कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी की सरकार पर बड़ा हमला बोला है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा है कि देश की आजादी के अमृतकाल के दौर में पिछले कुछ सालों से भारतीयों के नागरिकता छोड़ने की संख्या लगातार बढ़ रही है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि साल 2022 के पहले 10 महीनों में 1,83,741 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी है। इस हिसाब से प्रतिदिन 604 लोग भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि वर्ष 2014 मे रोजाना औसतन 354 लोग भारत की नागरिकता छोड़ते थे। लेकिन यह संख्या अब बढ़कर 604 हो गई है।
हर दिन 604 भारतीयों के देश छोड़ने के पीछे 6 मुख्य कारण..
1. बेरोजगारी
2. Low GDP ग्रोथ
3. बढ़ती गरीबी
4. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 107वां स्थान
5. ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में 135वां स्थान
6. ग्लोबल प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 150वां स्थान: @GouravVallabh जी pic.twitter.com/vHrbcKuTAQ
— Congress (@INCIndia) January 10, 2023
उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की औसत संख्या प्रतिदिन 1.7 गुना हो गई है और भारत के विदेश मंत्रालय के आंकड़े ये बताते हैं कि रोजाना 600 से ज्यादा भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं। गौरव वल्लभ ने कहा कि देश छोड़ने वालों में से अधिकतर लोग ऐसे हैं, जिनकी सालाना आय 8 करोड़ रुपए से ज्यादा है। भारतीयों के अच्छे दिन देश से बाहर आए हैं।
PRESS RELEASE
January 10, 2023
Statement Issued by Prof, Gourav Vallabh, Spokesperson, Indian National Congress. pic.twitter.com/1IDNLqCww8
— INC Sandesh (@INCSandesh) January 10, 2023
कांग्रेस प्रवक्ता ने कि बताया कि अर्थव्यवस्था में ठहराव, गरीबी बढ़ने से लेकर हंगर इंडेक्स और प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जैसे मानकों पर भारत की वैश्विक रैंकिंग में लगातार आ रही गिरावट के मद्देनजर ऐसा होना तय है।
उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा भारतीय नागरिकता छोड़ने के पीछे लगातार उच्च बेरोजगारी दर का होना एक प्रमुख कारण है। उन्होंने सीएमआईई के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2022 में 12 में से 9 महीनों में बेरोजगारी का स्तर 7% से अधिक था। दिसंबर 2022 में यह आंकड़ा 8.3% था और शहरी बेरोजगारी के मामले में यह 10.9% था।
गौरव वल्लभ ने कहा कि देश का आर्थिक आधार, जो रोजगार प्रदान करता था, उसे ध्वस्त कर दिया गया है। इसलिए सरकार ने 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त राशन देकर लोगों को संभालने की जरूरत महसूस की।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के दोषपूर्ण कार्यान्वयन के दोहरे झटकों के कारण, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि वित्त वर्ष 2017 में 8.3% से गिरकर वित्त वर्ष 2020 (पूर्व-कोरोना अवधि) में 3.7% रह गई। अर्थव्यवस्था अब तक पूरी तरह से उबर नहीं पाई है।
यूएनडीपी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक संयुक्त शोध रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 2020 में भारत में 22.89 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे थे और महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर ‘बेहद गरीब’ हो गए लोगों में 79% भारतीय थे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इस दौरान भारत में गरीबी रेखा के नीचे जाने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वैश्विक हंगर इंडेक्स में 121 देशों में भारत 107वें स्थान पर है जो पिछले वर्ष के 101वें स्थान से भी नीचे है।
उन्होंने 2022 के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स का भी हवाला दिया जिसमें भारत 146 देशों में से 135वें स्थान पर है।
प्रो. वल्लभ ने आगे कहा कि वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स ने अपनी 2022 की रिपोर्ट में 180 देशों में भारत को 150वें स्थान पर रखा है, और कहा कि रिपोर्ट ने भारत को ‘मीडिया के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक’ के रूप में वर्णित किया है।
गौरव वल्लभ ने पीएम मोदी से पूछा कि वह इन 6 मुद्दों में से किसी पर ‘मन की बात’ कब करेंगे? उन्होंने यह भी पूछा कि अच्छे दिन भारत में रहने वाले भारतीयों के लिए मायावी क्यों हैं?
गौरव वल्लभ ने कहा कि मई 2022 में कच्चे तेल की कीमत 110-115 डॉलर प्रति बैरल थी. केंद्रीय मंत्री सरकार का शेखी बघारते हुए कहते हैं कि भारत ने रूस से 45 डॉलर प्रति बैरल की सस्ती दर पर कच्चा तेल खरीदा है. तो फिर सरकार ने भारत सरकार ने उपभोक्ताओं को लाभ क्यों नहीं दिया है? उन्होंने कहा- चूंकि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमत में काफी कमी आई है, तो ऐसे में पेट्रोल/डीजल की कीमतों में 20-25 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गुंजाइश है। उन्होंने आगे कहा कि अगर केंद्र पेट्रोल/डीजल की कीमतों में कमी करता है, तो राज्य सरकारों द्वारा लगाया गया वैट अपने आप कम हो जाएगा।