सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को RTI के तहत एक कॉलेजियम पैनल की मीटिंग की डीटेल सार्वजनिक करने वाली याचिका को खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ‘कॉलेजियम अपनी बैठक में चर्चा करता है और जब तक कोई फैसला नहीं लेता तब तक आगे नहीं बढ़ता’।
Supreme Court rejects the plea seeking a copy of the agenda, a copy of the decisions, and a copy of the resolution of a 2018 Collegium meeting. pic.twitter.com/QSPK3o82YS
— ANI (@ANI) December 9, 2022
जस्टिस एम.आर. शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, सभी कॉलेजियम सदस्यों द्वारा तैयार और हस्ताक्षरित एक प्रस्ताव को ही अंतिम निर्णय कहा जा सकता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अंतिम निर्णय कॉलेजियम द्वारा उचित परामर्श के बाद ही लिया जाता है और परामर्श के दौरान कुछ निर्णय होते हैं, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता है। कोई संकल्प नहीं लिया जाता है, यह नहीं कहा जा सकता है कि एक अंतिम निर्णय कॉलेजियम द्वारा लिया जाता है’।
बेंच ने कहा, ‘कॉलेजियम एक बहु-सदस्यीय निकाय है जिसका निर्णय औपचारिक रूप से तैयार और हस्ताक्षरित किए जा सकने वाले संकल्प मंत शामिल होता है। केवल अंतिम निर्णय को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। कॉलेजियम में जिन बातों पर चर्चा हुई थी, उसे सार्वजनिक डोमेन में वह भी आरटीआई अधिनियम के तहत डालने की जरूरत नहीं है’।
Supreme Court says there was no substance in the plea challenging Delhi High Court order and the same deserves to be dismissed.
SC clarified whatever is discussed in the Collegium meeting shall not be in the public domain and "only final decision required to be uploaded."
— ANI (@ANI) December 9, 2022
ये याचिका RTI कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज द्वारा दायर की गई थी जिसमे सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 12 दिसंबर, 2018 को हुई सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक का विवरण मांगा गया था।
इससे पहले 8 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम पर सुनवाई करते हुए सरकार पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम “लॉ ऑफ द लैंड” है जिसका “अंत तक पालन” किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत की बेंच ने कहा कि, ‘जब तक कॉलेजियम सिस्टम है तब तक सरकार को भी उसे ही मानना पड़ेगा। सरकार इसे लेकर अगर कोई कानून बनाना चाहती है तो बना सकती है लेकिन अदालत के पास उनकी न्यायिक समीक्षा का अधिकार है’।
मालूम हो कि कॉलेजियम सिस्टम सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच एक विवाद की वजह बन गई है। इस सिस्टम को विभिन्न हलकों से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने 25 नवंबर को कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम, संविधान के लिए ‘एलियन’ है।
28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ कानून मंत्री की टिपण्णी पर नाराज़गी जताई थी। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से न्यायिक नियुक्तियों के संबंध में कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून का पालन करने के लिए केंद्र को सलाह देने का भी आग्रह किया था। कोर्ट ने कहा था कि कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए नाम केंद्र के लिए बाध्यकारी हैं और नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने के लिए निर्धारित समयसीमा का कार्यपालिका द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है।