उत्तर प्रदेश में हुए हाथरस कांड के बाद अलग अलग आरोपों में गिरफ्तार हुए केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कप्पन को मनी लांड्रिग के एक मामले में शुक्रवार को जमानत दे दी है। कप्पन की जमानत याचिका पर ये आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने दिया। कप्पन की ओर से कोर्ट में अधिवक्ता ईशान बघेल और मोहम्मद खालिद पेश हुए। पत्रकार कप्पन फिलहाल लखनऊ की जिला जेल में बंद हैं। सिद्दीकी कप्पन को 9 सितंबर को UAPA मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी, लेकिन ED की ओर से उनके खिलाफ दायर PMLA मामले की वजह से वे अभी भी जेल में हैं। कप्पन अब जल्द ही जेल से रिहा होंगे। सिद्दीकी कप्पन 2 साल बाद जेल से बाहर आएंगे।
The Allahabad High Court today granted bail to Kerala journalist Siddique Kappan in connection with a Prevention of Money Laundering Act (PMLA) case initiated against him by the Enforcement Directorate (ED).
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इस महीने की शुरुआत में लखनऊ की एक अदालत ने PMLA मामले में कप्पन और छह अन्य के खिलाफ आरोप तय किए थे। ईडी ने पिछले साल फरवरी में आरोपियों के खिलाफ अभियोजन शिकायत दायर की थी। अन्य आरोपी केए रऊफ शेरिफ, अतीकुर रहमान, मसूद अहमद, मोहम्मद आलम, अब्दुल रज्जाक और अशरफ खादिर हैं। पुलिस ने दावा किया था कि आरोपी प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई और उसकी छात्र शाखा कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया यानी सीएफआई के सदस्य हैं।
इससे पहले 9 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दीकी कप्पन को सशर्त जमानत दी थी, जिसमें कहा गया था कि कप्पन को उत्तर प्रदेश की जेल से छूटने के बाद अगले 6 हफ्तों तक दिल्ली में रहना होगा और उसके बाद ही वे केरल जा सकेंगे। इसके अलावा हर सोमवार को उन्हें पुलिस स्टेशन में हाजिरी देना होगा, साथ ही अपना पासपोर्ट भी सरेंडर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद कप्पन को मनी लॉन्ड्रिंग के तहत उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही में जमानत के लिए आवेदन करने की भी छूट मिल गई थी।
कप्पन को उत्तर प्रदेश पुलिस ने अक्टूबर 2020 में तब गिरफ्तार किया था, जब वे हाथरस जा रहे थे। हाथरस में दलित लड़की के साथ गैंगरेप कर हत्या कर दी गई थी। पुलिस का आरोप था कि कप्पन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े हैं औऱ वे हाथरस में दंगे फैलाने की साजिश रचने जा रहे थे। कप्पन पर गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम, आईटी अधिनियम, भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया था। कप्पन के खिलाफ धारा 153ए, 295ए, 124ए, 120बी और यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया था। हालांकि कप्पन का दावा था कि वे हाथरस में घटनास्थल पर मामले को कवर करने जा रहे थे।
कप्पन की गिरफ़्तारी के क़रीब एक साल बाद इस मामले में यूपी पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी। यूपी STF की चार्जशीट में कहा गया था कि कप्पन ने मुस्लिमों को पीड़ित बताया, मुस्लिमों को भड़काया और वामपंथियों एवं माओवादियों से सहानुभूति जताई।
2021 सितंबर में दाखिल 5000 पन्ने की चार्जशीट में कप्पन द्वारा लिखे गए उन 36 लेखों का हवाला दिया गया जो कोरोना संकट के बीच निजामुद्दीन मरकज, CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन, दिल्ली दंगा, राम मंदिर और राजद्रोह केस में जेल में बंद शरजील इमाम के आरोप-पत्र को लेकर लिखे गए थे।