बीते दिनों केंद्र और देश के अनेक राज्यों की सरकार पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बहुत बड़ा बदलाव कर नई कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। यह एक संयोग ही है कि भाजपा ने जिस दिन यह घोषणा की, उस दिन से ही हिन्दू धर्म की मान्यता के मुताबिक नौ दिन तक चलने वाले शारदेय नवरात्र पर्व की शुरुआत हुई थी।
भारतीय जनता पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 80 सदस्यों को जगह दी गई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी , मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह, समेत कई दिग्गज पार्टी नेताओं को नई कार्य कारिणी में जगह दी गई है। जबकि पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी उनके सांसद बेटे वरुण गांधी समेत कई दिग्गज नेता कार्यकारिणी से बाहर कर दिए गए हैं। इन दोनों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर किये जाने की बात समझ में आती है क्योंकि ये दोनों ही नेता पिछले कई माह से पार्टी गतिविधियों के प्रति उत्साही नजर नहीं आ रहे थे।
ख़ास कर वरुण गाँधी ने तो किसान मसले को लेकर एक तरह से उत्तर प्रदेश की अपनी पार्टी की सरकार के खिलाफ ही हमला बोल रखा था। लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद वरुण गांधी लगातार योगी और मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं। भाजपा महासचिव अरूण सिंह की एक विज्ञप्ति के मुताबिक कार्यसमिति में 50 विशेष आमंत्रित सदस्य और 179 स्थायी आमंत्रित सदस्य (पदेन) भी होंगे, जिनमें मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधायक दल के नेता, पूर्व उपमुख्यमंत्री, राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय मोर्चा अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी, सह प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री संगठन और संगठक शामिल हैं। कार्यसमिति के अन्य मनोनित सदस्यों में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित कई केंद्रीय मंत्री, सांसद व वरिष्ठ नेता शामिल हैं। कार्यसमिति में पूर्व मंत्रियों हर्षवर्धन, प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद को भी जगह दी गई है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 309 सदस्य घोषित किए गए हैं।
मोटे तौर पर इस बार भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लगभग 30 फीसदी बदलाव किया गया है। एक तरफ जहां भाजपा में बाहर से आए बहुत सारे नेताओं को कार्यकारिणी में जगह दी गई है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा के ही कई पुराने नेताओं को इस बार बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इन्हीं पार्टी नेताओं में एक पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी भी हैं जो लखीमपुर खीरी कांड पर हर दिन ट्वीट कर योगी सरकार पर दबाव बना रहे हैं। अपने एक ट्वीट में तो उन्होंने अपनी ही सरकार को आड़े हाथ लेते हुए यहाँ तक साफ़ लिख दिया था कि लिखा कि प्रदर्शनकारियों का मर्डर करके उनको चुप नहीं करा सकते हैं। निर्दोष किसानों का खून बहाने की घटना के लिए जवाबदेही तय करनी होगी। हर किसान के दिमाग में उग्रता और निर्दयता की भावना भरे इसके पहले उन्हें न्याय दिलाना होगा।राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को भाजपा के आंतरिक लोकतंत्र के लिए संवैधानिक तंत्र माना जाता है, और कम से कम पांच राज्यों ने अपनी राज्य कार्यकारिणी की बैठकें भौतिक रूप से आयोजित भी की हैं, जिसमें राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया था।
पिछली बार सत्ताधारी दल ने दो साल से अधिक पहले जनवरी 2019 में एक पूर्ण राष्ट्रीय कार्यकारिणी सम्मेलन बुलाया था, लेकिन इस तरह की अगली बैठक के बारे में अभी कुछ नहीं कहा गया है। वास्तव में, राष्ट्रीय नेतृत्व ने अभी तक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की संरचना का पता नहीं लगाया है.बीते माह असम भाजपा की दो दिवसीय राज्य कार्यकारिणी की बैठक 22-23 सितंबर को हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल शामिल हुए थे। गुवाहाटी में हुई बैठक में असम प्रभारी और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा भी मौजूद थे। उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी की बैठक जुलाई में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री और यूपी प्रभारी राधा मोहन सिंह के साथ हुई थी। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने वर्चुअल रूप में दिल्ली से संबोधित किया था । इसी तरह मध्य प्रदेश समेत देश अनेक राज्यों में भी पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की जा चुकी हैं।