेंट्री विवाद से ही जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, जामिया के पीआरओ का कहना है कि शुक्रवार की कक्षाओं के स्थगित होने का 25 जनवरी को हुए विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है। पीआरओ के मुताबिक़, सभी शिक्षण कर्मचारी गुरुवार को गणतंत्र दिवस समारोह में व्यस्त थे, तो ऐसे में उन्होंने आराम के लिए एक दिन मांगा और विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें शुक्रवार को एक दिन की छुट्टी दे दी है। इसी वजह से जामिया यूनिवर्सिटी की क्लासेज शुक्रवार को बंद रहेंगी।
मालूम हो कि 25 जनवरी को जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ की स्क्रीनिंग को लेकर विवाद हुआ था। 4 छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। लेफ्ट छात्र संगठन एसएफआई ने घोषणा की थी कि वे शाम 6 बजे प्रधानमंत्री मोदी पर बने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री जामिया मिल्लिया इस्लामिया के परिसर में दिखाएगा। वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा था कि विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रिनिंग को लेकर छात्र संगठन SFI यूनिवर्सिटी कैंपस का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहा है। हम ऐसी किसी भी काम की अनुमति नहीं देंगे। छात्रों की किसी भी गैरजरूरी हरकत पर कार्रवाई होगी।
इस मामले को लेकर जामिया यूनिवर्सिटी की कुलपति नजमा अख्तर ने गुरुवार को बयान दिया। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के भीतर कुछ नहीं हुआ है। कुछ लोगों ने ऐसा करने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा नहीं होने दिया गया। जो भी कुछ हुआ, वह बाहर सड़क पर हुआ. यह एक छोटी सी घटना थी। हमारी सुरक्षा व्यवस्था अच्छी थी।
इस बीच शुक्रवार शाम को केरल कांग्रेस ने BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ की स्क्रीनिंग की। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने यह स्क्रीनिंग तिरुवनंतपुरम में शंकुमुघम बीच पर की। पार्टी का कहना था कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह डॉक्यूमेंट्री दिखाई जा सके इसलिए बीच पर इसकी स्क्रीनिंग की गई है।
बता दें कि बीबीसी ने दो एपिसोड की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है जिसका नाम है – इंडिया: द मोदी क्वेश्चन. इसका पहला एपिसोड 17 जनवरी को ब्रिटेन में प्रसारित हुआ था। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को प्रसारित हुआ। ये डॉक्यूमेंट्री एक अप्रकाशित रिपोर्ट पर आधारित है जिसे बीबीसी ने ब्रिटिश फ़ॉरेन ऑफ़िस से हासिल किया है। इस डॉक्यूमेंट्री में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में साल 2002 में हुई हिंसा में लोगों की मौत पर सवाल उठाए गए हैं। सरकार ने ट्विटर और यूट्यूब को इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नामक डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री को एक दुष्प्रचार का हथकंडा बताते हुए खारिज कर दिया है। मंत्रालय का कहना है कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है और यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है।