एक बात तो तय है कि जब किसी भी वैश्विक मंच पर भारत और पाकिस्तान प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष किसी भी रूप में आमने सामने हों तो पाकिस्तान किसी भी रूप में कश्मीर का राग जरूर अलापने लगेगा और भारत की तरफ से उसका दो टूक जवाब भी उसे जरूर मिलेगा। इस बार भी जब शनिवार 25 सितम्बर 2021 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा का 76 वां सत्र आयोजित किया गया था तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने वर्चुअल माध्यम से सत्र में भाग लेते हुए एक बार फिर कश्मीर राग अलापने से संकोच नहीं किया।
भारत ने भी पाकिस्तान को इसका सटीक जवाब दिया . पाकिस्तान पर आतंकवाद को प्रश्रय देने का आरोप अकेले भारत ही नहीं दुनिया के आधे से ज्यादा देश लगाते हैं इसी विषय को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में तैनात अपनी प्रथम सचिव स्नेह दुबे के माध्यम से पाकिस्तान को आतंक फैलाने वाले देश के रूप में नामजद तो किया ही पाकिस्तान से उसके कब्जे वाले कश्मीर पर अपना हक छोड़ने को भी कहा। संयुक्त राष्ट्र में भारत की दूत ने इस बाबत जो कुछ कहा , उससे एक दिन पहले ही अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई अपनी पहली मुलाक़ात में यह खुलासा कर ही चुकी थीं कि पकिस्तान को आतंकवाद को प्रश्रय देने का काम हर हालत में बंद करना ही होगा। उनके शब्दों में ही कहें तो इसे इस तरह कह सकते हैं , “इस देश में कई आतंकी संगठन हैं।
पाकिस्तान इस सम्बन्ध में कार्रवाई करे ताकि अमेरिका और भारत की सुरक्षा पर इसका कोई असर न पड़े .” पाक के आतंकी मसले के साथ ही हैरिस ने भारत – अमेरिका के आपसी रिश्तों की चर्चा करते करते हुए कहा कि लोकतंत्र की रक्षा दोनों ही देशों का दायित्व है और यह दोनों के हित में है। मोदी – हैरिस मुलाक़ात के एक दिन बाद जब संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कश्मीर राग अलापना शुरू किया तब स्नेहा दुबे ने आतंक के मुद्दे पर ही उनको खरी – खरी सुनाई थी।
अपने जवाबी संबोधन में संयुक्त राष्ट्र में भारत की की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने कश्मीर राग अलापने पर पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा कि पाकिस्तान काम तो ‘‘आग लगाने वाला करता है लेकिन दिखावा , आग बुझाने का करता है ’’ करता है। स्नेहा ने यह भी कहा कि लेह- लद्दाख से लेकर , कश्मीर घाटी और जम्मू से साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी अविभाजित भारत का हिस्सा थे और रहेंगे भी इसलिए। हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने का आह्वान करते हैं।’उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को प्रश्रय पूरी दुनिया को परेशान कर रखा है।
पाकिस्तान एक ऐसा देश है जहां आतंकवादी बेरोक-टोक आ जा सकते हैं। पाकिस्तान के नेता भारत के आंतरिक मामलों को विश्व मंच पर लाने और झूठ फैलाकर इस प्रतिष्ठित मंच की छवि खराब करने के प्रयास में लगे रहते हैं। पाकिस्तानी नेताओं के इस तरह के झूठे बयान देने की प्रवृत्ति की सामूहिक तौर पर निंदा की जानी चाहिए। ऐसे लोग अपनी मानसिकता के कारण सहानुभूति के पात्र हैं।’’ दुबे ने कहा, ‘‘हम सुनते आ रहे हैं कि पाकिस्तान ‘आतंकवाद का शिकार’ है। लेकिन सच्चाई यह है कि पाकिस्तान ही वो देश है जिसने आतंक की यह आग खुद आग लगाई है, और नाटक आग बुझाने वाले का करता है। पाकिस्तान आतंकवादियों को इस उम्मीद में पालता है कि वे केवल अपने पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाएंगे। क्षेत्र और वास्तव में पूरी दुनिया को उनकी नीतियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है। दूसरी ओर, वे अपने देश में सांप्रदायिक हिंसा को आतंकवादी कृत्यों के रूप में छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।’’ खान ने अपने संबोधन में पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले और पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बारे में बात की।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि पाकिस्तान के कश्मीर राग अलापने पर भारत की किसी बेटी ने उसे दो टूक जवाब दिया हो। स्नेहा भारतीय विदेश सेवा की 2012 बैच की अधिकारी हैं उनकी स्कूली शिक्षा गोवा से हुई थी और उच्च शिक्षा पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से हुई। स्नेहा के पिता बहुराष्ट्रीय कंपनी में शीर्ष पद पर कार्यरत थे और माँ एक स्कूल टीचर रही हैं। बचपन से ही विदेश सेवा में काम करने की इच्छा और रुचि के चलते ही पहले ही प्रयास में उन्होंने यह परीक्षा पास कर ली थी। स्नेहा का यह भी मानना है कि कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के पाकिस्तान के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सदस्य देशों से कोई फायदा नहीं हुआ है, क्योंकि वे मानते हैं कि कश्मीर दोनों देशों के बीच एक द्विपक्षीय मामला है।
दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान के नेता ने भारत के खिलाफ झूठ फैलाने और दुष्प्रचार के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच का ‘‘दुरुपयोग’’ किया है। स्नेहा दुबे से पहले साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र में नियुक्त भारत की तत्कालीन प्रथम सचिव एनम गंभीर ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मामले पर अलग और भारत विरोधी राग अलापने के लिए आड़े हाथ लिया था। तब भारत की तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया था ,आतंकवाद को बढ़ावा देना पाकिस्तान की पुरानी नीति है। कितनी अजीब बात है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश मानवाधिकार की बात करते हैं। इसी तरह साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र में इसी पद पर तैनात भारत की एक अन्य महिला राजनयिक विदिशा मित्रा ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किये गए निजी हमलों के जवाब में कहा था , ” इमरान खान संयुक्त राष्ट्र के मंच का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और उनका भाषण नफरत का पुलिंदा है “।