वीडियोकॉन को लोन देने के मामले में CBI ने ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया है। चंदा कोचर पर बैंक की पॉलिसी और रेगुलेशन के खिलाफ जाकर करोड़ों रुपए का लोन देने का आरोप है। आरोप है कि जब चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की कमान संभाल रही थीं, तब उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप को लोन दिया था। बदले में चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनी नू रिन्यूएबल को वीडियोकॉन से निवेश मिला था।
CBI has arrested former MD & CEO of ICICI bank Chanda Kochhar & Deepak Kochhar in the alleged ICICI bank – Videocon loan fraud case
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— ANI (@ANI) December 23, 2022
ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने PM, RBI और SEBI को एक पत्र लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था। इसमें दावा किया गया था कि धूत की कंपनी वीडियोकॉन को 2012 में ICICI बैंक से 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया गया और इसके बदले धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल में अपना पैसा निवेश किया। लेकिन कुछ महीने बाद ही उन्होंने ये शेयर न्यूपावर को बेच दिए, वह भी कम कीमत पर। इसके बाद यह संदेह उठा कि दोनों में कोई रिश्ता तो नहीं है। आरोपों के बाद चंदा ने अक्टूबर 2018 में ICICI बैंक के CEO और MD के पद से इस्तीफा दे दिया था।
ED had earlier filed a money laundering case in an over Rs 3,000 cr alleged loan scam. Chanda had to step down from her position in 2018 once the investigation was initiated into the matter. The couple is arrested by CBI for cheating &criminal conspiracy.
— ANI (@ANI) December 23, 2022
बाद में वीडियोकॉन को दिया गया लोन एनपीए में बदल गया और बाद में इसे ‘बैंक धोखाधड़ी’ माना गया। सितंबर 2020 में ED ने दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था। दरअसल, वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के साथ व्यापारिक तौर पर अच्छे संबंध रहे। यही वजह रही कि वीडियोकॉन ग्रुप की मदद से जो कंपनी बनी उसे दीपक कोचर के पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दिया गया। वेणुगोपाल धूत ने दीपक कोचर की इसी कंपनी के जरिए मोटी रकम का हेरफेर किया।
इस मामले में साल 2020 में ED ने चंदा कोचर के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए उनकी क़रीब 78 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया था। इसमें उनका मुंबई वाला घर और उस कंपनी की संपत्ति भी शामिल थी जिसके मालिक चंदा कोचर के पति दीपक कोचर थे।
कौन हैं चंदा कोचर?
चंदा कोचर ने साल 1984 में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी ICICI बैंक ज्वॉइन किया था। जब 1994 में ICICI संपूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई तो चंदा कोचर को असिस्टेंट जनरल मैनेजर बनाया गया। इसके बाद 2001 में वो ICICI बैंक में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बन गई। इसके बाद उन्हें कॉरपोरेट बिज़नेस देखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। फिर वो चीफ़ फ़ाइनेंशियल ऑफ़िसर बनाई गईं। 2009 में चंदा कोचर को सीईओ और एमडी बनाया गया। भारत सरकार ने चंदा कोचर को अपने तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से 2011 में नवाजा। बैंक की कर्जदार कंपनी विडियोकॉन इंडस्ट्रीज की तरफ से कोचर के पति की कंपनी में निवेश को लेकर गड़बड़ी के आरोपों के बाद चंदा कोचर ने अक्टूबर 2018 में इस्तीफा दे दिया।
इस केस की टाइमलाइन ये है-
दिसंबर 2008: वीडियोकॉन के एमडी वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के साथ मिलकर एक कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाई। इसमें कोचर के परिवार और धूत की हिस्सेदारी पचास-पचास फीसदी थी। दीपक कोचर को इस कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया।
जनवरी 2009: धूत ने न्यूपावर में डायरेक्टर का पद छोड़ दिया। उन्होंने ढाई लाख रुपए में अपने 24,999 शेयर्स भी न्यूपावर में ट्रांसफर कर दिए।
मार्च 2010: धूत ने न्यूपावर कंपनी को अपने ग्रुप की कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के जरिए 64 करोड़ रुपए का लोन दिया।
नवंबर 2010: धूत ने कोचर की न्यूपावर कंपनी को लोन देने वाली सुप्रीम एनर्जी में अपनी हिस्सेदारी महेशचंद्र पुंगलिया को दे दी।
अप्रैल 2012: इंडियन एक्सप्रेस की खबर में दावा किया गया कि वीडियोकॉन ग्रुप की पांच कंपनियों को अप्रैल 2012 में 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया गया था। ग्रुप ने इस लोन में से 86% यानी 2810 करोड़ रुपए नहीं चुकाए। इसके बाद लोन को 2017 में एनपीए घोषित कर दिया गया।
सितंबर 2012: पुंगलिया ने धूत से मिली सुप्रीम एनर्जी कंपनी की हिस्सेदारी दीपक कोचर की अगुआई वाले पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दी। 94.99 फीसदी होल्डिंग वाले शेयर्स महज 9 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिए गए।
24 जनवरी, 2019: सीबीआई ने चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। 30 जून 2019 को, बैंक द्वारा बनाए गए पैनल ने कहा कि चंदा कोचर ने बैंक के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन किया है। बैंक ने अप्रैल 2009 और मार्च 2018 के बीच उन्हें दिए गए सभी बोनस को वापस लेने का फैसला किया। उन्होंने इसके बाद फरवरी 2019 में चंदा कोचर को टर्मिनेशन लेटर दे दिया।
जनवरी 2020: ED ने चंदा कोचर और उनके परिवार की 78 करोड़ रुपये से ज्यादा के एसेट्स को अटैच किया। इसी साल ईडी ने दीपक कोचर से पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।