सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को OBC आरक्षण के बिना नगर निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने प्रदेश सरकार को निकाय चुनाव तीन महीने के लिए टालने की परमिशन दी है। इस तीन महीने के अंदर राज्य सरकार द्वारा बनाया गया आयोग अपनी रिपोर्ट फाइल करेगा। इस दौरान कोई बड़ा नीतिगत फैसला नहीं लिया जा सकेगा।
Supreme Court stays Allahabad High Court’s order directing the Uttar Pradesh government to hold local urban bodies elections in the State by January without granting reservation to OBCs. pic.twitter.com/SzeCaTzdit
— ANI (@ANI) January 4, 2023
बुधवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में (पॉइंट-सी) के बारे में निर्देशित किया है, इस पर रोक लगाई जाती है। इस पर कोर्ट ने संबंधित पक्षों से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की बेंच ने यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर संज्ञान लिया। बेंच ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग को 31 मार्च, 2023 तक स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्वाचित प्रतिनिधियों के कार्यकाल की समाप्ति के बाद स्थानीय निकाय मामलों के संचालन के लिए प्रशासकों की नियुक्ति करने की अनुमति दी। लेकिन ये साफ़ किया कि प्रशासकों के पास महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लेने की शक्तियां नहीं होंगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा- “सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूपी में नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में दिए गए आदेश का हम स्वागत करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई समय सीमा के अंतर्गत ओबीसी आरक्षण लागू करते हुए यूपी सरकार निकाय चुनाव संपन्न कराने में सहयोग करेगी”।
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में दिए गए आदेश का हम स्वागत करते हैं।
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई समय सीमा के अंतर्गत ओबीसी आरक्षण लागू करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार निकाय चुनाव संपन्न कराने में सहयोग करेगी।
— Yogi Adityanath (मोदी का परिवार) (@myogiadityanath) January 4, 2023
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 5 दिसंबर की अधिसूचना को रद्द करते हुए निर्देश दिया था कि राज्य सरकार चुनावों को तत्काल अधिसूचित करे क्योंकि कई नगरपालिकाओं का कार्यकाल 31 जनवरी तक समाप्त हो जाएगा। हाईकोर्ट ने OBC आरक्षण के बिना ही निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था। इसके बाद यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 2 जनवरी को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने सरकार का पक्ष रखा था। उन्होंने कहा था कि सरकार ने ओबीसी आयोग का गठन कर दिया है। स्थानीय निकाय चुनाव आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही कराया जाना चाहिए।
सरकार ने 5 सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग का किया है गठन-
निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण देने के लिए योगी सरकार ने 5 सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है। ये आयोग मानकों के आधार पर पिछड़े वर्गों की आबादी को लेकर सर्वे कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगा। रिटायर्ड जस्टिस राम अवतार सिंह को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। सदस्यों में चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, संतोष विश्वकर्मा और ब्रजेश सोनी शामिल हैं। ये आयोग राज्यपाल की सहमति से 6 महीने के लिए गठित है, जो जल्द से जल्द सर्वे कर रिपोर्ट शासन को सौंपेगा।
बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्देश में कहा कि अगर अन्य पिछड़ा वर्ग को ट्रिपल टेस्ट के तहत आरक्षण नहीं दिया तो अन्य पिछड़ा वर्ग की सीटों को अनारक्षित माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले को आधार मानते हुए हाई कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा जारी ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया था।